पीलीभीत में सोमवार रात पुलिस और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में तीन खालिस्तान समर्थक आतंकियों की मौत हो गई। इस मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को कुल छह गोलियां लगी थीं...
खालिस्तानी आतंकियों को लगी थी इतनी गोलियां : पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा, परिजनों ने एनकाउंटर पर जताया संदेह
Dec 25, 2024 15:54
Dec 25, 2024 15:54
शवों को लेकर पंजाब रवाना
दरअसल, मारे गए आतंकियों के शवों का पोस्टमार्टम मंगलवार को किया गया। पंजाब और यूपी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मारे गए इन आतंकियों का पोस्टमार्टम दो चिकित्सकों के पैनल द्वारा किया गया। पोस्टमार्टम प्रक्रिया दोपहर 2:30 बजे शुरू हुई और शाम तक चली। इस दौरान पोस्टमार्टम हाउस पर पुलिस की तैनाती रही, जिसमें पीलीभीत और पंजाब की पुलिस शामिल थी। पोस्टमार्टम के बाद शवों को पंजाब पुलिस की निगरानी में उनके परिजनों के हवाले किया गया, जो शवों को लेकर पंजाब रवाना हो गए।
मंगलवार को कराया गया पोस्टमार्टम
वहीं पुलिस ने सोमवार रात को ही पोस्टमार्टम कराने का प्रयास किया, लेकिन डीएम संजय कुमार के निर्देश पर यह प्रक्रिया मंगलवार सुबह 11 बजे से शुरू की गई। इस दौरान पोस्टमार्टम की सभी कागजी प्रक्रियाएं भी पूरी की गईं और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पोस्टमार्टम के दौरान स्थानीय कोतवाल राजीव कुमार सिंह और पंजाब पुलिस के अधिकारी तैनात रहे। करीब छह बजे पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी होने के बाद शवों को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।
परिजनों ने एनकाउंटर को लेकर जताया संदेह
तीन आतंकियों के परिजनों का कहना है कि उनके बेटों का कभी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा और न ही उन्होंने कभी किसी प्रकार की हिंसा में भाग लिया। परिजनों ने बताया कि चार दिन तक घर पर कोई पुलिस नहीं आई थी और अचानक मुठभेड़ की खबर मिली, जो उन्हें बिल्कुल समझ में नहीं आई। खासकर गुरविंदर सिंह के पिता गुरदेव सिंह का कहना था कि उनका बेटा 19 दिसंबर को घर से निकलने के बाद चार दिन तक संपर्क में नहीं आया और उन्हें सोमवार को ही उसकी मौत की जानकारी मिली।
ट्रक पर हेल्पर का काम करने निकला था जसनप्रीत
गुरविंदर सिंह के पिता ने दावा किया कि जिस दिन पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंका गया था, उस दिन उनका बेटा घर पर ही था। इसी तरह, जसनप्रीत सिंह के पिता स्वरूप सिंह ने भी यह तर्क पेश किया कि उनका बेटा कभी पंजाब में नहीं गया और इस मुठभेड़ में कैसे शामिल हो गया, यह समझ से परे है। जसनप्रीत सिंह 19 दिसंबर को घर से ट्रक पर हेल्पर का काम करने के लिए निकला था और उसके बाद से कोई जानकारी नहीं मिली थी।
परिजनों ने कहा- कभी भी हिंसा में नहीं शामिल हुए मृतक
मृतक आतंकियों में से एक वरिंदर सिंह के जीजा गुरमीत सिंह ने बताया कि वरिंदर के बारे में कभी यह नहीं सुना गया कि वह किसी अवैध गतिविधियों में शामिल हो। इसके बावजूद इस मुठभेड़ के बारे में जानकर उन्हें यकीन नहीं हो रहा। सभी परिजनों का आरोप है कि उनके बेटों का किसी प्रकार का अपराधिक इतिहास नहीं था और वे कभी भी हिंसा में शामिल नहीं हुए थे।
तीन महीने पहले हुई जसनप्रीत की लव मैरिज
जसनप्रीत के पिता स्वरूप सिंह ने बताया कि उनका बेटा सबसे छोटा था और उसने तीन महीने पहले ही अपनी मर्जी से लव मैरिज की थी। वह परिवार के साथ घर पर ही रह रहा था और कामकाजी था। मारे गए तीनों आतंकियों के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। पोस्टमार्टम हाउस पर उपस्थित परिजनों ने बताया कि वे सभी मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। जसनप्रीत अशिक्षित था, जबकि वरिंदर और गुरविंदर 12वीं कक्षा तक पढ़े थे। मारे गए आतंकियों के परिवारों का कहना था कि वे सभी अलग-अलग गांवों में रहते थे, जो पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित थे और आपस में अच्छे दोस्त थे। उनका कहना था कि उनके बच्चों ने कभी भी कोई अपराध नहीं किया और पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल उठाया।
ये भी पढ़ें- Pilibhit Encounter : खालिस्तानी आतंकियों के स्थानीय कनेक्शन का खुलासा, NIA और ATS की जांच जारी
Also Read
25 Dec 2024 07:00 PM
बरेली जिले के रामपुर- दिल्ली हाईवे पर बुधवार शाम को एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। यह हादसा परसाखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र के पास नदोसी गांव के समीप हुआ... और पढ़ें