पीलीभीत टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की बढ़ती संख्या और मानव बस्तियों में प्रवेश को देखते हुए प्रशासन ने रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बनाई है। सेंटर का आधा निर्माण पूरा हो चुका है, जो बाघों और तेंदुओं को स्थानीय रूप से सुरक्षा और इलाज मुहैया कराएगा।
टाइगर रिजर्व में रेस्क्यू सेंटर : पीलीभीत में वन्यजीवों के लिए नई शुरुआत, रेस्क्यू के बाद बाघ और तेंदुए नहीं जाएंगे तराई से बाहर
Jan 15, 2025 17:46
Jan 15, 2025 17:46
पीटीआर का विस्तार और बढ़ती जंगली जानवरों की संख्या
पीलीभीत टाइगर रिजर्व 73,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है और यहां लगभग 73 बाघों की मौजूदगी है। जून 2014 में इसे संरक्षित वन घोषित किया गया था, जिसके बाद से बाघों और अन्य जंगली जानवरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। जैसे-जैसे जंगली जानवरों की तादाद बढ़ी, वैसे-वैसे उनका जंगल से बाहर निकलना भी बढ़ गया। इससे जंगली जानवरों और मानव के बीच संघर्ष की घटनाएं भी आम हो गईं। इन संघर्षों के चलते कई बार बाघों और तेंदुओं को रेस्क्यू करना पड़ा है।
रेस्क्यू सेंटर का महत्व
अब तक रेस्क्यू किए गए बाघों और तेंदुओं को पीटीआर के जंगल में वापस छोड़ने की बजाय कानपुर और लखनऊ के चिड़ियाघरों में भेजा जाता था। लेकिन चिड़ियाघरों में जगह की कमी और इन जानवरों की देखभाल की बढ़ती आवश्यकता के कारण यह व्यवस्था संतोषजनक नहीं थी। इसी समस्या का समाधान करने के लिए पीटीआर में रेस्क्यू सेंटर का निर्माण किया जा रहा है।
रेस्क्यू सेंटर का मुख्य उद्देश्य रेस्क्यू किए गए जंगली जानवरों को स्थानीय स्तर पर सुरक्षित स्थान पर रखना और उनका इलाज करना है। इससे इन जानवरों की देखभाल में सुधार होगा और उन्हें उचित वातावरण में आराम करने का अवसर मिलेगा।
चार चरणों में पूरा होगा निर्माण
रेस्क्यू सेंटर का निर्माण 4 चरणों में किया जा रहा है और इसका कुल बजट 14.33 करोड़ रुपये रखा गया है। पहले दो चरणों के लिए 9.25 करोड़ रुपये की धनराशि शासन से जारी की जा चुकी है। अब तक इस सेंटर के अस्पताल और पुनर्वास केंद्र का निर्माण पूरा हो चुका है। ये सुविधाएं रेस्क्यू किए गए बाघों और तेंदुओं के लिए विशेष रूप से बनाई गई हैं, ताकि उन्हें ठीक से इलाज मिल सके।
रेस्क्यू सेंटर के निर्माण में जुटे अधिकारियों का कहना है कि मार्च 2025 तक इस सेंटर की पूरी व्यवस्था पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगी। इसके बाद रेस्क्यू किए गए जानवरों को इस सेंटर में ही रखा जाएगा और उनका इलाज तथा पुनर्वास किया जाएगा।
शासन से सहयोग और आगामी योजनाएं
पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि रेस्क्यू सेंटर के दूसरे चरण का कार्य तेजी से पूरा हो रहा है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि शासन से अस्पताल के लिए अतिरिक्त संसाधनों की मांग की गई है और उम्मीद है कि जल्दी ही यह व्यवस्था पूरी हो जाएगी। इसके बाद रेस्क्यू किए गए बाघों और तेंदुओं को इसी सेंटर में रखा जाएगा और उनका इलाज किया जाएगा।
सुरक्षित और सुविधाजनक पुनर्वास केंद्र
रेस्क्यू सेंटर का उद्देश्य न केवल रेस्क्यू किए गए जानवरों को सुरक्षित रखना है, बल्कि उन्हें एक उपयुक्त पुनर्वास केंद्र भी प्रदान करना है। यहां जानवरों के इलाज के लिए समस्त आवश्यक उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, एक अस्पताल भी तैयार किया गया है, जहां जंगली जानवरों का इलाज किया जा सकेगा।
इस सेंटर की स्थापना से न केवल जंगली जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय वन्यजीव संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, यह सेंटर वन्यजीवों के अध्ययन और शोध के लिए भी एक प्रमुख केंद्र बन सकता है, जहां वैज्ञानिक और शोधकर्ता विभिन्न पहलुओं पर काम कर सकते हैं।
नवीनतम प्रयास: वन्यजीवों के संरक्षण में अहम कदम
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का यह प्रयास वन्यजीवों के संरक्षण और उनके संरक्षण से संबंधित कार्यों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। जहां एक ओर बाघों और अन्य जंगली जानवरों की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर उनके जंगल से बाहर आने की समस्या भी बढ़ी है। रेस्क्यू सेंटर के निर्माण से इन जानवरों को अधिक सुरक्षित और संरक्षित स्थान मिलेगा, और साथ ही मानवों और जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी घट सकती हैं।
निर्माण पीटीआर के वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
रेस्क्यू सेंटर का निर्माण पीटीआर के वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य न केवल बाघों और तेंदुओं को सुरक्षित रखने का है, बल्कि इसे एक पुनर्वास केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा, जहां जंगली जानवरों का इलाज और देखभाल की जाएगी। यह केंद्र पीटीआर के भीतर वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक नए युग की शुरुआत हो सकता है, जो आगे चलकर पूरी दुनिया में एक मिसाल बन सकता है।
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