कार्तिक पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। शहर के पास से गुजरने वाली रामगंगा नदी के घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
Bareilly News : श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई कार्तिक पूर्णिमा, रामगंगा घाटों पर उमड़ी भक्तों की भीड़
Nov 15, 2024 18:50
Nov 15, 2024 18:50
पूजा-अर्चना और दान-पुण्य
गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने घाटों पर पूजा-अर्चना की और ब्राह्मणों को दान दिया। कई श्रद्धालुओं ने गरीबों को अनाज, वस्त्र और पैसे भी दान किए। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर रामगंगा के घाटों पर मेलों का आयोजन भी हुआ, जहां स्थानीय कारीगरों, खिलौनों, मिठाइयों और पूजा सामग्री की दुकानों ने रौनक बढ़ाई। बच्चों के लिए झूले और मिठाइयां आकर्षण का केंद्र रहे, जबकि महिलाएं पूजा सामग्री और पुरुष धार्मिक पुस्तकों में रुचि लेते दिखे।
घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने घाटों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए थे। पुलिस और होम गार्ड के जवान तैनात किए गए थे। गोताखोरों की टीम भी नदी में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैनात रही। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक उपचार के लिए मेडिकल कैंप लगाए। कई घाटों पर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। भजन-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया गया। इसमें स्थानीय लोगों और संतों ने भाग लिया। घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया, जहां सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
श्रद्धालुओं ने जमकर की खरीदारी
घाटों के पास लगे मेलों में श्रद्धालु स्नान और पूजा के बाद खरीदारी करते नजर आए। मिट्टी के दीये, फूल-माला, भगवान की मूर्तियां और अन्य धार्मिक सामग्री खूब बिकती दिखी। बच्चों और युवाओं ने झूले और खेल-खिलौनों का आनंद लिया। रामगंगा के चौबारी घाट पर घोड़े भी खरीदे गए।
जानें धार्मिक महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और यह दिन देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। बरेली में कार्तिक पूर्णिमा पर रामगंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और उत्साह ने इस पर्व को खास बना दिया। पूजा-पाठ, स्नान, दान और मेलों में भाग लेकर लोगों ने न केवल अपनी आस्था व्यक्त की, बल्कि परंपरा और संस्कृति को भी जीवंत रखा। प्रशासन के बेहतर प्रबंध और श्रद्धालुओं की उमंग ने इस पर्व को सफल बनाया।
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