बस्ती में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई और कुछ को तो अपनी आंखें भी गवानी पड़ीं। मामले पर योगी सरकार ने संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए, हालांकि डिप्टी सीएमओ ने डॉक्टर को क्लीन चिट दी।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई : योगी सरकार ने लिया संज्ञान, मामले की जांच के आदेश दिए
Jan 15, 2025 16:56
Jan 15, 2025 16:56
ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में गंभीर समस्याएं
गैलेक्सी हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का इलाज करवाने आए मरीजों की आंखों की हालत बहुत खराब हो गई। इनमें से कई मरीजों की आंखों से पट्टी हटने के बाद उनकी आंखों में कम रोशनी आई, जबकि कुछ मरीजों को पूरी तरह से दिखाई देना बंद हो गया। एक मरीज, राम पराग, की हालत इतनी बिगड़ गई कि उसे अपनी आंखें तक निकालनी पड़ी। यह हालात देखकर मरीजों में भारी आक्रोश फैल गया है। उन्हें अब यह एहसास हो रहा है कि उन्होंने ऑपरेशन कराने के लिए गलत जगह का चयन किया था।
मरीजों का आरोप है कि डॉक्टर पवन मिश्रा ने आयुष्मान कार्ड के तहत गरीब मरीजों को ऑपरेशन के लिए बुलाया और बिना किसी उचित जांच के ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद जब मरीजों ने शिकायत की, तो उन्हें बताया गया कि यह सब उनकी गलती है, क्योंकि उन्होंने आंखों का सही तरीके से ख्याल नहीं रखा।
डिप्टी सीएमओ द्वारा की गई लीपा-पोती और जांच की स्थिति
मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉक्टर रामशंकर दूबे ने पुष्टि की है कि डिप्टी सीएमओ डॉक्टर एसबी सिंह जांच कर रहे हैं। हालांकि, जांच रिपोर्ट में डॉक्टर पवन मिश्रा की गलती नहीं पाई गई है, और डिप्टी सीएमओ ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। इस पर मरीजों और उनके परिजनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी और अस्पताल प्रबंधन के बीच मिलकर गरीब मरीजों का शोषण किया गया है।
इस बीच, कुछ मरीजों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उनकी आंखों में डॉक्टर ने कुछ विशेष आई ड्रॉप डाले, जिनकी वजह से उनकी हालत और बिगड़ गई। इस पर भी जांच जारी है।
डॉक्टर पवन मिश्रा का आरोपों से इंकार
गैलेक्सी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन मिश्रा ने सभी आरोपों से साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि ऑपरेशन के दौरान किसी भी प्रकार की गलती नहीं हुई है और जिन मरीजों को बाद में समस्याएं हुई हैं, वह मरीजों की अपनी गलती हो सकती है। डॉक्टर का दावा है कि ऑपरेशन में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है। उनका कहना है कि वह उन मरीजों का इलाज करेंगे, जिनकी आंखों में ऑपरेशन के बाद दिक्कत आई है, और उनके उपचार में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। हालांकि, उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करने से साफ मना कर दिया है।
आयुष्मान कार्ड के मरीजों का शोषण
एक और चिंता की बात यह सामने आई है कि गैलेक्सी अस्पताल में ऑपरेशन के लिए अधिकतर मरीज आयुष्मान कार्ड धारक थे। डॉक्टर पवन मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर इन मरीजों को ढूंढ-ढूंढकर इलाज के लिए बुलाया था, जबकि इन मरीजों का ऑपरेशन बिना उचित जांच के किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने गरीबों के इलाज को एक व्यवसाय बना दिया है, जिससे उनके जीवन को गंभीर संकट का सामना करना पड़ा।
मरीजों और उनके परिवारों की चिंताएं
पीड़ित मरीजों और उनके परिवारों ने अब स्वास्थ्य विभाग से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जांच सही तरीके से की जाती, तो उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से खराब नहीं होती। कई मरीजों ने यह भी कहा कि वे अस्पताल के झांसे में आकर अपनी आंखें गवा बैठे और अब उन्हें कोई उम्मीद नहीं बची है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी प्रकार की मदद देने से मना कर दिया है।
योगी सरकार ने लिया संज्ञान
इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद, योगी सरकार ने मामले का संज्ञान लिया और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने तत्काल जांच के आदेश दिए। सरकार का कहना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित मरीजों ने उम्मीद जताई है कि जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि ऐसे मामलों से भविष्य में बचा जा सके।
आंखों में आई समस्या गंभीर चिंता का विषय
बस्ती में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में आई समस्या गंभीर चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विभाग की लीपा-पोती और जांच की निष्कलंक प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। डॉक्टर पवन मिश्रा का आरोपों से इंकार और मरीजों के लगातार बढ़ते हुए दर्द को देखते हुए, यह मामला एक बड़े स्वास्थ्य घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि गरीबों के इलाज के नाम पर शोषण की रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
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