गोरखपुर से शामली तक बनने वाला 700 किमी लंबा एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल को वेस्ट यूपी से जोड़ेगा : यूपी के इन 22 जिलों को फायदा

यूपी के इन 22 जिलों को फायदा
UPT | सांकेतिक फोटो।

Jan 16, 2025 14:08

पूर्वांचल से पश्चिम यूपी को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, 22 जिलों को जोड़ने वाली यह ग्रीनफील्ड परियोजना यात्रा को सुगम बनाएगी और आर्थिक व सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देगी।

Jan 16, 2025 14:08

Shamli News : पूर्वांचल के लोगों के लिए गोरखपुर से लेकर शामली तक बनने वाले 700 किमी लंबे एक्सप्रेसवे की सौगात आने वाली है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना उत्तर प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार है। यह एक्सप्रेसवे न केवल पूर्वांचल और पश्चिम उत्तर प्रदेश को जोड़ेगा, बल्कि दिल्ली और अन्य बड़े शहरों तक की यात्रा को भी सुगम बनाएगा।

 उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ने के लिए इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत गोरखपुर से शामली तक आधुनिक तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का निर्माण किया जाएगा। 700 किमी लंबा यह एक्सप्रेसवे 22 जिलों से होकर गुजरेगा, जिससे इन क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई दिशा मिलेगी।



बदलते उत्तर प्रदेश की तस्वीर
उत्तर प्रदेश को पहले सड़कों की खराब हालत के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह एक्सप्रेसवे और हाईवे के जाल के लिए प्रसिद्ध हो चुका है। यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे के बाद गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआती योजना तैयार हो चुकी है और निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने की संभावना है।

यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का होगा, जिसे भविष्य में 8 लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा। इसके साथ ही, इसे इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि आपातकालीन स्थितियों में लड़ाकू विमान भी यहां उतारे जा सकें।

यात्रा का समय होगा आधा
इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद गोरखपुर से शामली तक की दूरी मात्र 8 घंटे में पूरी की जा सकेगी, जबकि वर्तमान में इसमें करीब 15 घंटे का समय लगता है। शामली से दिल्ली तक की बेहतर कनेक्टिविटी के कारण यह एक्सप्रेसवे पूर्वांचल और राजधानी दिल्ली के बीच की यात्रा को भी तेज और आसान बनाएगा।

गोरखपुर से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे संतकबीर नगर, बस्ती, अयोध्या, गोंडा, बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बरेली, बदायूं जैसे प्रमुख जिलों से होकर गुजरेगा। इन सभी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एक बेहतर परिवहन सुविधा के साथ-साथ नए अवसर भी मिलेंगे।

रणनीतिक और आर्थिक महत्व
इस एक्सप्रेसवे का रणनीतिक महत्व भी कम नहीं है। इसे आगरा-लखनऊ और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की तर्ज पर बनाया जा रहा है, जहां लड़ाकू विमानों के उतरने की सुविधा होगी। इससे यह एक्सप्रेसवे न केवल नागरिक यात्रा के लिए उपयोगी होगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी अहम भूमिका निभाएगा।

आर्थिक दृष्टिकोण से यह परियोजना बड़े बदलाव का कारण बनेगी। एक्सप्रेसवे के माध्यम से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। औद्योगिक और कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचने में आसानी होगी। इसके अलावा, अयोध्या और लखनऊ जैसे पर्यटन स्थलों तक सुगम पहुंच से राज्य का पर्यटन भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।

विकास का नया अध्याय
गंगा एक्सप्रेसवे के बाद यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा। 700 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा, ताकि यह भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सके। इसके साथ ही, यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होगा और ग्रीनफील्ड परियोजना के तहत तैयार किया जाएगा।

इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने से न केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। निर्माण कार्य के दौरान हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और इसके पूरा होने के बाद स्थानीय उद्योगों और व्यवसायों को गति मिलेगी।

विकास में मील का पत्थर साबित होगा 
गोरखपुर से शामली तक बनने वाला यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। यह परियोजना न केवल पूर्वांचल और पश्चिम यूपी को जोड़ेगी, बल्कि लोगों के जीवन को आसान और सुविधाजनक बनाएगी। 22 जिलों से होकर गुजरने वाला यह एक्सप्रेसवे प्रदेश को नई रफ्तार देगा और इसे एक मजबूत आर्थिक और सामाजिक राज्य के रूप में स्थापित करेगा। 

ये भी पढ़े : संतों की सरकार भंग : प्रयागराज महाकुंभ में बड़ा ऐलान, अखाड़ों में पंचायती व्यवस्था लागू, आगे अब ये होगा...

Also Read