Pilibhit
ऑथर Pankaj Parashar

पीलीभीत के खास टूरिस्ट पैलेस : मंदिर, गुरुद्वारा, मजार-मस्जिद से लेकर टाइगर, गेंडा और दुर्लभ खरगोश, पढ़िए खास रिपोर्ट

मंदिर, गुरुद्वारा, मजार-मस्जिद से लेकर टाइगर, गेंडा और दुर्लभ खरगोश, पढ़िए खास रिपोर्ट
Uttar Pradesh Times | उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की शान गोमती नदी का उदगम पीलीभीत से हुआ है।

Nov 18, 2023 17:18

Pilibhit News : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों की सीमा पर पीलीभीत ज़िले (Pilibhit District) में प्राकृतिक सौंदर्य अप्रतिम है। यहां का टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) देखने हर साल देश और दुनिया से हज़ारों लोग आते हैं। पीलीभीत शहर में कई ऐसे पर्यटन स्थल है, जहां जाकर आत्म संतुष्टि मिलती है।

Nov 18, 2023 17:18

Pilibhit News : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों की सीमा पर पीलीभीत ज़िले (Pilibhit District) में प्राकृतिक सौंदर्य अप्रतिम है। यहां का टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) देखने हर साल देश और दुनिया से हज़ारों लोग आते हैं। पीलीभीत शहर में कई ऐसे पर्यटन स्थल है, जहां जाकर आत्म संतुष्टि मिलती है। पीलीभीत की एक और ख़ास बात यह है कि यहां हिंदू, मुस्लिम और सिखों के कई विश्वविख्यात धार्मिक स्थल हैं। हम आपको इन्हीं ख़ास जगहों के बारे में तफ़सील से जानकारी दे रहे हैं।

मनकामेश्वर महादेव मंदिर : खकरा ओर देवह नदियों के संगम स्थल ब्रह्मचारी घाट पर स्थित मनकामेश्वर महादेव का यह मंदिर करीब चार सौ वर्ष प्राचीन है। यह मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध है। यंहा हनुमान जी और धनेश्वर महादेव के सुंदर और सिद्ध मंदिर हैं। यंहा का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। संगम में स्नान करके मनकामेश्वर महादेव के दर्शनों से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसा भक्तों का मत है। यंहा आकर आपको एक असीम शांति का अनुभव होगा। मनकामेश्वर महादेव की उपस्थिति शांति और सौन्दर्य में दिव्यता का संचार सा करती है। जिसे आप यहां से अपने साथ ले जाएंगे।

ऐतिहासिक गुरुद्वारा : पीलीभीत के पकड़िया मोहल्ले में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। धार्मिक रूप से यह लगभग चार सौ वर्षों पुराना स्थान है। लेकिन इसका जीर्णोद्धार हाल ही में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सिक्खों के गुरु गुरु गोविंद सिंह ने अमृतसर से नानकमता जाते समय यहीं रुक कर विश्राम किया था। सन् 1983 में सुविख्यात बाबा फौज सिंह ने कार सेवा करके पांच मंज़िल वाले विशाल गुरुद्वारे का निर्माण करवाया था। इस प्रकार गुरु गोविंद सिंह की स्मृति में इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का निर्माण हुआ है।

गौरी शंकर मंदिर : गौरी शंकर मंदिर खकरा मुहल्ले में देवहा तथा खकरा नदी के पास स्थित है। यहां गौरी शंकर जी के अतिरिक्त हनुमान, भैरों, दुर्गा और गणेश जी की मूर्तियां हैं। लगभग ढाई सौ साल पुराना यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसका द्वार अत्यंत भव्य और अवलोकनीय है। ऐसा माना जाता है कि यह द्वार एक मुसलमान ने बनवाया था।

जामा मस्जिद : जामा मस्जिद पीलीभीत का एक और गौरवशाली धर्मस्थल है। इसका निर्माण हाफिज रहमत खान ने 1181 हिजरी में करवाया था। यह मस्जिद दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद की बहुत शानदार प्रतिकृति है। मस्जिद के प्रवेश द्वार से पहले दरवेश इमाम हाफिज नूरुउद्दीन गजनवी का मजार है। वे इस मस्जिद के पहले इमाम थे।

