महाराजगंज में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को लेकर जिलाधिकारी अनुनय झा ने सख्त कदम उठाया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी एसडीएम, बीडीओ और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्होंने पराली जलाने पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
महराजगंज में पराली जलाने पर सख्ती : डीएम ने लिया एक्शन, किसानों को देना होगा जुर्माना, सैटेलाइट से की जा रही निगरानी
Nov 11, 2024 16:40
Nov 11, 2024 16:40
- डीएम ने सभी एसडीएम, बीडीओ और कृषि विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं।
- पराली जलाने वालों से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना वसूलने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
- बिना पराली प्रबंधन के कंबाइन मशीनों को तत्काल जब्त करने का आदेश।
कंबाइन मशीनों को जब्त करने के निर्देश
जिलाधिकारी अनुनय झा ने एसडीएम को निर्देश दिया कि वे लेखपालों को सक्रिय करें और उन किसानों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करें जो पराली जलाने में संलिप्त हैं। उन्होंने खास तौर पर बिना उचित पराली प्रबंधन प्रणाली के चल रही सभी कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों को तत्काल जब्त करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने की प्रक्रिया को भी सख्ती से लागू करने की बात कही।
पराली जलाने से पर्यावरणीय और सार्वजनिक नुकसान
जिलाधिकारी ने बैठक में जोर देते हुए कहा कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है, बल्कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और लोक व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके मद्देनजर, उन्होंने उप निदेशक कृषि को क्षेत्र में सचल दस्तों को सक्रिय करने के निर्देश दिए, ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि हर पंचायत में गोष्ठी आयोजित कर और विभिन्न माध्यमों से लोगों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जाए।
गौशालाओं में पराली भेजने की व्यवस्था
इस दिशा में कदम उठाते हुए, जिलाधिकारी ने खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ग्राम प्रधानों के माध्यम से पराली को गौशालाओं में भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। साथ ही, उन्होंने सभी तहसील अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे हर तहसील में कंबाइन हार्वेस्टर मालिकों के साथ बैठक करें और उन्हें पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दें।
सैटेलाइट से निगरानी और जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया
पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखने के लिए प्रशासन ने सैटेलाइट की मदद से निगरानी करने का निर्णय लिया है। जिला कृषि अधिकारी के अनुसार, सैटेलाइट के माध्यम से पराली जलाने की घटनाओं की पहचान की जा रही है। इन घटनाओं का सत्यापन कृषि और राजस्व विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है और फिर उन किसानों या हार्वेस्टर मालिकों से जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया शुरू होती है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूली की जाती है, जिसमें 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ क्षेत्रफल के लिए 5000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 15000 रुपये तक की वसूली की जाती है।
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कृषि विभाग का फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उपाय
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को फसल कटाई के समय कंबाइन हार्वेस्टर में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) का उपयोग करने या फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, ग्राम प्रधानों और पंचायत अधिकारियों को भी यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी हालत में पराली जलाने की घटना को न होने दें और किसानों को इस बारे में जागरूक करें कि पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है।
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