महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन वैज्ञानिक सत्रों में विशेषज्ञों ने आयुर्वेद और योग की धरोहर को आगे बढ़ाने में नाथपंथ की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। इजराइल की अनत लेविन ने प्रसूति संबंधी बीमारियों में आयुर्वेद की प्रभावशीलता को साझा किया।
आयुर्वेद और योग के आपसी संबंधों पर गहन मंथन : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में विशेषज्ञों ने कहा- प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्टता के अनुसार होता है इलाज
Jan 13, 2025 19:35
Jan 13, 2025 19:35
- महायोगी गोरखनाथ विवि में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा दिन
- प्रसूति संबंधी बीमारियों के इलाज में आयुर्वेद कारगर : अनत लेविन
- आयुर्वेद में वनस्पतियों को कहा गया है प्राण : डॉ. वीएन जोशी
गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार में आयुर्वेद की औषधियां हानिरहित हैं
दूसरे दिन के प्रथम वैज्ञानिक सत्र में इजराइल में आयुर्वेद और महिला स्वास्थ्य को लेकर कार्य कर रहीं और क्रिस्टल हीलिंग एंड काउंसिलिंग सेंटर इजराइल की डायरेक्टर अनत लेविन ने कहा कि महिलाओं की प्रसूति संबंधी बीमारियों में आयुर्वेद कारगर सिद्ध होता है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार में आयुर्वेद की औषधियां न केवल हानिरहित हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाने वाली हैं। उन्होंने कहा कि यदि गर्भवती महिला आयुर्वेद और योग सम्मत जीवनशैली अपनाए तो उसके गर्भ में पलने वाला शिशु भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के ग्रन्थों के अध्धयन से वह नाथपंथ से भी परिचित हुई हैं। नाथपंथ ने इन दोनों विधाओं को खुद में समाहित किया है।
हर व्यक्ति की विशिष्ट शारीरिक बनावट होती है
द्वितीय वैज्ञानिक सत्र में गोस्वाल फाउंडेशन उडुपी के डॉ. तन्मय गोस्वामी ने आयुर्वेद की वैश्विक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर व्यक्ति की विशिष्ट शारीरिक बनावट होती है। आयुर्वेद उसी के अनुरूप हर व्यक्ति के रोग निदान की विधि बताता है। यह आयुर्वेद ही है कि एक वैद्य मनुष्य की नाड़ी पकड़कर उसके संपूर्ण विकारों का पता लगा लेता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसके अनुसार जीवनशैली अपनाकर मनुष्य निरोग रह सकता है।
गिलोय, अश्वगंधा, हल्दी जैसी वनस्पतियों ने प्राचीनकाल से ही मानव स्वास्थ्य की रक्षा में अनिर्वचनीय योगदान दिया
एक अन्य वैज्ञानिक सत्र में यूरोपियन आयुर्वेद एसोसिएशन यूके के अकादमिक सह निदेशक डॉ. वीएन जोशी ने आयुर्वेद की औषधीय वनस्पतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में वनस्पतियों को प्राण कहा गया है। गिलोय, अश्वगंधा, हल्दी जैसी वनस्पतियों ने प्राचीनकाल से ही मानव स्वास्थ्य की रक्षा में अनिर्वचनीय योगदान दिया है।
वनस्पतियों के द्रव्य गुण पर शोध और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से हर वनस्पति किसी न किसी औषधि के लिए जरूरी द्रव्य प्रदान करती है। आज आवश्यकता इस बात की है कि वनस्पतियों के द्रव्य गुण पर शोध और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व एक बार फिर आयुर्वेद को आरोग्यता का वरदान मान चुका है। आज के वैज्ञानिक सत्रों में मुख्यमंत्री के सलाहकार एवं भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ. जीएन सिंह, इजरायल से आए डॉ. गुई लेविन, श्रीलंका से आए वनौषधि वाचस्पति डॉ. मायाराम उनियाल, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह, कुलसचिव डॉ प्रदीप राव सहित विभिन्न देशों व कई प्रांतों से आए डेलीगेट्स, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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