Hardoi News : 84 कोसीय परिक्रमा क्षेत्र और ललिता देवी मंदिर की कहानी आपकों कर देगी रोमांचित, यहां दौड़े चले आते हैं श्रद्धालु

84 कोसीय परिक्रमा क्षेत्र और ललिता देवी मंदिर की कहानी आपकों कर देगी रोमांचित, यहां दौड़े चले आते हैं श्रद्धालु
UPT | ललिता माता मंदिर।

Apr 13, 2024 18:19

नैमिषारण्य स्थित ललिता मां मंदिर से जुड़े पुजारी सत्यदेव श्रीमाली बताते हैं कि देवी भागवत में 108 शक्तिपीठ व देवी गीता में 72 शक्तिपीठ व देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ का महात्म वर्णित है।

Apr 13, 2024 18:19

Hardoi News : हरदोई जिले के 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग क्षेत्र में मां ललिता देवी के प्राकट्य से जुड़ी प्राचीन और आध्यात्मिक कहानियां सुनहरे पन्नों में अंकित है। इस भूमि पर रामायण, महाभारत, आल्हा ऊदल के पग चिन्ह आज भी पाए जाते हैं। यहां की हल्की रेतीली जमीन पर भक्तजन श्रद्धा में सराबोर होकर दौड़े चले आते हैं। इत्र नगरी कन्नौज हो या भक्त प्रहलाद की नगरी हरदोई या फिर ललिता मां का सिद्ध शक्ति पीठ नैमिषारण्य धार्मिक मान्यताओं आस्थाओं के साथ-साथ 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली के नाम से जाना जाता है। गोमती के किनारे बसा यह क्षेत्र इस पृथ्वी का बीचों बीच का भाग है, जहां पर भगवान विष्णु का चक्र गिरा था। यहां पर महाऋषि दाधीच जैसे पावन ऋषियों की तपोस्थली के रूप में शास्त्रों में वर्णित है। कुछ किलोमीटर के एरिया में स्थित एक साथ इतने सारे धार्मिक स्थलों वाला यह क्षेत्र विश्व के हर कोने से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

नैमिषारण्य स्थित मां ललिता देवी के स्थान पर गिरा था मां का हृदय
नैमिषारण्य स्थित ललिता मां मंदिर से जुड़े पुजारी सत्यदेव श्रीमाली बताते हैं कि देवी भागवत में 108 शक्तिपीठ व देवी गीता में 72 शक्तिपीठ व देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ का महात्म वर्णित है। इसमें कहा गया है कि माता सती के पति भगवान शंकर का अपने पिता दक्ष प्रजापति की यज्ञ में अपमान होता देखकर यज्ञ कुंड में कूदकर देह त्याग कर दी थी। सती की यह दशा देखकर भगवान शंकर माता सती का अधजला व लेकर ब्रह्मांड में अत्यधिक क्रोधित होकर विचरण करने लगे थे। इससे सृष्टि पर खतरा उत्पन्न हो गया था। शिव शंकर का अत्यधिक क्रोध देखकर देवताओं के द्वारा विनती किए जाने पर भगवान विष्णु के चक्र से मां के अधजले शरीर को छत-विछत किया गया था।

विष्णु के चक्र द्वारा खंडित हुए मां के अंग जहां-जहां गिरे वहां पर सिद्ध शक्तिपीठ स्थापित है। पृथ्वी के बीचो-बीच स्थित नैमिषारण्य में माता का हृदय गिरा था, इसीलिए इस स्थान का ललिता नाम से वेद पुराणों में वर्णन है। माता सती ने अपने पति भगवान भोलेनाथ को हृदय में धारण करके अपने प्राणों की आहुति यज्ञ में की थी। इसीलिए इस स्थान पर भगवान शिव भी विराजमान है। मां ललिता को त्रिपुरा सुंदरी भी कहा जाता है। इस स्थान पर सिर्फ एक पग चलने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस पावन क्षेत्र में 88 हजार ऋषियों ने कठिन तपस्या की थी। देवासुर संग्राम में इसी स्थान पर तपस्या कर रहे महर्षि दाधीच की हड्डियों के द्वारा बनाए गए वज्र से असुरों का संघार किया गया था। यह तीर्थ क्षेत्र रामायण, महाभारत और आल्हा ऊदल समेत कई कहानियों में अत्यंत रोचक प्रसंग के साथ वर्णित है।

रामायण, महाभारत, आल्हा ऊदल की कहानियों में क्षेत्र का प्रमुखता से वर्णन
पांच नदियों से जुड़ी इत्र की नगरी कन्नौज हो या भक्त प्रहलाद की नगरी हरदोई या फिर महर्षि दाधीच जैसे त्यागी संत का शहर सीतापुर ललिता माता के चमत्कारों से परिपूर्ण है। कई पुराण रामायण, महाभारत और आल्हा ऊदल की दंत कथाओं में त्रिपुर सुंदरी मां ललिता का महात्म और उनकी रोचक कहानियां चमत्कार वर्णित है। दंतकथाओं के अनुसार माता ललिता की आरती के बाद कन्नौज के किले पर दीपक जलाया जाता था। वही रावण के वध के बाद में भगवान राम ने बेनीगंज क्षेत्र में स्थित हत्या हरण तीर्थ में स्नान करने के बाद में ब्राह्मण वध के पाप से मुक्ति पाई थी। वही इस क्षेत्र में सीता की रसोई महाभारत काल के पांडव के वनवास के भी पदचिह्न पाए जाते हैं। यहां पर अति प्रसिद्ध हनुमानगढ़ भी मौजूद है। यहां पर व्यास जी ने भागवत की कथा ऋषि मुनि जन्मेजय परीक्षित आदि को सुनाई थी। यह क्षेत्र रामायण काल से जुड़ा हुआ है। बड़े-बड़े महापुरुष बच्चे और देवता गंधर्व आदि अनादि काल से त्रिपुर सुंदरी माता ललिता देवी के स्थल पर पूजा अर्चना करके इस तीर्थ क्षेत्र का लाभ प्राप्त करते रहे हैं।

राजराजेश्वरी, श्रीमतसिंहासनेश्वरी, श्रीमाता, त्रिपुरसुंदरी आदि नाम से विख्यात हैं मां ललिता देवी
इस पृथ्वी पर स्थित 108 शक्तिपीठों में प्रथम स्थान पर वाराणसी की विशालाक्षी और द्वितीय स्थान पर नैमिषारण्य की लिंगधारनी मां ललिता अनेक शास्त्रों पुराणों में वर्णित है। परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने व्यास जी के द्वारा सुनाई जा रही भागवत पुराण में देवी की इसी महिमा का नैमिषारण्य की पवित्र भू धरा पर मां के 108 पवित्र स्थान का वर्णन सुना था। जन्म के अन्नप्राशन से लेकर जीवन के विभिन्न आयामों पर श्रद्धालु इस स्थान पर आकर तरह-तरह की मन्नते मांग कर रिद्धि सिद्धि का मन से भर पाते हैं या क्षेत्र लखनऊ से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत नेता, अभिनेता इस क्षेत्र मैं मां के दर्शन करने के लिए आया जाया करते हैं।
 

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