जहां 14 जिलों में एमडीए अभियान चलाया जाएगा, वहीं अन्य जिलों में फाइलेरिया से प्रभावित रोगियों को एमएमडीपी किट प्रदान की जाएगी और प्रभावित अंग को सुरक्षित रखने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही हाइड्रोसील के ऑपरेशन और नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से फाइलेरिया की स्थिति की जांच की जाएगी।
Anti Filaria Campaign : यूपी में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सामुदायिक रेडियो निभाएंगे अहम भूमिका, इन 14 जिलों में विशेष फोकस
Jan 16, 2025 17:42
Jan 16, 2025 17:42
33 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों का संवेदीकरण
एमडीए के तहत लखनऊ में आयोजित वर्चुअल संवेदीकरण कार्यशाला में प्रदेश के 33 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों को अभियान की अहमियत और उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। राज्य फाइलेरिया अधिकारी, डॉ. ए.के. चौधरी ने बताया कि सामुदायिक रेडियो जनता तक सीधे पहुंचने का एक प्रभावी माध्यम है और यह एमडीए अभियान की सफलता सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। डॉ. चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और स्वस्थ लोगों को साल में एक बार पांच वर्षों तक दी जाती हैं। इससे फाइलेरिया का प्रसार रुक जाता है। उन्होंने बताया कि दवाओं का साइड इफेक्ट, जैसे खुजली या चकत्ते, यह संकेत करता है कि व्यक्ति के शरीर में पहले से फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद थे।
14 जिलों में चलाया जाएगा विशेष अभियान
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत यह अभियान लखनऊ, उन्नाव, बाराबंकी, अमेठी, बलिया, बरेली, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, प्रयागराज, और सोनभद्र जिलों में 10 से 28 फरवरी तक चलेगा। इनमें से 12 जिलों में ट्रिपल ड्रग थेरेपी और बाराबंकी व शाहजहांपुर में डबल ड्रग थेरेपी दी जाएगी। इस बार अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के साथ पुरुष ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को भी नियुक्त किया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि रात में भी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जा सके।
अन्य जिलों में जागरूकता और हाइड्रोसील ऑपरेशन
जहां 14 जिलों में एमडीए अभियान चलाया जाएगा, वहीं अन्य जिलों में फाइलेरिया से प्रभावित रोगियों को एमएमडीपी किट प्रदान की जाएगी और प्रभावित अंग को सुरक्षित रखने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही हाइड्रोसील के ऑपरेशन और नाइट ब्लड सर्वे के माध्यम से फाइलेरिया की स्थिति की जांच की जाएगी। इस अभियान को सफल बनाने में डब्ल्यूएचओ, जीएचएस, पाथ, पीसीआई, 'स्मार्ट' और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च जैसी संस्थाएं सहयोग कर रही हैं। सामुदायिक रेडियो के माध्यम से फाइलेरिया के खिलाफ जागरूकता को गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
फाइलेरिया क्या है? इस तरह फैलती है बीमारी
फाइलेरिया, जिसे लिम्फेटिक फाइलेरियासिस भी कहा जाता है, एक परजीवी संक्रमण है जो वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी, ब्रुगिया मलेई, और ब्रुगिया टिमोरी नामक कृमियों के कारण होता है। यह बीमारी मुख्यतः मच्छरों के काटने से फैलती है और व्यक्ति के लिम्फ प्रणाली को प्रभावित करती है। इस रोग को आमतौर पर 'हाथीपांव' भी कहा जाता है, क्योंकि यह हाथ-पैरों की असामान्य सूजन का कारण बन सकता है। यह रोग संक्रमित मादा क्यूलेक्स, ऐनोफिलीज़, और मंसोनिया मच्छरों के काटने से फैलता है। संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह परजीवी लार्वा उसके खून में छोड़ देता है। ये परजीवी धीरे-धीरे शरीर के लिम्फ प्रणाली में प्रवेश करते हैं और वहां पनपने लगते हैं, जिससे सूजन और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
फाइलेरिया का प्रभाव
यह बीमारी न केवल शारीरिक तकलीफ देती है, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालती है। रोगी अपनी विकलांगता के कारण आर्थिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से वंचित हो सकता है। साथ ही, इस बीमारी से जुड़े सामाजिक कलंक और भेदभाव रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
फाइलेरिया की रोकथाम
- मच्छरदानी और मच्छर विकर्षक क्रीम का उपयोग करें।
- पानी जमा न होने दें और मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करें।
- घर और आसपास की सफाई का ध्यान रखें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और सरकार द्वारा चलाई जा रही मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) योजना के तहत दवा का सेवन करें। डॉक्टर की सलाह से अल्बेंडाजोल और डाईएथाइलकार्बामाजीन (DEC) जैसी दवाएं लें। सरकार ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए व्यापक योजनाएं शुरू की हैं। राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएफसीपी) और मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) जैसे अभियानों का उद्देश्य इस रोग को जड़ से खत्म करना है। देश के विभिन्न हिस्सों में दवा वितरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि लोग समय पर इलाज पा सकें।
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