समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को हिंदी दिवस पर साहित्यकारों को सम्मानित किया। इस दौरान अखिलेश ने मंगेश यादव एनकाउंटर पर योगी सरकार से लेकर यूपी पुलिस पर जमकर निशाना साधा।
अखिलेश यादव ने बताया क्यों टूट गया बसपा से गठबंधन : एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर दागे ताबड़तोड़ सवाल
Sep 14, 2024 15:20
Sep 14, 2024 15:20
एनकाउंटर पर फिर उठाए सवाल
अखिलेश यादव ने मंगेश यादव एनकाउंटर को लेकर पुलिस को फिर कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 3:30 बजे रात को फेक एनकाउंटर हुआ। पांच बजे आपको प्रेस नोट मिल जाए और फिर तार मिलाए जाएं कि बैग कहां से आया, मोटरसाइकिल कहां से आई, नए कपड़े कहां से आए। घंटों बैठकर फेक एनकाउंटर के तार मिलाए गए। अभी भी व्यापारी संतुष्ट नहीं होगा क्योंकि पूरी बरामदगी नहीं हुई है।
योगी सरकार पर कसा तंज
सपा प्रमुख ने योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बनारस में एक शख्स की जान ले ली गई। ऐसी घटनाएं पूरे उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रही हैं। एनसीआरबी के आंकड़े उठाकर देख लीजिए। यह घटनाएं इसलिए हो रही हैं, क्योंकि यूपी पुलिस षडयंत्र करने में लगी है।
इसलिए मंगेश यादव के परिवार से मिले अखिलेश
सपा मुखिया ने कहा कि मंगेश यादव के पूरे परिवार से सच्चाई जानने के लिए मिला था। परिवार ने बातया कि मंगेश को आधी रात को घर से उठाया गया और दो दिन बाद उसका एनकाउंटर हुआ। भाजपा का कहना है कि सपा मंगेश यादव एनकाउंटर को मुद्दा बना रही है। मगर यूपी में जितने भी फर्जी एनकाउंटर हुए हैं, सबके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने आवाज उठाई है।
महाभारत का किया जिक्र
अखिलेश यादव ने कहा कि कर्ण के बारे में दिनकर जी से अच्छा कोई नहीं लिख सकता। उन्होंने शुद्र को लेकर जो कहा, उसमें भाव झलकता है। सपा-बसपा का गठबंधन भी कुछ ऐसा ही था। जो बाबा साहेब अंबेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए। उस समय भी मैंने कहा था कि सपा-बसपा का गठबंधन देश की राजनीति को बदलेगा। मगर कुछ परिस्थितियों के कारण यह गठबंधन नहीं चल पाया। ऐसे में किसने किसको फोन किया और किसने किसका फोन नहीं उठाया, यह बहुत छोटी बात है। उन्होंने कहा कि गठबंधन के नाम पर सपा को धोखा दिया गया। ये बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा था।
सभी भारतीय भाषाएं बढ़ें
अखिलेश ने प्रमोद तिवारी की किताब कर्ण का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिंदी की विशेष भूमिका रही है। राम मनोहर लोहिया से लेकर नेताजी (मुलायम सिंह) तक समाजवादियों ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का काम किया है। हिंदी बढ़े और हिंदी के साथ-साथ सभी भारतीय भाषाएं और उर्दू बढ़े।
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