अखिलेश यादव का बड़ा दांव : माता प्रसाद पांडेय होंगे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, पीडीए को लेकर समझें रणनीति

माता प्रसाद पांडेय होंगे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, पीडीए को लेकर समझें रणनीति
UPT | Mata Prasad Pandey

Jul 28, 2024 20:51

माता प्रसाद पांडेय पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। वह सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से विधायक हैं। माता प्रसाद पांडेय सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी वरिष्ठता को देखकर अखिलेश यादव ने उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी है।

Jul 28, 2024 20:51

Short Highlights
  • अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले से हटकर माता प्रसाद पांडेय को सौंपी जिम्मेदारी
  • महबूब अली ​बनाए गए अधिष्ठाता मंडल और कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी
  • राकेश कुमार वर्मा को बनाया गया उपसचेतक 
Lucknow News : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा फैसला किया है। उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी माता प्रसाद पांडेय को सौंपी है। माता प्रसाद पांडेय पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। वह सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से विधायक हैं। माता प्रसाद पांडेय सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी वरिष्ठता को देखकर अखिलेश यादव ने उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा महबूब अली ​अधिष्ठाता मंडल बनाए गए हैं, वहीं कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार वर्मा उर्फ डॉ. आरके वर्मा को उपसचेतक बनाया गया है। इसके साथ ही सपा अध्यक्ष ने रविदास मेहरोत्रा, डॉ. संग्राम यादव और आशू मलिक को कार्य मंत्रणा समिति का सदस्य नामित किया है।

पीडीए फॉर्मूले का किया विस्तार
अखिलेश यादव का पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूले का विस्तार करते हुए माता प्रसाद पांडेय को ये जिम्मेदारी सौंपना बेहद अहम माना जा रहा है। प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी 12 प्रतिशत से अधिक है। लोकसभा चुनाव में इस वर्ग ने अन्य अगड़ी जाति के साथ भाजपा के पक्ष में बड़ी संख्या में अपना मत दिया था। ऐसे में अखिलेश यादव ने इन पर फोकस करने की दिशा में कदम उठाते हुए बड़ा संदेश दिया है। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान माता प्रसाद पांडेय विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। इससे पहले भी वह विधानसभा अध्यक्ष का जिम्मा संभाल चुके हैं।

इन नामों को लेकर चल रही थी चर्चा 
इससे पहले ​शिवपाल यादव, रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज और कमाल अख्तर के नाम की चर्चा चल रही थी। हालांकि विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को ये जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद माना जा रहा था कि अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को ये जिम्मेदारी नहीं सौंपेगे। दोनों सदनों में एक ही ​जाति के नेता को ये जिम्मेदारी सौंपे जाने से सही संदेश नहीं जाएगा। 

इंद्रजीत सरोज ने खुद को रेस से पहले बता दिया बाहर
इसके बाद पीडीए के तहत इंद्रजीत सरोज इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे थे। हालांकि सपा विधानमंडल दल की बैठक के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि वह इस दौड़ में नहीं हैं। इंद्रजीत सरोज ने कहा कि उन्हें पद का कोई लोभ नहीं है और न ही कभी ऐसी लालसा रही है। हमने हमेशा व्यक्ति और पार्टी को तवज्जो दी है। भाजपा में पहले शामिल होने के लिए बहुत प्रलोभन दिया गया। लेकिन, हम लोग समाजवादी विचाराधारा के हैं। उन्होंने विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष बनने की चर्चा पर कहा कि मैं पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से कह चुका हैं कि मैं इस दल में नया हूं। मुझे अभी बहुत कुछ सीखना और समझना है। इसलिए वह बेहतर तरीके से विचार कर लें। इसके बाद से माना जा रहा था कि अखिलेश यादव कोई और फैसला कर सकते हैं।

अखिलेश यादव पर छोड़ा गया फैसला 
पार्टी विधानमंडल दल की बैठक में सभी विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करने का फैसला अखिलेश यादव पर ही छोड़ दिया ​था। सपा विधायक नादिरा सुल्तान ने बैठक के बाद बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने सभी विधायकों से नेता प्रतिपक्ष के बारे में राय मांगी, सभी ने ये फैसला अखिलेश यादव पर ही छोड़ दिया है। इसलिए अब उनकी ओर से ही इस पद के लिए नाम घोषित किया जाएगा। इसके बाद अखिलेश यादव ने इस पर निर्णय किया।

माता प्रसाद पांडेय को जिम्मेदारी सौंपने के मायने 
माता प्रसाद पांडेय विधानसभा में वरिष्ठत्म सदस्यों में से एक हैं। वह विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पार्टी ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले का विस्तार करते हुए ये फैसला किया है। योगी सरकार में कई बार ब्राह्मणों की अनदेखी करने के आरोप लगते रहे हैं। अखिलेश यादव ने बीते अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व गवर्नर राम नाईक का नाम लिए बगैर कहा था कि यहां के पूर्व राज्यपाल थे, जो सरकार को चिट्ठी लिखते थे। अखबार की कटिंग लगाकर जातिवादी होने का आरोप लगाते थे। आज बताइये मुख्यमंत्री कौन हैं, मुख्य सचिव कौन है, प्रमुख सचिव कौन है और विभाग में कौन-कौन कहां बैठा है? आप भी सवाल उठाते थे जातिवाद का, विचार करिए गंभीर सवाल है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर अपनी रणनीति को धार देने की कोशिश की है। इसके साथ ही उनके पीडीए फॉर्मूले की बात की जाए तो महबूब अली, कमाल अख्तर और राकेश कुमार वर्मा इसके दायरे में आते हैं। इस तरह अखिलेश यादव ने अपनी इस सियासी चाल से भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की है। 

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