बच्चा या बच्ची जब घर से भाग जाते हैं तो उन्हे संवेदना और सहयोग की जरूरत होती है, उन्हें प्यार से समझा कर पुनः रास्ते पर लाया जा सकता है...
Basti News : गुस्से में नाबालिग बच्चे का परित्याग करना दंडनीय, अभिभावक पर हो सकती है कार्रवाई
Apr 02, 2024 19:09
Apr 02, 2024 19:09
- नाबालिग के साथ किसी को भी मनमानी का अधिकार नहीं
- बच्चे का अकारण परित्याग करना दंडनीय अपराध
- तीन साल जेल और एक लाख रुपये जुर्माने का है प्रावधान
अपने बच्चों का ही सहयोग नहीं करते परिवारजन
सीडब्लूसी (CWC) के सभापति प्रेरक ने कहा कि अधिकतर मामलों में अभिभावक अपनी नाबालिग बेटी के घर से भाग जाने के बाद थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट तो दर्ज करवा देते हैं। पुलिस मामला दर्ज करने के बाद बालिका को जब बरामद कर लेती है तो कानूनी कार्यवाही में अभिभावक से सहयोग मांगती है। लेकिन अभिभावक पीछे हट जाते हैं। यहां तक कि माताएं बालिका के मेडिकल जांच की प्रक्रिया पूर्ण करवाने के लिए बार-बार बुलाने पर भी नहीं आती हैं। इतना ही नहीं नाबालिग लड़की को अपने साथ घर ले जाने से भी मना कर दिया जाता है।
तीन साल की सजा के साथ एक लाख का जुर्माना
प्रेरक मिश्रा ने बताया कि इसे जेजे एक्ट में बच्चे के प्रति क्रूरता कहा गया है। जेजे एक्ट 2015 की धारा 75 के अंतर्गत बच्चे का अकारण परित्याग करना दंडनीय अपराध है। इसके तहत माता-पिता को तीन वर्ष की जेल के साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है। प्रेरक मिश्रा ने कहा कि बच्चा या बच्ची जब घर से भाग जाते हैं तो उन्हे संवेदना और सहयोग की जरूरत होती है। उन्हें प्यार से समझा कर दोबारा रास्ते पर लाया जा सकता है। भटके हुए बालक और बालिका को संवाद और काउंसिलिंग के जरिए दोबारा मुख्य धारा में लाने की जरूरत होती है। इस प्रकार के अभिभावकों पर इस अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा, किसी को भी बाल हित के साथ मनमानी करने का अधिकार नहीं है।
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