मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि शरीयत ने मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है। उन्होंने इसे सही और न्यायपूर्ण फैसला बताया।
तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले पर बोले मौलाना : शहाबुद्दीन रजवी ने कहा- 'शरीयत ने महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश पर कोई पाबंदी नहीं लगाई'
Jul 31, 2024 16:08
Jul 31, 2024 16:08
इस्लाम के प्रारंभिक दिनों का दिया हवाला
मौलाना रजवी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि इस्लाम के प्रारंभिक दिनों में भी महिलाएं मस्जिद में आकर नमाज पढ़ती थीं। उन्होंने पैगंबर-ए-इस्लाम के जमाने का उदाहरण देते हुए कहा कि हजरत उमर फारुख, जो इस्लामी शासन के प्रमुख थे, ने महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की आदत को एक खास वजह से बदला। जब बुराइयां और शिकायतें बढ़ने लगीं, तो हजरत उमर फारुख ने महिलाओं को घरों में नमाज पढ़ने की सलाह दी। उनका यह कदम महिलाओं की सुरक्षा और समाज में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से था। इसके बाद से महिलाएं अपने घरों में नमाज पढ़ने लगीं, और यही परंपरा अब तक चली आ रही है। मौलाना ने जोर देते हुए कहा कि हजरत उमर फारुख के निर्णय का मकसद समाज में फितना और फसाद को खत्म करना था, और इसमें वे सफल भी हुए।
यूपी सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया
इसके साथ ही, मौलाना रजवी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करने के फैसले पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर इन मदरसों को बंद कर दिया गया, तो लाखों बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी। संविधान ने अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने और शिक्षण संस्थान खोलने की अनुमति दी है। मौलाना ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि इन मदरसों को मान्यता देने की व्यवस्था की जाए ताकि अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास बनाए रखा जा सके।
क्या था तेलंगाना हाईकोर्ट का फैसला
तेलंगाना हाईकोर्ट ने हैदराबाद के इबादत खाना में महिलाओं के नमाज पढ़ने के अधिकार को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस्लाम की पवित्र किताब कुरान का हवाला देते हुए कहा कि उसमें महिलाओं के इबादत खाना में प्रवेश या प्रार्थना करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। अजमुन अल्वी शिया इमामिया इथना अशरी अखबरी सोसायटी ने तेलंगाना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इबादत खाना में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ रिट पिटीशन दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 25(1) का हवाला देते हुए कहा कि यह आर्टिकल सभी नागरिकों को अंतरात्मा की स्वतंत्रता और अपने धर्म को मानने, आचरण करने तथा प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कुरान में महिलाओं के इबादत खाना में नमाज पढ़ने पर कोई रोक नहीं है।
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