सर्दियों में शरीर का तापमान गिरने के कारण रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नलिकाओं में दबाव बढ़ सकता है और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दी के सितम के बीच ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में इजाफा : चिकित्सकों ने बताई वजह, इन लक्षणों को नहीं करें नजरअंदाज
Jan 16, 2025 12:11
Jan 16, 2025 12:11
सर्दी में दिल के मरीज रहें सतर्क
ठंडी हवाएं दिल और सांस के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे मरीजों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है। डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के हृदय रोग विभाग के चिकित्सकों के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग को खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है। यह समस्या तब होती है जब दिमाग की नलिकाएं अवरुद्ध हो जाती हैं (इस्केमिक स्ट्रोक) या उनमें रक्तस्राव हो जाता है (हैमरेजिक स्ट्रोक)। इससे दिमाग के उस हिस्से की कोशिकाएं मरने लगती हैं, जिससे शरीर के कई हिस्सों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
सर्दियों में क्यों बढ़ता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा?
सर्दियों में शरीर का तापमान गिरने के कारण रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नलिकाओं में दबाव बढ़ सकता है और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, ठंड के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने और खून के गाढ़ा होने की संभावना भी रहती है, जो स्ट्रोक के मुख्य कारकों में से हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार
- इस्केमिक स्ट्रोक : यह स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग को खून पहुंचाने वाली नलिका ब्लॉक हो जाती है। यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है।
- हैमरेजिक स्ट्रोक : यह स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग की किसी नलिका में रक्तस्राव हो जाता है।
- टीआईए (ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक) : इसे मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है, जो अस्थायी रूप से दिमाग को खून की आपूर्ति में रुकावट पैदा करता है।
- चेहरे का एक तरफ झुक जाना : मुस्कान देने में कठिनाई होना।
- हाथ और पैर में कमजोरी : एक तरफ के अंगों में सुन्नता या काम करने में परेशानी।
- बोलने में दिक्कत : अस्पष्ट या गलत बोलना।
- दृष्टि संबंधी समस्याएं : एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखना।
- सिरदर्द : अचानक और गंभीर सिरदर्द।
- संतुलन खोना : चलने में दिक्कत या चक्कर आना।
- थ्रोम्बोलिसिस (क्लॉट बस्टर थेरेपी) : यह तकनीक ब्लॉक हुई नलिकाओं को खोलने में मदद करती है।
- एंटीकोएगुलेंट्स : खून को पतला करने वाली दवाएं।
- सर्जरी : गंभीर मामलों में रक्तस्राव को रोकने के लिए ऑपरेशन किया जाता है।
- फिजियोथेरेपी : स्ट्रोक के बाद कमजोर अंगों की कार्यक्षमता वापस लाने के लिए।
- ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें : उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं : संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें।
- धूम्रपान और शराब से बचें : ये आदतें खून की नलिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- ब्लड शुगर पर नजर रखें : डायबिटीज स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
- तनाव से बचें : मानसिक तनाव भी रक्तचाप को बढ़ाकर स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
- उम्र: 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है।
- हृदय रोग : दिल की बीमारियां जैसे अनियमित दिल की धड़कन।
- फैमिली हिस्ट्री : जिनके परिवार में स्ट्रोक का इतिहास रहा हो।
- मोटापा : अधिक वजन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
- कोलेस्ट्रॉल : उच्च कोलेस्ट्रॉल रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज पैदा कर सकता है।
- गर्म कपड़े पहनें और शरीर को ठंड से बचाएं।
- दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं, ताकि खून पतला बना रहे।
- सुबह जल्दी और देर रात बाहर जाने से बचें, जब ठंड चरम पर होती है।
- नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करवाएं।
- विटामिन-सी और एंटीऑक्सिडेंट्स युक्त फलों का सेवन करें।
ब्रेन स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति हो सकती है। लेकिन, समय पर इलाज और सही जागरूकता से इसे रोका जा सकता है। लक्षणों को पहचानकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। याद रखें, ब्रेन स्ट्रोक का इलाज जितनी जल्दी हो, मरीज के ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक रहती है। केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग का कहना है कि ठंड के मौसम में दिमाग को खून पहुंचाने वाली नसें सिकुड़ सकती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ट्रॉमा सेंटर में प्रतिदिन 7 से 12 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज पहुंच रहे हैं।
ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में गिरावट
अहम बात है कि सर्दी के दौरान राजधानी के सभी प्रमुख सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। बलरामपुर, सिविल अस्पताल, केजीएमयू और लोहिया संस्थान जैसे प्रमुख अस्पतालों में सामान्य दिनों के मुकाबले ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 30 प्रतिशत तक कम हो गई है।
- बलरामपुर अस्पताल : सामान्य दिनों में ओपीडी में 6000 मरीज आते थे, अब यह संख्या घटकर 3500 रह गई है।
- सिविल अस्पताल : जहां पहले 5000 से अधिक मरीज आते थे, अब यह संख्या 4000 हो गई है।
- केजीएमयू : ओपीडी में मरीजों की संख्या 8000 से घटकर 6500 हो गई।
- डॉ.राम मनोहर लोहिया संस्थान: सामान्य दिनों में 3200 मरीजों की जगह अब सिर्फ 2800 मरीज आ रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी, नेत्र, त्वचा, हड्डी और प्लास्टिक सर्जरी जैसे विभागों में मरीजों की संख्या में कमी आई है। वहीं दूसरी ओर, सांस, हृदय, न्यूरोलॉजी, और बच्चों के रोग विभागों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
सांस की बीमारियां और बढ़ा खतरा
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत के अनुसार, ठंड के मौसम में प्रदूषण के कण निचली सतह पर रहते हैं। ये कण सांस की नली और फेफड़ों को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे निमोनिया, अस्थमा, सीओपीडी और सांस से जुड़ी अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
सांस की बीमारी के लक्षण :
- खांसी और घरघराहट
- तेज बुखार
- सीने में जकड़न
- सांस लेने में कठिनाई
- उच्च दिल की धड़कन
बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि सर्दी के मौसम में बच्चों में निमोनिया और फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में 20 से अधिक बच्चों को निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है।
निमोनिया और फ्लू के लक्षण :
- तेज बुखार
- नाक बहना और गले में खराश
- खांसी और सिरदर्द
- थकान और बदन दर्द
- सर्दी में कैसे रखें सेहत का ख्याल
- गर्म कपड़े पहनें और सिर, कान, और हाथों को ढकें।
- घर को साफ और गर्म रखें।
- दिनभर में गर्म पानी पिएं।
- पौष्टिक आहार लें, जिसमें मौसमी फल और सब्जियां शामिल हों।
- अधिक जरूरत न हो तो बाहर निकलने से बचें।
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