रंगदारी और जान से मारने की धमकी : बरेली में बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र समेत दो लोगों के खिलाफ मुकदमा, फर्म हो चुकी है ब्लैक लिस्ट

बरेली में बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र समेत दो लोगों के खिलाफ मुकदमा, फर्म हो चुकी है ब्लैक लिस्ट
UPT | एसएसपी ऑफिस।

Jul 04, 2024 01:31

बरेली की बारादरी कोतवाली में लोक निर्माण विभाग (पीडबल्यूडी) के पूर्व ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित समेत दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह मुकदमा शहर के बारादरी थाना क्षेत्र के 194 त्रिमूर्ति के आगे संजय नगर निवासी वमनेश कुमार ने दर्ज कराया है। एएम बिल्डर्स के कर्मचारी वमनेश कुमार की तहरीर पर मूल रूप से बदायूं जनपद निवासी एवं बरेली के सुभाषनगर थाना क्षेत्र के नेकपुर मढ़ीनाथ निवासी सतीश चंद्र दीक्षित और दो अन्य लोगों के खिलाफ अपराध संख्या 0631/2024 के तहत धारा 420, 467,468, 471, 504, 506 और 384 में मुकदमा दर्ज किया गया है।

Jul 04, 2024 01:31

Bareilly News : उत्तर प्रदेश के बरेली की बारादरी कोतवाली में लोक निर्माण विभाग (पीडबल्यूडी) के पूर्व ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित समेत दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह मुकदमा शहर के बारादरी थाना क्षेत्र के 194 त्रिमूर्ति के आगे संजय नगर निवासी वमनेश कुमार ने दर्ज कराया है। एएम बिल्डर्स के कर्मचारी वमनेश कुमार की तहरीर पर मूल रूप से बदायूं जनपद निवासी एवं बरेली के सुभाषनगर थाना क्षेत्र के नेकपुर मढ़ीनाथ निवासी सतीश चंद्र दीक्षित और दो अन्य लोगों के खिलाफ अपराध संख्या 0631/2024 के तहत धारा 420, 467,468, 471, 504, 506 और 384 में मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस मामले की जांच सब इंस्पेक्टर सूरज पाल सिंह को सौंपी गई है। वमनेश कुमार ने पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि कथित ठेकेदार सतीश चंद्र षड्यंत्र में शामिल है। उन्होंने बताया कि वह रजिस्टर्ड ठेकेदार जावेद अली के यहां कार्य का संचालन करता है। उनके कार्य को देखता है। मगर, सतीश चंद्र दीक्षित ए क्लास का ठेकेदार बताकर जावेद अली के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर रंगदारी वसूली के लिए शिकायत करता है। वह स्वयं को ए क्लास का ठेकेदार बताता है। सरकारी कार्य लेने के लिए साम, दाम और दंड तक का इस्तेमाल करता है। सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुका है। पात्र न होने के बाद भी फर्जी कूट रचित दस्तावेज के आधार पर ए क्लास ठेकेदार के रूप में कार्य करता रहा है। मेरे मालिक के खिलाफ फर्जी मुकदमें लिखाने का खौफ दिखाता है। इसके साथ ही  रंगदारी मांगता है। यह शिकायत की गई। इसकी जांच के बाद 21 जून 2024 को मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी ने सतीश चंद्र दीक्षित को रचित अर्जी दस्तावेज को लगाकर गुमराह करने और एक श्रेणी का पंजीकरण कराने को गलत मानते हुए पंजीकरण निलंबित (ब्लैक लिस्ट) कर दिया।इसकी रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को भेज दी है।

शव न मिलने की धमकी
वमनेश ने आरोप लगाया कि 18 जून को सतीश चंद्र दीक्षित अपने दो गुंडो के साथ पीडब्ल्यूडी कार्यालय में मिला था। उन्होंने गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी दी और कहा कि अपने मालिक से कह देना कि हम बदायूं के रहने वाले हैं, लाश (शव) तक का पता नहीं चलेगा। आरोपी झूठी शिकायत कर वसूली का धंधा करता है। इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद एफआईआर दर्ज की है

दो वर्ष को फर्म डिबार 
चीफ इंजीनियर विजय सिंह ने बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित को 22 जून को दो वर्ष के लिए डिबार कर दिया है। आरोपी फर्म के ठेकेदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया था। जवाब संतोषजनक न मिलने पर कार्रवाई की गई। बदायूं के ठेकेदार सतीश चंद्र दीक्षित को करोड़ों रूपये के पुल और सड़क निर्माण के ठेके मिले थे। मगर, उनके पास पुल बनाने का अनुभव ही नहीं था। फर्म को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधिकारियों ने सिर्फ सड़क निर्माण का अनुभव होने के बाद भी पुल निर्माण में ए क्लास का रजिस्ट्रेशन कर बदायूं की अरिल नदी पर पुल बनाने का ठेका दे दिया। प्रमुख अभियंता कार्यालय ने आदेश दिया है कि फर्म को किसी भी निविदा प्रक्रिया में शामिल न किया जाए। इसके लिए सभी निर्माण कार्यों से संबंधित विभागों में कार्रवाई का पत्र भेज दिया गया है। फर्म के रजिस्ट्रेशन के समय अनुभव प्रमाण पत्रों का संज्ञान न लेने पर तत्कालीन मुख्य अभियंता को भी दोषी माना गया है। इस फर्म ने पीलीभीत में कई पुलों की टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था।

