भारत की विदेश नीति में बदलाव: ' इंडिया फर्स्ट' की भावना के साथ आगे बढ़ा देश, आज हम आत्मनिर्भर, जानें किसने कही ये बात

इंडिया फर्स्ट' की भावना के साथ आगे बढ़ा देश, आज हम आत्मनिर्भर, जानें किसने कही ये बात
UPT | संगोष्ठी में विचार रखते वक्ता।

Sep 08, 2024 18:19

भारत की विदेश नीति में पिछले कुछ वर्षों में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर गोरखपुर के महाराणा प्रताप पीजी (एमपीपीजी) कॉलेज जंगल धूसड़ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।

Sep 08, 2024 18:19

Gorakhpur News : भारत की विदेश नीति में पिछले कुछ वर्षों में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर गोरखपुर के महाराणा प्रताप पीजी (एमपीपीजी) कॉलेज जंगल धूसड़ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। इस संगोष्ठी का विषय था ‘भारतीय विदेश नीति के बदलते आयाम : 2019 से अब तक,’ जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों और विद्वानों ने भारत की विदेश नीति में आए बदलावों और उसके प्रभावों पर चर्चा की।

भारत का बढ़ता प्रभाव और वैश्विक नेतृत्व
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, नेपाल, बेल्जियम और लक्जमबर्ग में भारत के पूर्व राजदूत मंजीव पुरी ने कहा कि आज का भारत आत्मनिर्भर और सशक्त है, जो किसी भी बाहरी दबाव या धमकियों की परवाह नहीं करता। उन्होंने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश है, जिसे कोई भी दबाव में लाने का प्रयास नहीं कर सकता। पिछले दस वर्षों में भारत की विदेश नीति में आई मजबूती को उन्होंने सशक्त नेतृत्व का परिणाम बताया।

पुरी ने जोर देते हुए कहा कि किसी भी देश की मजबूती का सबसे बड़ा आधार उसकी अर्थव्यवस्था होती है। आज भारत, 3.7 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इसका सीधा प्रभाव भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर पड़ा है, जिसका उदाहरण 2023 में भारत द्वारा जी-20 जैसे वैश्विक समूह का नेतृत्व करना है। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से एक ऐसे वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है, जो आने वाले समय में पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा।

‘इंडिया फर्स्ट’ की भावना से संचालित विदेश नीति 
समारोह की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) आरपी शाही ने कहा कि भारत की विदेश नीति अब समय के अनुरूप और तेजी से बदलने वाली हो गई है। 2019 के बाद से, भारत की विदेश नीति में एक नया आयाम देखा गया है, जहां ‘इंडिया फर्स्ट’ की भावना प्रमुख है। अब जब भी दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई संकट आता है, तो उम्मीद की जाती है कि भारत उसमें हस्तक्षेप करे।

श्री शाही ने उदाहरण दिया कि जब पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी, तब भारत की कूटनीति इतनी मजबूत थी कि किसी भी बड़े देश ने भारत के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि आज भारत की विदेश नीति इतनी स्पष्ट और मजबूत है कि जहां भी देश के हित की बात होगी, भारत अपना कदम पीछे नहीं खींचेगा। साथ ही, भारतीय विदेश नीति ने भारतीयों के संकट में मदद के लिए तुरंत कार्रवाई करने की दिशा में भी खुद को साबित किया है।

भारत की डिप्लोमेसी में आर्थिक पहलू की अहमियत
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर अरविंद कुमार ने विस्तार से बताया कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कूटनीति को पूरी तरह से पुनर्गठित किया है। खासकर चीन जैसी ताकतों की विस्तारवादी नीतियों का सामना करते हुए भारत ने उन्हें बातचीत के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी राजनीतिक कूटनीति को आर्थिक कूटनीति की ओर स्थानांतरित किया है।

प्रोफेसर कुमार ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी ने विश्व समुदाय के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। भारत ने न केवल अपनी वैक्सीन का निर्माण किया, बल्कि अन्य देशों को भी समय पर मदद पहुंचाई। उन्होंने बताया कि भारत आज अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों के साथ कूटनीतिक तौर पर ‘बारगेनिंग’ की स्थिति में है, जो भारत की कूटनीतिक मजबूती को दर्शाता है।

संगोष्ठी के उद्देश्य और भविष्य की दिशा
एमपीपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम छात्रों और विद्वानों को विदेश नीति जैसे जटिल मुद्दों पर गहराई से विचार करने का अवसर प्रदान करते हैं। संगोष्ठी के समापन सत्र में विभिन्न सत्रों की रिपोर्ट राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष हरिकेश यादव ने प्रस्तुत की।

इस दो दिवसीय संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत और संचालन डॉ. सलिल कुमार पांडेय ने किया। इस अवसर पर प्रमथनाथ मिश्रा, प्रो. तेज प्रताप सिंह, डॉ. श्रीभगवान सिंह, डॉ. अविनाश प्रताप सिंह, डॉ. सत्यपाल सिंह, डॉ. आमोद राय, डॉ. उग्रसेन सिंह, डॉ. घनश्याम शर्मा, डॉ. अभय प्रताप सिंह सहित अन्य कई विद्वान उपस्थित थे।

वैश्विक मंच पर भारत का उभरता नेतृत्व
इस संगोष्ठी के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि 2019 के बाद से भारत की विदेश नीति में जो परिवर्तन आए हैं, वे न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बना रहे हैं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत अब न केवल अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि विश्व मंच पर एक प्रभावशाली और जिम्मेदार नेतृत्व के रूप में उभर रहा है। ‘इंडिया फर्स्ट’ की भावना से प्रेरित यह नीति भविष्य में भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में और मजबूत करेगी। 

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