न अंतिम संस्कार, न विवाह समारोह : बस्ती में वीरान पड़ा 4 करोड़ का निर्माण स्थल, नगर पालिका भी मौन

बस्ती में वीरान पड़ा 4 करोड़ का निर्माण स्थल, नगर पालिका भी मौन
UPT | बस्ती में वीरान पड़ा निर्माण स्थल

Dec 07, 2024 19:38

बस्ती के अमहटघाट के पास लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से बने अंत्येष्टि स्थल की हालत आज भी खस्ता है। यह स्थल लगभग 12 साल से वीरान पड़ा हुआ है...

Dec 07, 2024 19:38

Basti News : बस्ती के अमहटघाट के पास लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से बने अंत्येष्टि स्थल की हालत आज भी खस्ता है। यह स्थल लगभग 12 साल से वीरान पड़ा हुआ है। इस अवधि में न तो यहां कोई अर्थी आई और न ही कोई डोली उठी। नगर पालिका ने इसे विवाह घर के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह योजना कागजों तक ही सिमट कर रह गई। इस परियोजना के असफल होने से स्थानीय प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।

विकास योजना के तहत किया गया था विकसित
इस अंत्येष्टि स्थल का निर्माण 2012 में शुरू हुआ था, जब इसे अंत्येष्टि स्थलों के विकास योजना के तहत विकसित करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, निर्माण के दौरान ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे, जिसके कारण कार्य में देरी हुई और यह परियोजना सात साल तक ठप रही। 14 जनवरी 2019 को नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी और अन्य नेताओं की उपस्थिति में इसका लोकार्पण हुआ, लेकिन इसके बाद भी यहां कोई कार्य नहीं हुआ, जिससे यह स्थल आज भी उपेक्षित पड़ा हुआ है।



विवाह घर के रूप में इस्तेमाल करने की थी योजना
नगर पालिका ने इस स्थल का इस्तेमाल विवाह घर के रूप में करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह योजना भी सफल नहीं हो सकी। विवाह घर की योजना भी केवल कागजों तक ही सीमित रही और वास्तविकता में इसका कोई उपयोग नहीं हुआ। अब स्थिति यह है कि यहां के घाट धंस चुके हैं, चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं और पूरा परिसर वीरान और बदहाल नजर आता है। जिम्मेदार अधिकारी इस स्थिति की ओर लगातार अनदेखा कर रहे हैं, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा
वहीं इस परियोजना के असफल होने के बाद, नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष नेहा वर्मा ने बताया कि इस स्थल को पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा। हालांकि, कई सालों की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब यह सवाल उठने लगा है कि 4 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुई इस परियोजना का आखिरकार क्या होगा। 

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