बरेली लोकसभा में एससी वोटर सजाएंगे विजय का ताज : सपा-भाजपा को जीत के लिए दलित मतदाताओं से उम्मीद, जानें किसके बिगड़े समीकरण 

सपा-भाजपा को जीत के लिए दलित मतदाताओं से उम्मीद, जानें किसके बिगड़े समीकरण 
UPT | इसी स्थान पर होगी वोटों की गिनती।

May 15, 2024 17:39

भाजपा ने आठ बार के सांसद एवं पूर्व मंत्री संतोष कुमार गंगवार का टिकट काट कर पीलीभीत लोकसभा की बहेड़ी विधानसभा से पूर्व विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार को टिकट दिया था, तो वहीं इंडिया गठबंधन (सपा) ने पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री प्रवीण सिंह ऐरन पर भरोसा जताया।

May 15, 2024 17:39

Bareilly News (Sajid Raza Khan) : यूपी की बरेली लोकसभा में 7 मई को मतदान हो चुका है, लेकिन यहां बसपा का प्रत्याशी न होने के कारण सियासी दलों के चुनावी समीकरण बदल गए हैं। हालांकि बसपा ने बरेली लोकसभा में नवाबगंज विधानसभा से पूर्व विधायक मास्टर छोटे लाल गंगवार को टिकट दिया था, लेकिन उनका नामांकन पत्र जांच के दौरान रद्द हो गया। उनके दोनों ही दाखिल नामांकन पत्रों में कमी पाई गई थी। इससे यहां मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा प्रत्याशियों के बीच है।

सपा और भाजपा में है सीधी टक्कर
भाजपा ने आठ बार के सांसद एवं पूर्व मंत्री संतोष कुमार गंगवार का टिकट काट कर पीलीभीत लोकसभा की बहेड़ी विधानसभा से पूर्व विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार को टिकट दिया था, तो वहीं इंडिया गठबंधन (सपा) ने पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री प्रवीण सिंह ऐरन पर भरोसा जताया। सपा प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन के पक्ष में मुस्लिम और यादव मतदाताओं ने एकतरफा वोटिंग की है। यहां मुस्लिम मतदाता करीब 7 लाख हैं, जो निर्णायक भूमिका में है। इसके साथ ही करीब 3 लाख दलित और 2.75 लाख कुर्मी मतदाता हैं। इसमें कुर्मी मतदाता बड़ी संख्या में भाजपा के साथ गया है। हालांकि 10 से 15 फीसद कुर्मी मतदाता सपा प्रत्याशी को भी मिलने की बात सामने आ रही है। इसके साथ सपा को ब्रह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ, किसान, मौर्य, कश्यप आदि मतदाताओं में से भी 10 से 20 फीसद वोट मिलने की बात कही जा रही है। इन मतदाताओं का बड़ा हिस्सा भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में गया है, लेकिन बरेली में प्रत्याशियों की जीत-हार का फैसला दलित मतदाताओं के भरोसे है। दलित समाज के प्रमुख लोगों का कहना है कि भाजपा संविधान और आरक्षण को खत्म करने की कोशिश में जुटी है। इसलिए संविधान और आरक्षण बचाने के लिए मतदान किया गया है। बेरोजगारी और महंगाई भी मुद्दा था, लेकिन दलित मतदाताओं ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर मतदान किया है।

4 जून बरेली को मिलेगा नया सांसद
बरेली लोकसभा में दलित मतदाता करीब 70 फीसद इंडिया गठबंधन के साथ जाने की बात बताई जा रही है, तो बाकी 30 फीसद यानी ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। अगर, 70 के बजाय 60 फीसद दलित मतदाताओं ने भी इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोट किया है, तो सपा प्रत्याशी की जीत तय है, लेकिन अगर, भाजपा को 60 फीसद वोट मिले हैं, तो रिज़ल्ट भाजपा के पक्ष में भी हो सकता है। हालांकि, यह सिर्फ समीकरण हैं। जीत हार का फैसला 4 जून को होगा। मगर, सियासी समीकरणों पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। 

पिछली बार की अपेक्षा कम मतदान
बरेली के 1924434 मतदाताओं में से सिर्फ 1116749 मतदाताओं यानी 58.03 फीसद ने मतदान किया है, जबकि पिछली बार 2019 के चुनाव में 61 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया था। बरेली में 1029111 पुरुष मतदाताओं में से 611371, 895247 महिला मतदाताओं में से 505363, और 76 किन्नर मतदाताओं में से 15 ने मतदान किया। जिले की विधानसभा मीरगंज में 118310 पुरुष 101797 महिला यानी 63.27.फीसद, भोजीपुरा विधानसभा में 138962 पुरुष, 115188 महिला यानी 65.31 फीसद, नबावगंंज विधानसभा में 119240 पुरुष, 98,800 महिला यानी 63.42 फीसद, बरेली शहर विधानसभा में 129539 पुरुष, 103416 महिला यानी 50.40 फीसदी और कैंट विधानसभा में सबसे कम 105320 पुरुष, 86112 महिला यानी 50.21 फीसद मतदाताओं ने मतदान किया। 

76 में से 15 थर्ड जेंडर ने किया मतदान
इस बार बरेली के थर्ड जेंडर ने भी कम मतदान किया है। बरेली में 76 थर्ड जेंडर मतदाता थे, लेकिन 15 मत ही पड़े। आंवला लोकसभा में कुल 47 की संख्या होने के बावजूद भी वोटिंग का आंकड़ा दहाई के अंक को भी पार नहीं कर पाया। महज 9 ने ही मतदान में रूचि ली।
 

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