आयुर्वेद और योग को नाथपंथ ने बढ़ाया : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले वक्ता- देशी इलाज और एलोपैथ को साथ लेकर चलने की जरूरत
UPT | महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय व आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की तरफ से आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञ।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. टी. वीररत्न ने आयुर्वेद की वैश्विक महत्ता पर जोर देते हुए आयुर्वेद और एलोपैथ को मिलाकर स्वास्थ्य रक्षा का अभियान बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
Gorakhpur News : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) की तरफ से आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मंगलवार को हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आयुर्वेद के मर्मज्ञ डॉ. टी. वीररत्न ने कहा कि वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में आयुर्वेद की महत्ता को दुनिया ने एक बार फिर स्वीकार किया है। आज आवश्यकता है कि आयुर्वेद और एलोपैथ को मिलाकर स्वास्थ्य रक्षा का अभियान आगे बढ़ाया जाए।
आयुर्वेद और योग के अनुसार जीवनशैली अपनाने वाले लोग कम बीमार पड़ते हैं
डॉ. टी. वीररत्न ने आयुर्वेद को विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति बताते हुए कहा कि आयुर्वेद एक पवित्र चिकित्सकीय पद्धति है जो शरीर ही नहीं, आत्मा तक को शुद्ध और प्रसन्न करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के अनुसार जीवनशैली अपनाने वाले लोग कम बीमार पड़ते हैं और यदि बीमार पड़ भी गए आयुर्वेद की दवाओं से शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेते हैं। यही कारण है कि वैश्विक दवा बाजार में आयुर्वेद की औषधियों की मांग निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही दुनिया के लोग निरोगी काया के लिए योग के प्रति प्रेरित हो रहे हैं।
नाथपंथ के प्रवर्तक आदियोगी शिव ने ही योग और आयुर्वेद को अनुप्राणित किया
समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि इंग्लैंड से आए आयुर्वेद के वैद्य डॉ. वीएन जोशी ने कहा कि आयुर्वेद और योग दोनों को नाथपंथ ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि नाथपंथ का संबंध भगवान रुद्र और गौमाता से है। नाथपंथ के प्रवर्तक आदियोगी शिव ने ही योग और आयुर्वेद को अनुप्राणित किया है। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा डॉ. तन्मय गोस्वामी ने कहा कि चिकित्सा जगत में आयुर्वेद, योग और नाथपंथ को समाहित कर हुई यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि महर्षि चरक के अनुसार हमारा एक लक्ष्य होना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखना और रोगी को रोगमुक्त करना।
देश में 107 आयुर्वेदिक कालेज
इस अवसर पर आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति डॉ. एके सिंह ने कहा कि आयुष के पूरे देश में एक सौ सात आयुर्वेदिक कालेज हैं। देश-विदेश के विभिन्न आयुर्वेद कालेजों से आए हम सभी वैद्य यदि पांच-पांच गांव गोद लेते हैं तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति घर घर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें हर्बल औषधियों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। प्रायः देखा जाता है कि सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किए जाने वाले उत्पाद शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं लेकिन यदि सौन्दर्य प्रसाधनों में प्रयोग आने वाले पारद आदि धातुओं को यदि आयुर्वेदिक पद्धतियों से शोधन करके बनाते हैं तो यह शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता है।
आयुर्वेद दवा कंपनियों की मांग को देखते हुए वैल्यू एडेड कोर्स शुरू करने चाहिए
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरिंदर सिंह ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ने मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जो निष्कर्ष निकाले हैं, वे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आयुर्वेद दवा कंपनियों की मांग के देखते हुए हमें वैल्यू एडेड कोर्स शुरू करने चाहिए। उन्होंने इस संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बीएचयू के वरिष्ठ आचार्य डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, प्राध्यापकों, सभी डेलीगेट्स और बीएमएस विद्यार्थियों को साधुवाद प्रदान किया। संगोष्ठी के अंत मे सर्वश्रेष्ठ शोध प्रस्तुति सम्मान गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूटऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. अश्विथी नारायण और मेडिकल कॉलेज की डॉ. प्रियंका को प्राप्त हुआ।
ये लोग रहे मौजूद
आभार ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम, संचालन डॉ. मोहित व मंगलाचरण डॉ. सुमेश ने किया। इस अवसर पर इजरायल से आए गुई लेविन, अनत लेविन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, डॉ. अरविंद कुशवाहा, डॉ. नवीन, डॉ. दीपू मनोहर, डॉ. विनम्र शर्मा, डॉ. साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ. देवी, डॉ. प्रिया सहित देश के अन्य राज्यों और विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।
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