एंबुलेंस चालकों का आरोप है कि पिछले तीन सालों में 20 से अधिक बार उपमुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला है। कल भी पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर समाधान का वादा किया गया। लेकिन, कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ।
भूख हड़ताल पर बैठे एंबुलेंस चालक : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आवास के बाहर प्रदर्शन जारी, नौकरी की मांग पर अड़े
Oct 16, 2024 11:07
Oct 16, 2024 11:07
तीन वर्षों में कोई समाधान नहीं, आश्वासनों से उकताए ड्राइवर
एंबुलेंस चालकों का आरोप है कि पिछले तीन सालों में 20 से अधिक बार उपमुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला है। कल भी पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर समाधान का वादा किया गया। लेकिन, कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। इसीलिए ड्राइवरों ने अब भूख हड़ताल शुरू कर दी है और कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह हड़ताल जारी रहेगी।
9000 कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट
एंबुलेंस चालकों का कहना है कि वर्ष 2012 में हम लोगों को नौकरी पर रखा गया था और 2021 तक इन्होंने सेवा दी। लेकिन, तीन साल पहले 9000 से अधिक कर्मचारियों को बगैर किसी कारण के निकाल दिया गया, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया। यह सभी कर्मचारी GVKERI कंपनी के माध्यम से भर्ती हुए थे, जो अब उनकी सुनवाई नहीं कर रही है।
तीन दिन का काम तीन साल में अधूरा
एंबुलेंस ड्राइवर शैलेश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस मुद्दे का समाधान तीन दिन में होना चाहिए था, उसे सरकार पिछले तीन साल में भी हल नहीं कर पाई है। उन्होंने सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए और कहा कि वे लोग अब भूख हड़ताल पर हैं और जब तक सुनवाई नहीं होगी, तब तक वहां से हटने का इरादा नहीं रखते।
डिप्टी सीएम की वादा खिलाफी से नाराज प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारी सलील अवस्थी ने बताया कि तीन सालों से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 9000 कर्मचारी नौकरी की आस में लखनऊ आते रहे हैं। लेकिन, जब वे उपमुख्यमंत्री के आवास पर अपनी आवाज उठाते हैं तो पुलिस उन्हें वहां से भगा देती है। शाम के समय उन्हें ईको गार्डन में भी रुकने की अनुमति नहीं दी जाती और जब किसी मंत्री या विधायक के घर के बाहर प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस लाठीचार्ज करती है। सलील ने गुस्से में कहा कि अगर उन्हें अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया जाएगा तो आखिर वे कहां जाएं?
कोरोना के समय दी सेवाओं का मिला बेरोजगारी का इनाम
गोरखपुर से आए ड्राइवर राहुल वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान 108 और 102 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से उन्होंने और अन्य कर्मचारियों ने राज्य भर में मरीजों की सहायता की। लेकिन, महामारी के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात कर समस्या बताई, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को मुआवजा नहीं मिला
प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकालने के बाद उनकी सेवाओं का मुआवजा भी नहीं दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें सम्मानजनक वेतन और नौकरी की सुरक्षा मिले, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।
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