तनुज पुनिया ने ली चंद्रशेखर की चुटकी : बोले- उन्हें साथ शामिल होने का निमंत्रण देंगे

बोले- उन्हें साथ शामिल होने का निमंत्रण देंगे
UPT | Chandrashekhar Azad

Jun 12, 2024 17:36

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे और नवनिर्वाचित सांसद तनुज पुनिया ने एक न्युज चैनल से अपनी बातचीत में खुले मंच से चंद्रशेखर आजाद को इंडिया गठबंधन में शामिल होने काे कहा है...

Jun 12, 2024 17:36

Nagina News : लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हो चुके हैं। इस चुनाव में एक नया दलित चेहरा सामने आया है चंद्रशेखर आजाद। निर्दलीय चुनाव लड़कर चंद्रशेखर आजाद ने नगीना सीट पर जबरदस्त जीत हासिल की। दिग्गजों को शिकस्त देकर रावण ने यह संदेश दे दिया है कि भविष्य में वह दलितों के बड़े सियासी चेहरों में शुमार हो सकते हैं। लेकिन, हार से बौखलाए इंडिया गठबंधन के नेता ने चुटली लेते हुए कहा कि जाहिर है हम तो चाहते हैं वह (चंद्रशेखर आजाद) हमारे साथ आएं, गठबंधन में शामिल हों।  

कांग्रेस सांसद क्या बोले
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे और नवनिर्वाचित सांसद तनुज पुनिया ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में खुले मंच से चंद्रशेखर आजाद को कांग्रेस में शामिल होने को कहा है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर संविधान का सम्मान करने वाले नेता हैं। इसलिए वे उन लोगों के साथ नहीं जा सकते, जो संविधान का तिरस्कार करते हैं। जाहिर है इस बयान से बीजेपी पर निशाना साधने की कोशिश की गई है। लेकिन कुछ जानकार इसे सियासी चुटकी से अधिक कुछ नहीं मान रहे हैं। कहा जा रहा है कि हार से बौखलाए नेता अब रावण की चुटकी लेकर अपनी खीज मिटा रहे हैं।

कांग्रेस सांसद ने रावण की तारीफ के पुल बांधे
कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की जरूरत से ज्यादा तारीफ की जाती है तो उसके दो मायने निकाले जाते हैं। यहां कांग्रेस सांसद तनुज पूनिया के बयान के भी दो मायने निकाले जा रहे हैं। सीधे तौर पर देखने से तो यही लगता है कि पूनिया ने रावण की तारीफ की, लेकिन दरअसल, उन्होंने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की हार की खीज निकाली है। कहा जा रहा है कि यह कैसे संभव है कि हार के बाद कोई कैसे विजेता को अपनी पार्टी में शामिल होने को कह सकता है। 

नगीना में रावण की ही जीत
माना जा रहा है कि नगीना सीट पर जीत के बाद चंद्रशेखर आजाद एक दलित चेहरे के रूप में उभरे हैं। खुद रावण भी इस बात का अहसास कराने से गुरेज नहीं कर रहे हैं कि वह दलितों की रहनुमाई करने वाले नेताओं के फेहरिश्त में शुमार हैं। यह जीत बेशक रावण के लिए संजीवनी हो, लेकिन अब मकसद को पूरा करने के लिए उन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा। 

एकला चलो की राजनीति पर अडिग हैं रावण
चुनाव से पहले चंद्रशेखर आजाद की इंडिया गठबंधन के साथ करीबियां देखी गई थीं। ऐसा माना जा रहा था कि गठबंधन उन्हें एक सीट दे सकता है, लेकिन आखिरी क्षण में अखिलेश यादव के साथ उनकी बातचीत टूट गई। उसके बाद रावण ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस फैसले ने उन्हें हौसला ही दिया है। लेकिन, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि वह सियासी समुद्र में वह अभी सिर्फ छोटी से मछली भर हैं। उन्हें इस समुद्र को पार करने के लिए सहारे की जरूरत तो पड़ेगी ही।

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