उत्तर प्रदेश का इटावा जिला अब दुर्लभ प्रजाति के अजगरों का प्रमुख आश्रय स्थल बन गया है। पिछले दस वर्षों में, इटावा के विभिन्न इलाकों से लगभग 10,000 अजगरों को वन विभाग द्वारा सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया गया है।
इटावा नहीं, 'अजगर नगरी' कहिए जनाब! यहां 10 साल में निकले 10 हजार अजगर, कोई 5 तो कोई 100 किलो था वजनी
Aug 18, 2024 16:50
Aug 18, 2024 16:50
- 10 साल में निकले 10 हजार अजगर
- वन विभाग की टीम करती है रेस्क्यू
- 20 साल से निकल रहे ज्यादा अजगर
20 साल से निकल रहे ज्यादा अजगर
इटावा में अजगरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो इस बात का संकेत है कि यहाँ के पर्यावरण में अजगरों के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ मौजूद हैं। पिछले 20 वर्षों में, अजगरों के निकलने की घटनाएँ बड़े पैमाने पर बढ़ गई हैं। वन विभाग ने इसके समाधान के लिए गांव-गांव जागरूकता अभियान चलाया है, जिसमें गांववासियों को सलाह दी गई है कि वे अजगरों को नुकसान न पहुँचाएँ और उनकी जानकारी तुरंत वन विभाग और वन्य जीव संस्था को दें। इस पहल ने प्रभावी परिणाम दिखाए हैं और गांववासी अब अधिक सतर्क और जागरूक हो गए हैं।
वन विभाग की टीम करती है रेस्क्यू
वन विभाग की टीम अजगरों के रेस्क्यू में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जब भी किसी गांव में अजगर के निकलने की सूचना मिलती है, वन विभाग और वन्य जीव संस्था की टीम तुरंत मौके पर पहुँचती है। ये टीमें अजगरों को सुरक्षित तरीके से पकड़कर उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ देती हैं। इस प्रक्रिया से स्थानीय लोग भी आश्वस्त होते हैं कि अजगरों को सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है और उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
संरक्षित जीव है अजगर
इटावा का यह स्थिति यह दर्शाता है कि क्षेत्र में अजगरों का शरणस्थल बन चुका है। यहाँ पर अजगरों की निरंतर बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि इटावा एक महत्वपूर्ण अजगर निवास स्थान बन गया है। हालांकि, इस क्षेत्र में अजगरों की बढ़ती संख्या पर्यावरणीय संतुलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए समुचित प्रबंधन और जागरूकता की आवश्यकता है। अजगरों की विभिन्न प्रजातियाँ, विशेषकर शेड्यूल वन में शामिल प्रजातियाँ, संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनका मानव जीवन के लिए खतरा बहुत कम होता है, लेकिन उनकी विशाल काया के कारण लोगों में दहशत बनी रहती है। प्राकृतिक आवासों के क्षय के कारण अजगर अब शहरी क्षेत्रों की ओर आ रहे हैं। चंबल घाटी और यमुना के किनारे जैसे नदियों के आसपास अजगरों की संख्या अधिक है, जहाँ वे नमी और उपयुक्त परिस्थितियों की तलाश में रहते हैं। यह स्थिति इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती है।
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