अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि पर हुआ कार्यक्रम : सीएम योगी बोले- पीठ की परंपरा जोड़ने की रही, बांटने वाली ताकतों से बचें

सीएम योगी बोले- पीठ की परंपरा जोड़ने की रही, बांटने वाली ताकतों से बचें
UPT | अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि पर हुआ कार्यक्रम

Sep 21, 2024 16:14

सीएम योगी ने युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन संबोधन दिया।

Sep 21, 2024 16:14

Short Highlights
  • महंत अवेद्यनाथ का किया स्मरण
  • अयोध्या से आए वासुदेवाचार्य महाराज
  • वाराणसी से भी पधारे संत
Gorakhpur News : गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत और अस्पृश्यता के चलते जब तक सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तब तक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्रों से सतर्क रहकर और एकजुट होकर देश और समाज के हित के लिए काम करना होगा।

अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि पर कार्यक्रम
सीएम योगी ने युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण करने से नई प्रेरणा मिलती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वे मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वे वात्सल्य स्वरूप थे, जबकि धर्म विरोधी आचरण करने वालों के प्रति वे वज्र जैसे कठोर थे।

' पीठ की परंपरा जोड़ने की रही'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं है जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो। पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है। पीठ ने इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा। सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा नहीं तय कर पाया। अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था।

योगी बोले- संत परंपरा एकजुटता की पोषक
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत सही दिशा में बढ़ रहा है। गत दस वर्षों में भारत की प्रगति, सर्वांगीण विकास की रूपरेखा उत्साहित करने वाली है। इस परिस्थिति में हम सबका दायित्व है कि हम बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से बचें। सतर्क इसलिए भी रहना होगा कि आपस में लड़ाने के लिए पैसा किसी और का होगा, लेकिन माध्यम यहीं के लोग होंगे। इससे बचने के लिए संत परंपरा के संदेशों को जानने की आवश्यकता है। सीएम योगी ने कहा कि संत परंपरा सामाजिक एकजुटता की पोषक है। गुरु गोरखनाथ से लेकर आदि शंकर, स्वामी रामानंद, स्वामी रामानुजाचार्य सबके संदेश का प्राथमिक भाव यही है, "जाति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।"

महंत अवेद्यनाथ का किया स्मरण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि महंत द्वय ने जो कहा, वह करके भी दिखाया। जो बोला, वह किया और जो किया, वही बोला। दोनों गुरुजनों ने सामाजिक एकता के लिए समरसता के अभियान को नई ऊंचाई दी। शिक्षा, चिकित्सा और सेवा के अनेक प्रकल्पों को आगे बढ़ाया। गोसेवा और गोरक्षा के संकल्प को पूर्णता की राह दिखाई। महंत द्वय के लिए कोई कार्य सिर्फ उपदेश नहीं था, बल्कि वह उसे करके दिखाते थे। वास्तव में किसी बात का वजन तभी होगा जब हम उसे खुद आचरण में उतारेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरे भाषण से नहीं, आचरण परिवर्तन से बदलाव आता है। महंत द्वय बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे आजीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहे। दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी। उनके लिए इसके इतर कुछ भी नहीं था। उनके मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप चलते हुए गोरक्षपीठ धर्म और देश की रक्षा को प्रतिबद्ध है।

महंत बालकनाथ भी रहे मौजूद
श्रद्धांजलि समारोह में रोहतक, हरियाणा से पधारे और राजस्थान के विधायक महंत बालकनाथ ने महंत द्वय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दोनों महापुरुष आज भी अपने विचारों, आदर्शों और अपने कार्यों के रूप में हमारे बीच विद्यमान हैं। उन्होंने शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जिससे हमारी पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल है। हर क्षेत्र में उनके योगदान अजर-अमर हैं। वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की तप साधना विराजमान है। उनके नेतृत्व कौशल की सराहना देश ही नहीं, पूरी दुनिया में हो रही है। महंत बालकनाथ ने उन लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता जताई जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को बांटने में जुटे हैं।

अयोध्या से आए वासुदेवाचार्य महाराज
कौशलेश सदन, अयोध्या धाम से आए जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ने ब्रह्मलीन महंतद्वय के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि गोरक्षपीठ शिक्षा को संस्कृति और राष्ट्रीयता के आलोक में लाकर पीढ़ियों के भविष्य निर्माण से अहर्निश जुड़ी है। इसमें इस पीठ के पूज्य संतों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि मैकाले को लार्ड कहना गलत है, वह लार्ड नहीं, बल्कि धूर्त था। गोरक्षपीठ ने मैकाले की शिक्षा प्रणाली की बजाय भारतीयता को प्रमुखता देने वाली शिक्षा का वरण पीढ़ियों को कराया। यही नहीं, इस पीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने समाज को छुआछूत से निकालकर एकता के सूत्र में पिरोया। उन्होंने कहा कि अब संत समाज की चाहत है कि योगी आदित्यनाथ सिर्फ प्रदेश के नेतृत्व तक सीमित न रहें, बल्कि आने वाले समय में पूरे देश का नेतृत्व करें।

वाराणसी से भी पधारे संत
काशी से पधारे कथाव्यास श्रीमद जगदगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि संत के लिए राजनीति भी लोक कल्याण का मार्ग है। संत राजनीति के रंग में खुद नहीं रंगता, बल्कि राजनीति को ही अपने रंग में रंग देता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण गोरक्षपीठ है, जहां के पीठाधीश्वरों ने राजनीति को नई दिशा देकर उसे लोक कल्याण का माध्यम बनाया। अयोध्याधाम से पधारे स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा कि शैक्षिक पुनर्जागरण और अस्पृश्यता दूर करने के लिए ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा दिए गए योगदान को युगों-युगों तक याद किया जाएगा। इन दोनों संतों की परंपरा में दीक्षित योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व से आज प्रदेश में रामराज्य की परिकल्पना साकार हो रही है। उन्होंने कहा कि अब तो यही कामना है कि रामराज्य की जिस झांकी को उत्तर प्रदेश के लोगों ने देखा है, वह पूरे भारतवर्ष के लोगों के लिए भी साकार हो।

सांसद रवि किशन शुक्ल भी रहे मौजूद
श्रद्धांजलि सभा में गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने जो कार्य किया है, उसकी नींव आज गोरक्षपीठ के संत योगी आदित्यनाथ रख रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी गोरक्षपीठ की देन है। उन्होंने कहा कि योगी जी की तप साधना का प्रमाण ये है कि पूरे देश में वह आज अनुकरणीय हैं।

Also Read