स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने जारी की सूची : यूपी के सात प्रोफेसर दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल

यूपी के सात प्रोफेसर दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल
UPT | दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल यूपी के प्रोफेसर।

Sep 18, 2024 02:05

अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के टॉप दो फीसद शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची जारी की है। इनमें यूपी के सात प्रोफेसर शामिल हैं।

Sep 18, 2024 02:05

Lucknow News : अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के टॉप दो फीसद शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची जारी की है। इनमें यूपी के सात प्रोफेसर शामिल हैं। इन सभी का चयन उनके रिसर्च पेपर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन के आधार पर किया गया है। इस सूची में लखनऊ विश्वविद्यालय के पांच प्रोफेसर को जगह मिली है। इसके अलावा गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में शुमार हुए हैं। 

इन प्रोफेसर को मिली जगह
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रोफेसर अमृतांशु शुक्ला ने लगातार पांचवी बार विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान हासिल किया है। इसी तरह प्रोफेसर अभिनव कुमार ने चौथी बार और डॉ. रोली वर्मा ने तीसरी बार अपना नाम दर्ज कराया है। डॉ. सीआर गौतम और डॉ. विनोद कुमार वशिष्ठ शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हैं। वहीं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रो. राजेश कुमार यादव और प्रो. डीके द्विवेदी का नाम लिस्ट में शामिल है।

प्रो अमृतांशु के 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित
प्रोफेसर अमृतांशु शुक्ला, सैद्धांतिक परमाणु भौतिकी और तापीय ऊर्जा भंडारण पर अपने अनुकरणीय पर किए गए शोध कार्य के कारण सुर्खियों में हैं। उनके दो से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 75 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में शामिल हैं। उनके नाम दस पुस्तकें भी छप हो चुकी हैं।

डॉ सीआर गौतम और रोली वर्मा ने इस क्षेत्र में कर रहे काम
डॉ सीआर गौतम सिरेमिक सामग्री के क्षेत्र में शोध कर रहे हैं। उन्होंने दंत चिकित्सा और अस्थि प्रत्यारोपण सहित जैविक अनुप्रयोगों के लिए सफलतापूर्वक नवीन सामग्री विकसित की है। उनके शोध ने चिकित्सा विज्ञान में नए दृष्टिकोण प्रदान किए हैं। वहीं, डॉ रोली वर्मा ने प्लास्मोनिक और फोटोनिक नैनोस्ट्रक्चर और फिल्मों पर आधारित ऑप्टिकल सेंसर के क्षेत्र में काम किया है। उनके शोध ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन सेंसरों के उपयोग से विभिन्न प्रकार के प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की निगरानी और समाधान में मदद मिल रही है, जिससे उनकी खोज वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रही है।

प्रो अभिनव ने किए यह कार्य
इसके अलावा प्रोफेसर अभिनव कुमार का काम संक्रमणकालीन धातुओं, पॉलिमर (सीपी), धातु-कार्बनिक संरचनाओं (एमओएफ) और डाई-सेंसिटाइज्ड सौर कोशिकाओं के क्षेत्र में रहा है। इस प्रकार के शोध के पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में कई उपयोग हैं, जिसमें दवा निर्माण और ऊर्जा क्षेत्र विशेष रूप से काम किया है। रसायन विज्ञान से डॉ वशिष्ठ सेपरेशन साइंस, मैक्रोसाइक्लिक कॉम्प्लेक्स, चिरल सेपरेशन, बायोएनालिटिकल रसायन विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय शोधकर्ता हैं, जिनका पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में विशेष अनुप्रयोग है। 

डीके द्विवेदी ने BARC से की करियर की शुरुआत
प्रो डीके द्विवेदी ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी, एमएससी तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) से की थी, जिसके बाद वे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में लेक्चरर नियुक्त हुए थे। वर्ष 2009 में उनकी नियुक्ति तत्कालीन मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुई। जहां वे क्रमशः एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर नियुक्त हुए। प्रो डीके द्विवेदी ने लगभग दौ सौ शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।

राजेश यादव दक्षिण कोरिया में रहे शोधकर्ता 
प्रोफेसर राजेश कुमार यादव ने अपनी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से बीएससी और एमएससी की डिग्री प्राप्त करके की। इसके बाद उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से पीएचडी की और अपने अनुसंधान कौशल को और निखारा। लगभग एक दशक तक प्रोफेसर यादव ने दक्षिण कोरिया में एक शोधकर्ता के रूप में काम किया। वर्ष 2017 में वे एमएमएमयूटी में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए। फिलहाल प्रोफेसर पद पर कार्य कर रहे हैं। प्रो यादव के भी लगभग दो सौ शोध पत्र प्रकाशित हैं। 

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