सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव इन दिनों पुत्रमोह में फंसे है। पुत्रमोह का इतिहास महाभारत काल से चला आ रहा है। भारतीय इतिहास और राजनीति में पुत्रमोह के कई उदाहरण हैं। कुछ ऐसा ही नजारा सैफई परिवार में भी देखने को मिल रहा है।
पुत्रमोह में फंसे शिवपाल सिंह यादव ! बेटे के लिए छोड़ना चाहते हैं बदायूं का रण, विरोधी दल को दे दिया हमले का मौका
Apr 07, 2024 15:51
Apr 07, 2024 15:51
शिवपाल सिंह यादव के बेटे को बदायूं सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। चुनाव की कमान अपने हाथ में लेना चाहते थे। चुनावी माहौल में शिवपाल ने बैठे-बिठाय विपक्ष को हमलावर होने का मौका दे दिया। बीजेपी ने शिवपाल पर निशाना साधा कि उन्हें हार का डर सता रहा है। इस लिए बदायूं सीट छोड़ना चाहते हैं। बीजेपी ने वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्या का टिकट काटते हुए, ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह को उतारा है। बीजेपी प्रत्याशी दुर्विजय सिंह की गिनती जमीनी नेताओं में होती है।
सैफई परिवार के युवा बन चुके हैं सांसद
मुलायम सिंह यादव के परिवार के सभी युवा राजनीति में अपना हाथ आजमा चुके हैं। सैफई परिवार से नेताजी के पौत्र तेज प्रताप यादव, रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय प्रताप और धर्मेंद्र यादव भी सांसद बन चुके हैं। लेकिन शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य को राजनीति में हाथ आजमाने का मौका नहीं मिला है। शिवपाल को बेटे के राजनीतिक करियर की चिंता सताने लगी है। शिवपाल बेटे के लिए अपनी सीट छोड़ना चाहना हैं। आदित्य को बदायूं से जीतते हुए देखना चाहते हैं।
चाचा-भतीजे के दिल नहीं मिले
शिवपाल के पुत्रमोह का असर यह हुआ कि इटावा से वर्तमान सांसद और प्रत्याशी डॉ रामशंकर कठेरिया ने शिवपाल को बीजेपी ज्वाईन करने का खुला ऑफर दे दिया था। उन्होंने कहा था कि शिवपाल यदि बीजेपी में आते हैं, तो उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा। चाचा-भतीजों के रिश्तों को लेकर सबसे बड़ा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि चाचा-भतीजे एक हुए हैं, लेकिन उनके दिल नहीं मिले हैं।
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