यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू को 11 साल बाद पैरोल पर रिहा किया गया है, जिससे शाहजहांपुर की पीड़िता और उसका परिवार दहशत में हैं।
जेल से बाहर आया आसाराम : 11 साल बाद पीड़िता के पिता ने जताया खतरा, शाहजहांपुर की लड़की के साथ दुष्कर्म की काट रहा सजा
Aug 17, 2024 19:19
Aug 17, 2024 19:19
आसाराम के पैरोल को पीड़िता के पिता ने बताया प्रोपेगेंडा
पीड़िता के पिता ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आसाराम जेल से बाहर आकर प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है। उनका मानना है कि यदि वास्तव में इलाज की जरूरत थी, तो जोधपुर में ही उसका इलाज संभव था, लेकिन आसाराम को पैरोल मिलने से परिवार की सुरक्षा को खतरा महसूस हो रहा है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है, ताकि उनकी और उनके परिवार की जान को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।
पीड़िता के पिता ने बताई आपबीती
पीड़िता के पिता ने अपनी चिंता और डर को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब आसाराम जेल में था, तब भी उनके परिवार को निशाना बनाया गया था। उन्होंने याद दिलाया कि 10 जुलाई 2015 को शाहजहांपुर के कैंट क्षेत्र में मुकदमे के मुख्य गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा, मुजफ्फरनगर में एक अन्य गवाह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इन घटनाओं के बाद, परिवार की चिंता स्वाभाविक है कि अब जब आसाराम जेल से बाहर आ रहा है, तो उनके लिए खतरा और भी बढ़ सकता है।
2018 में मिली थी सजा
आसाराम बापू को 2013 में शाहजहांपुर में रहने वाली 16 साल की लड़की के साथ अपने जोधपुर स्थित आश्रम में यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उन्हें 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अब, 11 साल बाद, आसाराम को पैरोल पर जेल से बाहर आने का मौका मिला है, जिससे पीड़िता का परिवार असहज महसूस कर रहा है।
एसपी ने दिया सुरक्षा का आश्वासन
शाहजहांपुर के एसपी अशोक कुमार मीणा ने बताया कि पीड़िता के घर पर पुलिस बल पहले से ही तैनात है। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता के पिता को कोर्ट के काम के लिए बाहर जाना पड़ता है, इसलिए उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें एक गनर भी प्रदान किया गया है। एसपी मीणा ने आश्वासन दिया कि पुलिस पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इस घटनाक्रम से साफ है कि आसाराम को पैरोल मिलने से पीड़िता का परिवार एक बार फिर से दहशत में है। ऐसे में प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इस परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और उन्हें किसी भी संभावित खतरे से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
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