निजी घरानों ने केंद्र सरकार से लॉबिंग शुरू कर दी है कि चेक मीटर की अनिवार्यता को हटाया जाए। इसके बावजूद, उपभोक्ता परिषद ने इस दिशा में केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि 5 प्रतिशत पुराने मीटरों को चेक मीटर के रूप में अनिवार्य रूप से लगाया जाए।
घटिया क्वालिटी की पोल खुलने के डर से नहीं लगाए जा रहे चेक मीटर : निजी घरानों के साथ उदारता पर उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
Nov 05, 2024 18:56
Nov 05, 2024 18:56
चेक मीटर के निर्देशों की अनदेखी, उपभोक्ता परिषद ने उठाया बड़ा सवाल
केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, उपभोक्ताओं के परिसर में 5 प्रतिशत पुराने मीटरों को चेक मीटर के रूप में स्थापित करना अनिवार्य है। हालांकि, बिजली कंपनियों की अनदेखी के चलते केवल 350 से 375 चेक मीटर ही लगाए गए हैं। इस तरह जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे बेहद गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा है कि धरातल पर जांच करने पर इस संख्या में और कमी आने की संभावना है। संगठन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि उपभोक्ताओं के परिसर में चेक मीटर क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं और क्यों स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को प्रीपेड मोड में नहीं लगाया जा रहा है।
निजी घरानों की केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश
दूसरी ओर, निजी घरानों ने केंद्र सरकार से लॉबिंग शुरू कर दी है कि चेक मीटर की अनिवार्यता को हटाया जाए। इसके बावजूद, उपभोक्ता परिषद ने इस दिशा में केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि 5 प्रतिशत पुराने मीटरों को चेक मीटर के रूप में अनिवार्य रूप से लगाया जाए। अवधेश वर्मा का कहना है कि किसी भी स्थिति में इस आदेश को बदला नहीं जाना चाहिए।
प्रीपेड मोड का अभाव: गुणवत्ता पर सवाल
अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया कि जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता बेहद घटिया है। संभवतः इसी वजह से भारत सरकार के निर्देशों के बावजूद निजी घराने इन मीटरों को चेक मीटर के रूप में स्थापित करने से बच रहे हैं। उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि वे इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे, ताकि उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
निदेशकों के साथ बैठक में जताई आपत्ति
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने पावर कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल निधि कुमार नारंग से शक्ति भवन में मुलाकात कर उपभोक्ताओं के परिसर पर अनिवार्य रूप से 5 प्रतिशत चेक मीटर नहीं लगाए जाने का विरोध दर्ज कराया। साथ ही, प्रदेश में एक भी मीटर का प्रीपेड मोड में न लगाया जाना बड़ी चिंता का विषय बताया गया। निदेशक आईटी सौराजीत घोष के साथ बैठक में परिषद ने मांग की कि सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर को ऑटोमेटिक रूप से ऑनलाइन मोड में चलाने का आदेश दिया जाए।
बिजली कंपनियों की जवाबदेही
उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि पावर कारपोरेशन यह सुनिश्चित करे कि सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर प्रीपेड मोड में ही लगाए जाएं। अगर यह निर्देशों का उल्लंघन जारी रहा, तो इसे निजी घरानों को विशेष लाभ पहुंचाने की कोशिश माना जाएगा। इस तरह की अनियमितताओं पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है, ताकि उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
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