बहराइच में आदमखोर भेड़िया ने एक बार फिर से हमला किया है। "लंगड़ा सरदार" ने दो अलग-अलग गांवों में हमले किए। पहला हमला गडरियन पुरवा मैकुपुरवा गांव में हुआ और दूसरा हमला भवानीपुर गांव में हुआ।
बहराइच में भेड़िये का आतंक : फिर 2 बच्चियों पर किया हमला, 'लंगड़ा सरदार' घसीटकर सड़क तक ले गया
Sep 11, 2024 16:34
Sep 11, 2024 16:34
मैकुपुरवा और भवानीपुर गांव में किया हमला
10 सितंबर की रात को, एक भेड़िया, जिसे गांव वालों ने "लंगड़ा सरदार" नाम दिया है, ने दो अलग-अलग गांवों में हमले किए। पहला हमला गडरियन पुरवा मैकुपुरवा गांव में हुआ, जहां 11 साल की सुमन पर हमला किया गया। वहीं दूसरा हमला भवानीपुर गांव में हुआ, जहां बुधवार की तड़के 5 बजे के आसपास भेड़िया एक घर में घुस गया। यहां सो रही 10 साल की शिवानी पर हमला कर दिया। दोनों बच्चियों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तत्काल अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया है।
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गडरियन पुरवा मैकुपुरवा गांव में बच्ची पर हुए हमले के बारे में उसकी मां लज्जावती ने बताया कि मंगलवार की रात लगभग एक बजे, जब वह अपनी बेटी के साथ सो रही थी, भेड़िये ने अचानक हमला कर दिया। उसने बच्ची को घसीटकर सड़क तक ले जाने की कोशिश की, लेकिन बच्ची की चीखों ने परिवार और पड़ोसियों को जगा दिया, जिससे भेड़िया भाग गया।
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भवानीपुर गांव में, हमला बुधवार की तड़के लगभग पांच बजे हुआ। आदमखोर भेड़िया एक घर में घुस गया और सो रही शिवानी पर हमला कर दिया। इस मामले में भी, बच्ची के चीखने की आवाज ने परिवार के सदस्यों को जगा दिया, जिन्होंने तुरंत मदद के लिए दौड़ लगाई, जिससे भेड़िया भाग गया।
भेड़ियों ने 50 से अधिक गांवों में मचाया आतंक
बहराइच जिले के महसी तहसील में 17 जुलाई से वन विभाग "ऑपरेशन भेड़िया" अभियान चला रहा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में सक्रिय छह आदमखोर भेड़ियों के एक समूह को पकड़ना है। इन भेड़ियों ने अब तक 50 से अधिक गांवों में आतंक मचाया है, जिसमें नौ बच्चों सहित दस लोगों की जान ले ली है और 50 से अधिक लोगों को घायल कर दिया है।
"लंगड़ा सरदार" सबसे ज्यादा खतरनाक
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब तक अंतिम भेड़िया, जिसे "लंगड़ा सरदार" के नाम से जाना जाता है, को पकड़ नहीं लिया जाता, तब तक खतरा बरकरार रहेगा। यह भेड़िया विशेष रूप से खतरनाक माना जाता है और इसने कई हमलों को अंजाम दिया है।
ऑपरेशन भेड़िया में 500 कर्मी कर रहे कॉम्बिंग
स्थिति से निपटने के लिए, वन विभाग ने एक बड़ा अभियान शुरू किया है। लगभग 500 कर्मचारी, जिनमें वन विभाग के अधिकारी और अन्य सरकारी एजेंसियों के सदस्य शामिल हैं, क्षेत्र में कॉम्बिंग कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही पांच आदमखोर भेड़ियों को पकड़ लिया है, जिनमें से एक को हाल ही में 10 सितंबर को पकड़ा गया था।
लोगों की जागरूकता ने बचाई बच्चियों की जान
जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) राघवेंद्र द्विवेदी ने स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "हालांकि हाल के हमले चिंताजनक हैं, लेकिन यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि इससे पहले सात दिनों तक कोई हमला नहीं हुआ था। हम लगातार स्थानीय समुदायों को जागरूक कर रहे हैं ताकि वे सतर्क रहें। वास्तव में, लोगों की जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया ने इन दो नवीनतम मामलों में बच्चियों की जान बचाई।"
ग्रामीणों में डर कायम, अधिकारियों ने दिया आश्वासन
भेड़ियों के लगातार हमलों ने ग्रामीणों में भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष रूप से चिंतित हैं, क्योंकि अधिकांश पीड़ित बच्चे ही रहे हैं। कई परिवार अब अपने बच्चों को बिना किसी वयस्क की निगरानी के बाहर खेलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं और कुछ ने तो रात में अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने की आदत डाल ली है। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई थी कि पांच भेड़ियों के पकड़े जाने के बाद स्थिति में सुधार होगा। हालांकि, नवीनतम हमलों ने इस उम्मीद को तोड़ दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि खतरा अभी भी मौजूद है। वहीं अधिकारियों का मानना है कि वे जल्द ही अंतिम आदमखोर भेड़िये को भी पकड़ लेंगे।
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