आवंटियों को धोखा दे रहे हैं बिल्डर : यूपी रेरा को मिली शिकायतें, ऐसे प्रोमोटर्स पर हो सकती है सख्त कार्रवाई

यूपी रेरा को मिली शिकायतें, ऐसे प्रोमोटर्स पर हो सकती है सख्त कार्रवाई
UPT | यूपी रेरा

Sep 20, 2024 19:14

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के आवंटियों से प्राप्त शिकायतों पर गंभीर संज्ञान लिया है। आवंटियों ने...

Sep 20, 2024 19:14

Lucknow News : उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के आवंटियों से प्राप्त शिकायतों पर गंभीर संज्ञान लिया है। आवंटियों ने आरोप लगाया है कि कुछ प्रोमोटर्स उन्हें "एग्रीमेंट फॉर सेल" से भिन्न, विधि विरुद्ध शर्तों वाले घोषणा पत्र या एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इन शर्तों से भविष्य में उनके विधिक अधिकारों का हनन हो सकता है। 



रेरा को मिली शिकायतों के अनुसार, कई प्रोमोटर्स द्वारा आवंटियों को कब्जा देने से पहले ऐसे एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जिनमें अवैध शर्तें शामिल हैं। यह कदम रेरा अधिनियम के उल्लंघन के साथ-साथ नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ भी है। इन शिकायतों पर कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है, जिससे आवंटियों के हितों की रक्षा की जा सके और दोषी प्रोमोटर्स पर कठोर कार्रवाई की जा सके।

रेरा के स्पष्ट निर्देश
रेरा ने पहले भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी प्रोमोटर्स को केवल मॉडल "एग्रीमेंट फॉर सेल" के तहत ही यूनिट की बिक्री करनी चाहिए। किसी भी गैरकानूनी या मनमानी शर्तों पर आवंटियों को कब्जा लेने के लिए बाध्य करना, रेरा के नियमों का सीधा उल्लंघन है। प्राधिकरण ने यह भी कहा कि केवल स्वीकृत मानचित्र और लेआउट के आधार पर ही यूनिट की बिक्री होनी चाहिए, और आवंटियों को कब्जा तभी दिया जाना चाहिए जब सक्षम प्राधिकरण से ओक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) या कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) प्राप्त हो चुका हो।

शिकायतों में गंभीर अनियमितताएं
रेरा को प्राप्त शिकायतों में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख है। कुछ प्रोमोटर्स ने एग्रीमेंट में लिखित शर्तों के अनुसार सुविधाएं विकसित किए बिना ही आवंटियों को कब्जा देने की कोशिश की। इसके अतिरिक्त, कुछ मामलों में, एग्रीमेंट में निर्धारित राशि से अधिक धनराशि की मांग की जा रही है, और बिना ओसी/सीसी प्राप्त किए अधूरी परियोजनाओं में यूनिट की रजिस्ट्री कराई जा रही है। 

एक और गंभीर मुद्दा यह है कि कुछ प्रोमोटर्स आवंटियों की सहमति के बिना परियोजनाओं की योजना में बदलाव कर रहे हैं। कई शिकायतों में यह भी कहा गया है कि एग्रीमेंट में दिए गए समय पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है। ऐसे मामलों में प्रोमोटर्स, मिथ्या तथ्यों पर आधारित योजनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं, और बाद में आवंटियों को अवैध शर्तों वाले एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, ताकि आवंटियों के विधिक अधिकारों पर रोक लगाई जा सके।

आवंटियों के अधिकार और उपाय
रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि इन मामलों में आवंटियों को विधि विरुद्ध शर्तों पर कब्जा लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो कि रेरा अधिनियम और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "प्रोमोटर्स को केवल स्वीकृत मानचित्रों और तथ्यों के आधार पर ही यूनिट की बिक्री और कब्जा देना चाहिए। इससे आवंटी ठगा हुआ महसूस नहीं करेंगे और रियल एस्टेट सेक्टर का विकास सुचारू रूप से हो सकेगा।"

आवंटियों को यह अधिकार है कि वे रेरा अधिनियम के प्रावधानों के तहत विलंब अवधि का ब्याज और क्षतिपूर्ति की मांग कर सकते हैं। यदि उनके हितों का हनन हो रहा है, तो वे रेरा के अलावा उपभोक्ता फोरम, उच्च न्यायालय, और सर्वोच्च न्यायालय में भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

रेरा की सख्त चेतावनी
रेरा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए, आवंटियों को अवैध शर्तों पर कब्जा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई प्रोमोटर ऐसा करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण ने यह भी दोहराया कि प्रोमोटर्स को केवल एग्रीमेंट फॉर सेल की शर्तों के अनुसार ही कब्जा प्रदान करना चाहिए, ताकि आवंटियों के अधिकारों और हितों की रक्षा हो सके। यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने और आवंटियों के हितों की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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