शाहजी मियां का मजार : शाहजी मियां पीलीभीत में जन्मे एक संत थे। मानव कल्याण के कार्यों के कारण उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई। वो 125 वर्ष तक जीवित रहे। आज भी उनकी मजार पर सभी धर्मों के लोग मन्नत मांगने आते हैं और चादर चढ़ाते हैं। इनका उर्स हर वर्ष एक सप्ताह के लिए होता है, जिसमें हजारों लोग सम्मिलित होते हैं।

यशवंतरी देवी मंदिर : यशवंतरी देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कई सौ वर्ष पुराने यशवंतरी देवी मंदिर के पास नकटादाना नाम की जगहा है। कहा जाता है कि  यहां नकटा नाम का एक दानव रहा करता था। जिसने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया था। तब शक्ति स्वरूपा मां ने यशवंतरी देवी के रूप में उसका वध किया था।

शिवधाम मंदिर : महादेव का यह मंदिर यशवंतरी देवी मंदिर से निकट है। इसका भी अपना बहुत महत्‍व है। इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ है, जिसके बारे में यह मान्‍यता है कि जो व्‍यक्‍ति यहां शिवजी पर रोज जल चढ़ाता है, उससे पेड़ पर जितनी पत्‍तियां आती हैं, उतनी शक्‍ति उसकी रक्षा में लग जाती है। हाल में ही इसका जीर्णोद्धार कराया गया है।

चूका बीच : पीलीभीत वन प्रभाग ने 74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शारदा नदी और मुख्य शारदा कैनाल के बीच शारदा सागर के किनारे एक पर्यटन केंद्र का विकास किया है। इसे चूका बीच कहते हैं। शारदा सागर जलाशय की लंबाई 22 किलोमीटर और चौड़ाई 3 से 5 किलोमीटर है। इतने बड़े जलक्षेत्र के किनारे स्थित होने के कारण यह 'बीच' जैसा दिखाई पड़ता है। अतः इसे 'चूका बीच' कहते हैं। इस जलाशय में अनेक प्रकार की मछलियां हैं। वन क्षेत्र में साल वृक्ष हैं। अर्जुन, कचनार, कदंब, हर्र, बहेड़ा, कुसुम, जामुन, बरगद, बेल और सेमल समेत अनेक प्रकार के बड़े वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां और घास भी यहां हैं। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्य पशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की बहुतायत है। यह स्थान पीलीभीत से लगभग 50 किलोमीटर की दूर है।

लग्गा भग्गा वन क्षेत्र : बराही क्षेत्र में इस वन प्रभाग की सीमा नेपाल से मिलती है। इसके एक ओर शारदा नदी है और दूसरी ओर नेपाल की 'शुक्ला फाटा सेंचुरी' है। तीसरी ओर किशनपुर का वन्य जीव विहार है। यहां पर एक ओर बड़े-बड़े पेड़ हैं तो दूसरी ओर ऊंची घास और दलदल है। यह अनेक प्रकार के पशुओं के निवास की आदर्श परिस्थतियां पैदा करता है। यहां सियार, हिरन और लोमड़ी जैसे मध्य आकार के पशु हैं। शेर, हाथी और गैंडे भी आराम से विहार करते हुए देखे जा सकते हैं। यह वन क्षेत्र पीलीभीत से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विविध प्रकार के रंग बिरंगे पक्षी जैसे धनेश, कठफोड़ा, नीलकंठ, जंगली मुर्गा, मोर, सारस यहां देखे जा सकते हैं। यहां दुर्लभ प्रजाति का एक खरगोश पाया जाता है। जिसे 'स्पिड हेअर' कहते हैं। दोनों वन प्रदेशों में जाने और ठहरने की समुचित व्यवस्था है।

गोमती उदगम स्‍थल : उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की शान गोमती नदी का उदगम पीलीभीत से हुआ है। यहां एक सरोवर है। जिस्से गोमती नदी निकलती है। चक्रतीर्थ पीलीभीत शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर जहानाबाद के निकट है। यहां का सरोवर चक्र की तरह गोल है। पूरनपुर तहसील में धर्मपुर नाम का एक गांव है। वहां पर सत भैया बाबा के नाम से एक प्राचीन मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि वहां जाने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

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