दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और न्यू जर्सी की अमेरिकन यूनिवर्सिटी फार ग्लोबल पीस शैक्षणिक व सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने हेतु ऐतिहासिक अनुबंध करेंगे। यह समझौता शैक्षिक कूटनीति को मजबूत कर, वैश्विक शोध, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और स्थायी सहयोग को बढ़ावा देगा।
ऐतिहासिक अनुबंध : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और अमेरिकन यूनिवर्सिटी के बीच सहयोग का नया अध्याय शुरू होगा
Dec 18, 2024 19:50
Dec 18, 2024 19:50
अंतरराष्ट्रीय सहयोग के उद्देश्य
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक, सांस्कृतिक और शोध क्षेत्रों में स्थायी सहयोग को बढ़ावा देना है। यह समझौता निम्नलिखित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है:
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
- छात्रों और शिक्षकों के लिए शोध और अध्ययन के अवसरों का सृजन।
- शैक्षिक कार्यक्रमों, इंटर्नशिप और संयुक्त शोध परियोजनाओं के माध्यम से दोनों देशों के बीच साझेदारी को सुदृढ़ करना।
- नवाचारपूर्ण शोध और अकादमिक कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षिक समुदायों को सशक्त बनाना।
अमेरिकन यूनिवर्सिटी फार ग्लोबल पीस एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्था है। इसका मुख्यालय न्यू जर्सी, अमेरिका में स्थित है और यह 120 से अधिक देशों में अपनी शाखाओं के माध्यम से शांति, संघर्ष अध्ययन, और शोध के क्षेत्र में काम कर रही है। यह अनुबंध गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाओं से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
जनवरी के पहले सप्ताह में अनुबंध पर हस्ताक्षर
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने जानकारी दी है कि अनुबंध पर हस्ताक्षर जनवरी के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। इस अवसर के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी का एक प्रतिनिधिमंडल गोरखपुर का दौरा करेगा।
अनुबंध के लाभ
- यह अनुबंध शैक्षिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
- दोनों विश्वविद्यालयों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान को नई ऊंचाई मिलेगी।
- छात्रों को वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने और शोध के नए अवसरों का लाभ उठाने का मौका मिलेगा।
- शिक्षकों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शोध के नए आयाम खुलेंगे।
यह समझौता भारत और अमेरिका के गहरे होते कूटनीतिक संबंधों के अनुरूप है और वैश्विक शैक्षिक कूटनीति में एक सकारात्मक दिशा प्रदान करेगा। दोनों संस्थान अपने साझा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे दोनों देशों के शैक्षणिक समुदायों को स्थायी लाभ मिलेगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शिक्षा प्रणाली को सशक्त और समृद्ध बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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