गोंडा के कोतवाली नगर क्षेत्र में नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दोषी व्यक्ति को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह निर्णय पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत...
पॉक्सो अधिनियम के तहत कड़ा निर्देश : नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 वर्ष का कारावास
Jul 06, 2024 14:23
Jul 06, 2024 14:23
- पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश द्वारा आरोपी को कारावास की सजा।
- बहाने से बुलाया था घर
- आरोपी पर अपहरण और दुष्कर्म का मामला
ये है मामला
घटना फरवरी 2018 की है, पीड़ित पक्ष के अनुसार गोंडा के कोतवाली नगर क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग लड़की को हरिनंदन गुप्ता नामक व्यक्ति ने अपने घर बुलाया। उसने लड़की को यह कहकर बुलाया कि उसकी मां और बहन उससे मिलना चाहती हैं। जब लड़की उसके घर पहुंची, तो वहां कोई नहीं था। इस मौके का फायदा उठाते हुए हरिनंदन ने लड़की के साथ जबरन दुष्कर्म किया। इसके बाद उसने लड़की को धमकी दी और कहा कि वह उसके बालिक होने पर उससे शादी कर लेगा। यह घटना काफी समय तक छिपी रही, क्योंकि अभियुक्त ने लड़की को धमकाकर चुप रहने के लिए मजबूर किया था। हालांकि, जब लड़की बालिक हुई, तो हरिनंदन ने शादी करने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उसके माता-पिता ने भी पहले शादी का वादा किया था, लेकिन बाद में वह भी मुकर गए।
पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई
अगस्त 2019 में, पीड़िता ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शुरू में, पुलिस ने मामले को सुलझाने की कोशिश की और दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया। लेकिन जब आरोपी ने शादी से इनकार कर दिया और लड़की को जान से मारने की धमकी दी, तो मामला गंभीर हो गया। इसके बाद, पीड़िता ने पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) को एक प्रार्थना पत्र लिखा जिसके आधार पर मामले की गंभीर जांच शुरू की गई।
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आरोपी के खिलाफ मिले पुख्ता सबूत
पुलिस ने मामले की गहन जांच की और पाया कि अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध के पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं। इसके आधार पर, पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय में विचार के दौरान,पीडित पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाहों के बयान पेश किए। इन साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर, न्यायालय ने पाया कि आरोपी हरिनंदन गुप्ता दोषी है।
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बाल यौन शोषण मामले में कोई रियायत नहीं
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला न केवल व्यक्तिगत अपराध का है, बल्कि यह समाज के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों से न केवल पीड़िता का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि यह समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है। न्यायाधीश ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि बाल यौन शोषण के मामलों में कोई रियायत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि 20 साल का कठोर कारावास और 35,000 रुपये का अर्थदंड न केवल इस मामले में न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह अन्य अपराधियों के लिए भी एक चेतावनी का काम करेगा।
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