बुंदेलखंड क्षेत्र जो दाल का कटोरा कहा जाता था, यानी पूरे प्रदेश में अकेला दाल की आपूर्ति करने वाला बुंदेलखंड के किसानों का दलहनी फसलों से पूरी तरह मोहभंग होकर पूरा ध्यान...
Hamirpur News : किसानों का दलहनी फसलों से हो रहा मोहभंग, जानिए क्या है कारण…
Sep 26, 2024 20:04
Sep 26, 2024 20:04
बुंदेलखंड को जाना जाता था प्रदेश को दाल आपूर्ति करने वाला क्षेत्र
20 साल पहले बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश को दाल की आपूर्ति करने वाला क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। सिंचाई के अभाव में किया क्षेत्र खरीफ फसल में समतल जैसी भूमि में दलहन की खेती करता था। जिले में वर्तमान में तीन लाख हेक्टेयर जमीन में खरीफ की फसल बोने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें करीब 2 लाख हैक्टेयर भूमि में फसल बोई जाती है। बाकी जमीन खाली पड़ी रहती है। बाजरा का लक्ष्य 94 हेक्टेयर है। जिसमें किसानों ने 98 हेक्टेयर फसल बोई है l
केवल 46 हजार हेक्टेयर में दलहनी फसल बोई
हमीरपुर जिले के उप निदेशक कृषि हरिशंकर भार्गव ने बताया कि शासन में दलहनी फसलों में 21 हजार हेक्टेयर मूंग लक्ष्य के विपरीत 3 हजार 7 सौ व अरहर की फसल बोने का लक्ष्य 20165 हेक्टेयर रखा गया है। जिसमें किसानों ने 21 हजार हेक्टेयर बोने का दावा किया है। कुल मिलाकर केवल 46 हजार हेक्टेयर में दलहनी फसल किसानों ने बोई है l
शासन लेता है बुंदेलखंड की फसलों की रिपोर्ट
हमीरपुर जिले में किसानों का दिल की फसल के प्रति काफी जागरूकता आई है। जिले में 46894 हेक्टेयर भूमि में तिल की फसल बोई गई है, जबकि मूंगफली की फसल केवल 872 हेक्टेयर में बोई गई है। सोयाबीन की फसल केवल 3 हेक्टेयर में ही बोई गई है l उपनिदेशक कृषि हरिशंकर भार्गव का कहना है कि तिल की खेती में ज्यादा पानी बरसने से नष्ट हो जाती है। 2 साल से किसानों को इस फसल में नुकसान हो रहा है, हालांकि शासन पूरे बुंदेलखंड की फसलों की रिपोर्ट लेता रहता है l