लखनऊ में इस समय लगभग 950 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 200 अस्पतालों की क्षमता 50 बेड से अधिक है। अब तक, इन सभी अस्पतालों को हर अप्रैल में नवीनीकरण कराना पड़ता था। क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू होने से यह प्रक्रिया बदल जाएगी और निजी अस्पतालों को पांच साल का लाइसेंस दिया जाएगा।
Lucknow News : 750 निजी अस्पतालों को पांच साल केे लिए मिलेगा लाइसेंस, बेड की क्षमता के आधार पर तय होगी फीस
Nov 25, 2024 15:03
Nov 25, 2024 15:03
डीएम करेंगे लाइसेंस जारी
लाइसेंस जारी करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को दी गई है। अस्पताल संचालकों को अब हर साल नवीनीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इस बदलाव को नए वित्तीय वर्ष से लागू करने की योजना है। हालांकि, नए नियमों के तहत अस्पतालों को मानक पूरा करना अनिवार्य होगा।
राजधानी में 950 से अधिक निजी अस्पताल
लखनऊ में इस समय लगभग 950 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 200 अस्पतालों की क्षमता 50 बेड से अधिक है। अब तक, इन सभी अस्पतालों को हर अप्रैल में नवीनीकरण कराना पड़ता था। क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू होने से यह प्रक्रिया बदल जाएगी और निजी अस्पतालों को पांच साल का लाइसेंस दिया जाएगा।
मानकों पर खरे उतरने पर ही लाइसेंस
नए एक्ट के तहत लाइसेंस केवल उन्हीं अस्पतालों को दिया जाएगा जो निर्धारित मानकों को पूरा करेंगे। अगर अस्पताल मानकों पर खरे नहीं उतरते, तो उनका लाइसेंस जारी नहीं होगा। इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और जिलाधिकारी को सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
पोर्टल अपडेट की प्रतीक्षा
क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट को लेकर फिलहाल पोर्टल पर कोई अपडेट उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में पुराने नियमों के तहत काम चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सभी अस्पतालों को नए एक्ट के तहत लाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बेड की क्षमता के आधार पर फीस
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एनबी सिंह के मुताबिक नए एक्ट के तहत निजी अस्पतालों को लाइसेंस जारी किया जाएगा। यह पांच साल के लिए वैध होगा और अस्पताल संचालकों को हर साल नवीनीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी। लाइसेंस शुल्क अब अस्पताल की बेड क्षमता के आधार पर तय किया जाएगा। यह न केवल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि छोटे और बड़े अस्पतालों के बीच संतुलन भी स्थापित करेगा। नए नियमों के लागू होने से अस्पताल संचालकों को बड़ी राहत मिलेगी। सालाना नवीनीकरण की बाध्यता समाप्त होने से समय और धन की बचत होगी। इसके साथ ही, लाइसेंस प्रक्रिया को अधिक संगठित और व्यावसायिक बनाने की उम्मीद है।
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