6 माह में बनने वाला पुल नहीं बना ढाई वर्ष में
ठेकेदार के पास अनुभव न होने के कारण से अरिल नदी पर जो पुल 6 महीने में बनना था। वह ढाई वर्ष में पूरा हो पाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार समेत कई लोगों ने इस फर्म को नियमविरुद्ध ढंग से ठेका देने सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से शिकायत की थी। इसके बाद प्रमुख अभियंता ने जांच शुरू कराई। इसी साल सात मई को सतीश चंद्र को नोटिस देकर आरोपों पर जवाब मांगा गया। 

नियम विरुद्ध जारी हुआ अनुभव प्रमाण पत्र 
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कुछ अफसर बदायूं के ठेकेदार पर काफी मेहरबान थे। उन पर आरोप है कि अवैध (नियम विरुद्ध) अनुभव प्रमाण पत्र जारी कराकर करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाया गया। मगर, यह मामला यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी के सामने रखा गया था। केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष राकेश सक्सेना ने शिकायती पत्र में बदायूं की फर्म मैसर्स सतीश चन्द्र दीक्षित पर तमाम आरोप लगाए थे। उनका कहना है था कि सेतु, सड़क और भवन के लिए उससे सबंधित कार्य के अनुभव प्रमाण-पत्र के माध्यम से रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) और कार्य करने का टेंडर मिलता है। मगर, बरेली पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने सड़क का कार्य करने वाली फर्म को सेतु निर्माण में ए क्लास का रजिस्ट्रेशन नियम विरुद्ध कर दिया। 

तीन चीफ इंजीनियर ने की अलग-अलग जांच
केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष की शिकायत पर हेड क्वार्टर (मुख्यालय) के निर्देश पर पूर्व तीन मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) ने अलग-अलग जांच की थी। तीनों की जांच में दोषी मिलने पर आरोपी फर्म को 3 माह और 6 माह के लिए पहले भी डिबार कर दिया गया था। मगर, आरोपी फर्म संचालक ने विभाग को गुमराह कर दबंगई से दोबारा काम ले लिया। इसमें चीफ इंजीनियर ने दोबारा कमी मिलने पर ब्लैक लिस्ट की चेतवानी दी थी। इसके बाद भी शाहजहांपुर के एक निर्माण कार्य के टेंडर में 6 टी के 100 के बजाय 10 रुपए का स्टांप पेपर अपलोड किया। यह कृत्य जानबूझकर किया गया। आरोपी ने विभाग के साथ धोखाधड़ी कर सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाई। इस मामले में भी फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित को डिबार किया गया था। मगर, दो बार डिबार होने के बाद भी ठेकेदार पर विभागीय अफसर मेहरबान थे। जिसके चलते केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष ने उक्त फर्म के अवैध अनुभव प्रमाण पत्रों से प्राप्त रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र वैध है अथवा नहीं? ऐसे रजिस्ट्रेशन से निविदा में प्रतिभाग करना वैध है अथवा नहीं ? जनहित में जांच कराकर उक्त फर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उनका आरोप है कि नियम विरुद्ध तरीके से जारी प्रमाण पत्रों के माध्यम से आरोपी फर्म ने विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। इसके साथ ही तमाम टेंडर में गलत प्रमाण पत्र लगाकर बिल से भुगतान लिया। ऐसी स्थिति में आरोपी फर्म के खिलाफ कार्रवाई कर रिकवरी की मांग की। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद ने भी की शिकायत
भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बरेली लोकसभा के पूर्व सांसद संतोष कुमार गंगवार और आंवला लोकसभा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने संसद रहने के दौरान फर्म मेसर्स सतीश चंद्र दीक्षित क्रिया कलापों की शिकायत प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी से की थी। इस शिकायत में भी आरोपी फर्म पर धांधली, जोर जबरदस्ती के आधार पर गलत अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार से पंजीकरण कराया गया, जबकि यह प्रमाण पत्र सेतु कार्यों के योग्य नहीं था। आरोपी फर्म ने बदायूं के मोहम्मदी के पास से गुजरने वाली आरिल नदी पर सेतु का लेटलतीफ कार्य किया। मगर, केसरिया हिंदू वाहिनी की शिकायत के बाद प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी ने निरस्त अनुभव प्रमाण पत्र और फर्म के खिलाफ पूरे मामले की जांच की थी।

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