झांसी मेडिकल कॉलेज में भीषण आग में 10 नवजातों की मौत हो गई। एक नर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर 5 बच्चों को बचाया। जानिए कैसे उसने आग की लपटों से बच्चों को बचाया।
झांसी की नर्स का अदम्य साहस : जलते वार्ड से बचाए 5 नवजात, खुद झुलसीं पर नहीं झुकीं
Nov 17, 2024 08:17
Nov 17, 2024 08:17
"मैं वह रात कभी नहीं भूल सकती," मेघा कहती हैं। उन्होंने बताया, "मैं नाइट ड्यूटी पर थी और बच्चों की दवाइयों का रिकॉर्ड देख रही थी। अचानक शॉर्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगी और चंद मिनटों में पूरे केबिन में फैल गई।"
जान बचाने के लिए झुलसीं, फिर भी नहीं रुकीं
आग की चपेट में आने से मेघा के कपड़े जल गए और उनका दाहिना पैर झुलस गया। वह कहती हैं, "आग देखकर मैंने फौरन दो बच्चों को बाहर निकाला। मेरी सलवार जल गई, लेकिन बच्चों की जान बचाना ज्यादा जरूरी था। फिर बगल के कमरे से दूसरी यूनिफॉर्म पहनकर वापस वार्ड में गई और तीन और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।"
धुएं और अंधेरे से बढ़ी चुनौती
आग के बाद अस्पताल की बिजली काट दी गई, जिससे वार्ड में धुआं भर गया और अंधेरा हो गया। मेघा ने मास्क लगाकर अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन धुएं के कारण ज्यादा देर रुक पाना संभव नहीं था।
"पूरा स्टाफ बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन धुएं और आग ने हम सभी को बेबस कर दिया," मेघा ने बताया।
डॉक्टरों और स्टाफ की भी लगी जान पर
अस्पताल में जिन डॉक्टरों की ड्यूटी थी, उन्होंने भी अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद नवजातों को बचाने में मदद की। मेघा बताती हैं, "इन बच्चों की डिलीवरी हमारे स्टाफ ने करवाई थी, वे हमें बेहद प्यारे थे। उन डॉक्टरों ने अपनी तकलीफों को नजरअंदाज करते हुए बचाव कार्य किया।"
नर्स मेघा का इलाज जारी, घर जाने की अनुमति नहीं
मेघा को न्यू बिल्डिंग के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया है। उनका दाहिना पैर बुरी तरह जल चुका है। वह कहती हैं, "मेरा छोटा बेटा नौ साल का है और 27 नवंबर को उसका जन्मदिन है। मैं वहां जाना चाहती थी, लेकिन डॉक्टरों ने मेरी स्थिति को देखते हुए अनुमति नहीं दी।"
झांसी की नायिका
इस घटना के बाद नर्स मेघा झांसी के लिए एक मिसाल बन गई हैं। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना पांच मासूमों की जिंदगी बचाई। हालांकि, इस त्रासदी में दस नवजातों की मौत हो गई, जो एक दर्दनाक याद बनकर झांसी मेडिकल कॉलेज के इतिहास में दर्ज हो गई।
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