भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यह है कि महानगर अध्यक्ष की कुर्सी पर अधीर सक्सेना बने रहेंगे या नहीं। पार्टी को इस महीने नया अध्यक्ष चुनना है...
बरेली में भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर मचा घमासान : कई नामों पर चर्चा, अधीर सक्सेना की वापसी पर संकट
Dec 05, 2024 21:37
Dec 05, 2024 21:37
संगठन का बैकग्राउंड समझिए
भाजपा अध्यक्ष अधीर सक्सेना मेयर डा. उमेश गौतम से खास आशीर्वाद प्राप्त बताए जाते हैं। कैंट विधायक संजीव अग्रवाल का खेमा उनको लेकर असहज दिखता है। एक आग है, जो दोनो तरफ से दिखाई देती है, तपिश पार्टी के कार्यकर्ता महसूस करते हैं। लोकसभा चुनाव के वक्त से ही अधीर सक्सेना को लेकर पूर्व सांसद रहे संतोष गंगवार की नाराजगी जगजाहिर थी। मगर, बाद श्री गंगवार राज्यपाल बन गए और पद की गरिमा के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। मगर, उनका भारत सेवा ट्रस्ट अभी भी राजनीति की धुरी, तो माना ही जाता है।
सांसद और मंत्री की पसंद का इंतजार
सांसद छत्रपाल गंगवार, शहर विधायक एवं वन मंत्री डा.अरुण कुमार का रुख सार्वजनिक तौर पर अभी साफ नहीं है कि वह किसका साथ देंगे। किसके साथ खड़े होंगे। मगर, यह जरूर साफ है कि महानगर अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर खेमेबंदी तो हो ही गई है। इस दौरान पुष्पेन्दु शर्मा, डा. केएम अरोरा का नाम भी उछला है। महानगर अध्यक्षी पर ताजपोशी के लिए दो नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं। एक हैं पुष्पेन्दु शर्मा का और दूसरे हैं डा. केएम अरोरा। यह दोनों ही पहले भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। पुष्पेन्दु शर्मा इन दिनों कैंट विधायक संजीव अग्रवाल के सबसे खासमखास हैं। कैंट विधायक पार्टी के प्रदेश के सह कोषाध्यक्ष भी हैं। इसलिए पार्टी संगठन के अंदर उनकी मजबूत पकड़ की वजह से वह अपने पसंद के अध्यक्ष को बनवाने में कामयाब होंगे ऐसा उनके समर्थकों का मानना है।
डा.केएम अरोरा भारत सेवा ट्रस्ट की पहली पसंद
चर्चा है कि वक्त आने पर ट्रस्ट से पैरवी डा.अरोरा की ही होगी। ऐसा उनके चाहने वालों को विश्वास है। ट्रस्ट किसी पंजाबी और अपने लिए मुफीद पंजाबी नेता के नाम पर ही दांव लगाना चाहता है। कुछ और नाम भी सामने आ रहे हैं। मगर, अभी दबे छिपे से। क्योंकि, वह राज्यपाल हैं।
अधीर का रिकार्ड बनाम मसला लाबिंग का
महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना छात्र राजनीति से विभिन्न पदों को संभालते हुए इस कुर्सी तक पहुंचे हैं। उनके खाते में बरेली लोकसभा में दोनों विधानसभाओं की जीत, सदस्यता का रिकार्ड दो लाख से ज्यादा का आंकड़ा, सक्रिय सदस्यों का बड़ा आंकड़ा और संगठन को पूरा वक्त देना है। अधीर समर्थक डा.केएम अरोरा के संगठन को कम वक्त देने और पुष्पेन्दु शर्मा के कार्यकाल की कमियों को भी गिना रहे हैं। अब देखना यह है कि यह सारा रिकार्ड अधीर की वापसी में कारगर साबित हो सकेगा या नहीं।
जिसका अध्यक्ष, वही बॉस
इसी महीने यह तय हो जायेगा कि कौन भाजपा का अध्यक्ष बनेगा। अगर, अधीर सक्सेना की वापसी होती है, तब यह साफ तौर पर मेयर डा.उमेश गौतम की जीत होगी। अगर, पुष्पेन्दु अध्यक्ष बनते हैं, तब इसे कैंट विधायक संजीव अग्रवाल का दबदबा माना जायेगा और अगर, डा. केएम अरोरा अध्यक्ष बनते हैं तब यह साफ हो जायेगा कि भारत सेवा ट्रस्ट को नकारकर अभी स्थानीय भाजपा की राजनीतिक गणना नहीं की जा सकती है। सांसद छत्रपाल गंगवार और वन मंत्री किसके पक्ष में वीटो करेंगे या अपना कोई उम्मीदवार सामने लाएंगे या अधीर सक्सेना का समर्थन करेंगे। यह तीनों ही स्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं।
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