अतुल की मौत के बाद अब दहेज कानून के दुरुपयोग पर भी बहस शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामले में इस कानून पर चिंता जताई है...
अतुल सुभाष सुसाइड केस : दहेज कानून के दुरुपयोग पर उठे सवाल, 24 पन्नों के सुसाइड नोट ने खोली व्यवस्था की पोल
Dec 12, 2024 14:59
Dec 12, 2024 14:59
दहेज कानून और उसका इतिहास
भारत में दहेज कुप्रथा को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाए गए थे। सबसे पहला महत्वपूर्ण कानून था "दहेज निषेध अधिनियम, 1961", जिसे दहेज लेने और देने को अपराध मानते हुए पारित किया गया। इसके बाद महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए "घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005" भी बनाया गया, जो दहेज से उत्पन्न होने वाली हिंसा को रोकने में सहायक सिद्ध हुआ।
आईपीसी मे दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के लिए प्रावधान
इससे पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्याओं के लिए प्रावधान किए गए थे। दहेज से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए आईपीसी की धारा 498, 1983 में पारित की गई। यह धारा किसी भी रूप में दहेज उत्पीड़न करने को दंडनीय और गैर-जमानती बनाती है। इसके साथ ही, दहेज हत्या को रोकने के लिए आईपीसी की धारा 304B बनाई गई, जिसमें सात साल के भीतर दहेज से जुड़ी घटनाओं को विशेष ध्यान में रखा गया।
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धारा 304B क्या है?
धारा 304B के तहत अगर किसी महिला की मृत्यु शादी के सात साल के भीतर होती है और यह साबित होता है कि उसने दहेज के कारण या पति और उसके परिवार द्वारा उत्पीड़न झेला था, तो इसे दहेज हत्या माना जाता है। दहेज हत्या के लिए कम से कम सात साल की सजा और अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान है। इस प्रकार के कानूनों का उद्देश्य दहेज के नाम पर होने वाली हिंसा और उत्पीड़न को रोकना था, लेकिन कई बार इनका दुरुपयोग भी हुआ है।
दहेज कानून का दुरुपयोग
भारत में दहेज कानूनों के दुरुपयोग की घटनाएं बढ़ने लगीं, जिससे एक नया विवाद उत्पन्न हुआ। अदालतों में दर्ज दहेज उत्पीड़न के मामलों के बाद यह देखा गया कि कई बार निर्दोष परिवारों को फंसाने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है और अदालतों को सुझाव दिया कि वे दहेज उत्पीड़न के मामलों में सावधानी बरतें। अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दहेज के आरोपों का दुरुपयोग न हो और निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए।
पति के परिवार के सदस्यों को फंसाने की कोशिश
जस्टिस बीवी नागरत्ना व जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह भी कहा कि अगर वैवाहिक विवाद से उत्पन्न किसी अपराधी मामले में विशिष्ट आरोप नहीं हैं, तो परिवार के अन्य सदस्यों का नाम प्रारंभ में ही नहीं जोड़ा जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि जब भी दहेज उत्पीड़न का मामला सामने आता है, तो अक्सर पति के परिवार के सभी सदस्यों को फंसाने की कोशिश की जाती है और इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि दहेज कानूनों के दुरुपयोग से बचने के लिए कोर्ट को सक्रियता से काम करना चाहिए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामले में परिवार के सदस्यों को बिना ठोस आरोप के फंसाना गलत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस फैसले को भी खारिज किया, जिसमें एक व्यक्ति और उसके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला रद्द करने से मना कर दिया गया था।
पहली बार नहीं हुआ ऐसा
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब अदालत ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। इससे पहले सितंबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के दुरुपयोग को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। 3 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अनुरोध किया था कि वह भारतीय दंड संहिता में आवश्यक बदलाव करे ताकि इस कानून का दुरुपयोग रोका जा सके।
क्या कहते हैं दहेज कानून के आंकड़े
हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) दहेज उत्पीड़न के झूठे मामलों को अलग से दर्ज नहीं करता, लेकिन यह दहेज निषेध अधिनियम के तहत झूठे मामलों के आंकड़े एकत्र करता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 356 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें झूठे आरोप लगाए गए थे। वहीं 2021 में यह आंकड़ा 418 और 2020 में 297 था। 2019 में सबसे ज्यादा 462 झूठे मामले सामने आए थे, जो दहेज उत्पीड़न के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल उठाते हैं।
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दहेज कानून के दुरुपयोग का मामला
मुंबई की वकील आभा सिंह ने एक उदाहरण पेश करते हुए दहेज कानून के दुरुपयोग की कड़ी आलोचना की। उन्होंने अतुल सुभाष के मामले को एक घोर दुरुपयोग का उदाहरण बताया, जिसमें झूठे आरोपों के कारण पीड़ित ने आत्महत्या कर ली। आभा सिंह ने कहा कि अगर कुछ महिलाएं दहेज कानून का गलत इस्तेमाल करती हैं, तो यह उन महिलाओं के लिए नुकसानदायक होगा जिन्हें असल में सुरक्षा और न्याय की जरूरत है।
पुरुष अधिकार कार्यकर्ता ने किया जिक्र
इसके अलावा, दिल्ली स्थित पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहान ने भी इस पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अतुल सुभाष जैसे मामलों में सिस्टम ने पूरी तरह से विफलता दिखाई, जिसके चलते एक व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि दहेज कानून को महिलाओं की सुरक्षा के लिए तो लागू किया गया था, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में विफलता हो रही है। बता दें कि, भारत में दहेज कानूनों का उद्देश्य महिलाओं को दहेज के उत्पीड़न से बचाना और उन्हें न्याय प्रदान करना है। हालांकि, इन कानूनों का दुरुपयोग भी हो रहा है और इसके कारण कई निर्दोष लोग परेशान हो रहे हैं। इसके बावजूद, दहेज कुप्रथा का उन्मूलन और महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसे कानूनों की आवश्यकता बनी हुई है।
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि जौनपुर के रहने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने मंगलवार को अपनी पत्नी निकिता और उसके परिवार के अन्य सदस्यों पर उत्पीड़न और झूठे मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। अतुल ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट और एक वीडियो भी छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी, सास निशा, साले अनुराग सिंघानिया और पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाया गया और इन आरोपों के निपटारे के लिए तीन करोड़ रुपये की मांग की गई। अतुल ने वीडियो में जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी आरोप लगाए हैं। जज के पेशकार माधव पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, जिन्होंने मामले का निपटारा करने के लिए पांच लाख रुपये की घूस मांगी थी।
दहेज प्रताड़ना का भी पत्नी ने लगाया आरोप
निकिता ने अपने पति अतुल, सास, ससुर और देवर के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में मुकदमा दायर किया था। उसके अनुसार, 26 अप्रैल 2019 को अतुल से उसकी शादी हुई थी और शादी के बाद उसे दहेज में 10 लाख रुपये की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित किया गया। निकिता ने बताया कि 16 अगस्त 2019 को जब वह मायके गईं, तो अतुल ने उससे 10 लाख रुपये की मांग की। अगले दिन उसके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद, 17 मई 2021 को अतुल ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया, तब से वह अपने मायके में रह रही थीं। अतुल ने कोर्ट में यह दावा किया था कि एक 40 लाख रुपये सालाना कमाने वाला व्यक्ति दहेज में 10 लाख रुपये क्यों मांगेगा।
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12 Dec 2024 03:46 PM
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद, जिस कंपनी में वे कार्यरत थे, उस पर भी सवाल खड़े हुए। Accenture, जो एक प्रमुख आईटी कंपनी है, ने इस मामले में कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। कंपनी ने अपने आधिकारिक X अकाउंट को लॉक कर दिया है। और पढ़ें