माफिया बबलू सियासत में कदम रखना चाहता है। इसीलिए दया याचिका दायर कर बाहर आने की कोशिश की थी। मगर, राज्यपाल के याचिका खारिज करने से डॉन की सियासत में आने की ख्वाहिश अधूरी रह गई है।
बरेली जेल में बंद बबलू डॉन की दया याचिका खारिज : 31 साल की सजा काट चुका है माफिया, जानें अपराध में कैसे हुई एंट्री...
Nov 07, 2024 11:06
Nov 07, 2024 11:06
31 वर्ष पहले की थी कस्टम कलेक्टर की हत्या
माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव ने इलाहाबाद में अपने साथियों के साथ 24 मार्च, 1993 की शाम कस्टम कलेक्टर एलडी अरोड़ा की उनके घर के पास ही हत्या कर दी थी। जिसके चलते उसके खिलाफ मुकदमा हुआ। कानपुर नगर स्थित टाटा कोर्ट ने 30 सितंबर, 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। माफिया ने सुप्रीम कोर्ट में सजा में माफी को याचिका दायर की। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी, 2011 को बबलू की सजा को यथावत रखा। बबलू ने 10 फरवरी, 2022 तक 26 वर्ष 9 माह 20 दिन की अपनी अपरिहार सजा और 31 वर्ष तीन माह तीन दिन की सपरिहार सजा काट ली है।
फिरौती के लिए व्यापारी पंकज महिंद्रा का किया अपहरण
व्यापारी पंकज महिंद्रा का 5 सितंबर, 2015 की रात दुकान बंद करके घर जाते समय बदमाशों ने पंकज महिंद्रा का अपहरण कर लिया था। बदमाशों ने फिरौती के रूप में सर्राफा व्यवसायी के परिजनों से 10 करोड़ रुपये की डिमांड की थी। पुलिस ने मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए फतेहपुर जिले के एक फार्म हाउस में छापा मारकर सर्राफ पंकज महिंद्रा को बचा लिया था। इस मामले में भी माफिया डॉन का हाथ सामने आया था। जिसके चलते मुकदमा दर्ज किया गया। इसकी सुनवाई इलाहाबाद कोर्ट में हो रही है। इसकी सुनवाई को बरेली सेंट्रल जेल से जाता था।
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शरीर से कमजोर दिखा डॉन
किसी समय माफिया के नाम से लोग खौफ खाते थे। मगर, अब बबलू श्रीवास्तव बीमारियों से बहुत दुखी है। वह जेल से बाहर जाने के दौरान काफी कमजोर दिखने लगा है। अब वह ऊपर वाले (ईश्वर) से रहम की भीख मांग रहा है। शुगर के कारण ब्लड प्रेशर समेत कई बीमारियां हो गई हैं। आंखों की रोशनी भी कम हो गई। जिसके चलते सर्जरी हुई है। मगर, अब डॉक्टर बताते हैं, कभी आतंक के पर्याय बबलू श्रीवास्तव में वह दबंगई नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ ही बातचीत का लहजा भी बदला है। माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है। उसके पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे। बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है। वह आइएएस या सेना अफसर बनना चाहता था। मगर, कॉलेज की राजनीति ने किडनैपिंग से अंडरवर्ल्ड तक पहुंचा दिया।
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