कैब ड्राइवरों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के बीच उनके पास आय का एकमात्र साधन कैब चलाना ही है। कैब कंपनियों द्वारा राइड दरें न बढ़ाए जाने और 30-35 प्रतिशत कमीशन वसूली के चलते उन्हें बेहद कम भुगतान किया जाता है। एक किलोमीटर की राइड के लिए केवल 7-8 रुपए औसत मिल रहे हैं। इस वजह से गाड़ी का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
लखनऊ में 50 हजार बुकिंग रद्द : कैब चालकों के विरोध से सफर हुआ मुश्किल, मांगें पूरी हुए बिना पीछे हटने को नहीं तैयार
Oct 26, 2024 19:35
Oct 26, 2024 19:35
बुकिंग बंद करके बहिष्कार का निर्णय
भारतीय कैब कंपनीज नियंत्रण बोर्ड के अस्थाई चेयरमैन जाहिद प्रधान के अनुसार, 25 अक्तूबर से रैपिडो और इनड्राइव के खिलाफ बुकिंग बंद करके बहिष्कार का निर्णय किया गया है। वर्तमान में लखनऊ में ओला और उबर के जरिए ही बुकिंग हो रही हैं। रैपिडो और इनड्राइव कंपनी के उत्पीड़न समाप्त नहीं होने तक इन प्लेटफार्म्स पर बुकिंग नहीं ली जाएगी। इन कंपनियों से रोजाना लाखों की संख्या में बुकिंग होती है, लेकिन इस बंद के चलते बड़ी संख्या में बुकिंग प्रतिदिन रद्द हो रही हैं।
हड़ताल की धमकी के बाद हुआ विरोध
कैब ड्राइवर पहले भी अपनी मांगों को लेकर हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। ड्राइवरों ने कैब कंपनियों से राइड की दरें बढ़ाने और कमीशन घटाने की मांग की है। उनका आरोप है कि कंपनियां यात्रियों से तो अधिक राशि वसूलती हैं, लेकिन चालकों को इसका लाभ नहीं मिलता। इन कारणों से ड्राइवरों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। उन्होंने हड़ताल की धमकी देते हुए कहा था कि जब तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक सेवा स्थगित रहेगी।
राइड दरें बढ़ाने और उचित भुगतान की मांग
कैब ड्राइवरों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के बीच उनके पास आय का एकमात्र साधन कैब चलाना ही है। कैब कंपनियों द्वारा राइड दरें न बढ़ाए जाने और 30-35 प्रतिशत कमीशन वसूली के चलते उन्हें बेहद कम भुगतान किया जाता है। एक किलोमीटर की राइड के लिए केवल 7-8 रुपए औसत मिल रहे हैं। इस वजह से गाड़ी का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। चालकों का कहना है कि कंपनियां कमीशन घटाकर 15 प्रतिशत तक करें और प्रति किलोमीटर की दरें तय करें ताकि वे भी सम्मानपूर्वक अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
कर्ज में डूबे कैब ड्राइवर, कंपनियों पर मनमानी का आरोप
कई ड्राइवरों ने भारी कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदीं ताकि उनकी आजीविका चले, लेकिन अब कंपनियों की मनमानी के चलते वे कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं। कंपनियां कभी भी किसी भी ड्राइवर को ऑफ-रोड कर सकती हैं, जिससे उनकी आय का स्रोत ठप हो जाता है। चालकों ने बताया कि वे इस स्थिति में अब कंपनियों के लिए काम नहीं कर सकते। उनका कहना है कि यदि कंपनियां उनकी मांगों को पूरा करती हैं, तभी वह बहिष्कार वापस लेंगे।
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