झांसी महोत्सव में श्रम विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बाल श्रम में लगे बच्चों को मुक्त कराया। छापेमारी के दौरान दुकानदारों में हड़कंप मच गया। रेस्टोरेंट और दुकानों पर नियमों के उल्लंघन के मामले पकड़े गए। जानें बाल श्रम कराने पर होने वाली सजा और प्रशासन की सख्ती से जुड़े अहम पहलू।
झांसी महोत्सव में श्रम विभाग का छापा : बाल श्रम कर रहे बच्चों को कराया मुक्त, संचालकों पर कार्रवाई
Jan 21, 2025 07:13
Jan 21, 2025 07:13
रेस्टोरेंट संचालक फिर फंसा नियम उल्लंघन में
इस रेस्टोरेंट पर पहले भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने छापेमारी की थी, और सोमवार को श्रम विभाग ने फिर से इस रेस्टोरेंट को नियम उल्लंघन में पकड़ा। रेस्टोरेंट संचालक ने बच्चे से काम कराने की बात कबूल की।
झूठे दावे कर बचने की कोशिश
छापेमारी के दौरान कई दुकानदारों ने दावा किया कि बच्चे उनके परिवार के हैं, लेकिन दस्तावेजों से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी। ऐसे में श्रम विभाग ने इन बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराते हुए संचालकों पर कार्रवाई की।
महोत्सव में लगातार हो रही कार्रवाई
झांसी महोत्सव में बाल श्रम और अन्य नियम उल्लंघन को लेकर श्रम विभाग की टीम लगातार छापेमारी कर रही है। सोमवार को हुई इस कार्रवाई के दौरान महोत्सव क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। कई दुकानदार टीम को आते देख दुकानें बंद कर भाग गए।
बाल श्रम कानून: सजा और जुर्माने का प्रावधान
14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत दंडनीय अपराध है।
- सजा: एक से छह महीने तक जेल।
- जुर्माना: 20,000 से 50,000 रुपये तक।
- दोनों: जेल और जुर्माना दोनों लगाए जा सकते हैं।
श्रम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि महोत्सव में बाल श्रम को रोकने के लिए लगातार निगरानी और कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने अपील की कि नियमों का पालन करें और बच्चों को बाल श्रम से बचाएं।
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