सीसामऊ का चक्रव्यूह : उपचुनाव में विरोधियों को कौन देगा मात, सभी पार्टियों की अग्निपरीक्षा

उपचुनाव में विरोधियों को कौन देगा मात, सभी पार्टियों की अग्निपरीक्षा
UPT | नसीम सोलंकी्-सुरेश अवस्थी

Oct 24, 2024 21:41

प्रदेश के कानपुर जिले की प्रतिष्ठित सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रण सज चुका है। यह सीट अब सियासी चक्रव्यूह बन गई है, जहां हर राजनीतिक पार्टी अपनी ताकत...

Oct 24, 2024 21:41

Kanpur News :  प्रदेश के कानपुर जिले की प्रतिष्ठित सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव का रण सज चुका है। यह सीट अब सियासी चक्रव्यूह बन गई है, जहां हर राजनीतिक पार्टी अपनी ताकत आजमाने के लिए मैदान में उतर चुकी है। सपा, भाजपा, और बसपा सभी दलों के लिए यह चुनाव एक अग्निपरीक्षा है। यहां जीत की राह मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित मतदाताओं के बीच उलझी हुई है। 2012 से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। सपा ने इस सीट से नसीम सोलंकी, भाजपा ने सुरेश अवस्थी और बसपा ने विनोद गुप्ता को मैदान में उतारा है। इस उपचुनाव में किसकी होगी जीत और कौन बिछाएगा सियासी दांव-पेंच, यह सवाल मतदाताओं और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

जातिगत समीकरण: मुस्लिम वोटरों का दबदबा
सीसामऊ सीट का चुनावी समीकरण मुख्य रूप से मुस्लिम वोटरों पर निर्भर करता है। यहां मुस्लिम समुदाय की अच्छी खासी आबादी है, जो चुनाव के नतीजों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। सपा का इस समुदाय में मजबूत आधार रहा है, जबकि बसपा और कांग्रेस भी इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा का प्रयास है कि गैर-मुस्लिम वोटों को लामबंद करके मुकाबले को अपने पक्ष में किया जाए। मुस्लिम और ब्राह्मण वोटरों का रुख किसकी ओर जाता है, यह इस उपचुनाव का परिणाम तय करेगा।



सीसामऊ सीट का इतिहास 
सीसामऊ सीट कानपुर की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित विधानसभा सीटों में से एक मानी जाती है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी का लंबे समय तक वर्चस्व रहा है, लेकिन भाजपा ने भी हाल के वर्षों में अपना आधार मजबूत किया है। इस बार के उपचुनाव में सपा अपनी पुरानी पकड़ को बनाए रखने के लिए मैदान में उतरी है, जबकि भाजपा सीसामऊ के मतदाताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है।

स्थानीय मुद्दे, विकास और रोजगार
सीसामऊ सीट पर स्थानीय मुद्दे, खासकर विकास और रोजगार के सवाल चुनावी एजेंडा में सबसे आगे हैं। यहां के मतदाता वर्षों से बुनियादी सुविधाओं की कमी, ट्रैफिक जाम, और रोजगार के अवसरों की मांग कर रहे हैं। सपा और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने इन मुद्दों को हल करने के वादे किए हैं, लेकिन मतदाता इस बार परिणामों पर नजर रख रहे हैं, ना कि सिर्फ वादों पर।

सपा पुरानी पकड़ को बरकरार रखने की कोशिश
समाजवादी पार्टी के लिए सीसामऊ सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। सपा इस सीट को एक बार फिर से जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। पार्टी का मुख्य फोकस मुस्लिम और यादव वोटरों पर है। सपा के पास यहां मजबूत संगठनात्मक ढांचा है और पार्टी उम्मीद कर रही है कि पिछले चुनावों की तरह इस बार भी उन्हें मुस्लिम समुदाय का भरपूर समर्थन मिलेगा।

भाजपा नई चुनौतियों के साथ मैदान में
भाजपा ने हाल के वर्षों में कानपुर और सीसामऊ जैसे शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की है। पार्टी का मुख्य फोकस विकास और कानून-व्यवस्था पर रहा है। भाजपा इस बार इन मुद्दों के आधार पर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है। भाजपा का उद्देश्य गैर-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करना है। खासकर सवर्ण और OBC समुदायों को अपने पक्ष में करना।

 

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