हरियाणा विधानसभा चुनाव : मायावती ने बसपा की विफलता का ठीकरा जाटों के सिर फोड़ा, जानें क्या बोलीं पार्टी प्रमुख

मायावती ने बसपा की विफलता का ठीकरा जाटों के सिर फोड़ा, जानें क्या बोलीं पार्टी प्रमुख
UPT | बसपा प्रमुख मायावती।

Oct 08, 2024 22:56

बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए इंडियन नेशनल लोकदल से गठबंधन किया था। बसपा ने 37 और इनेलो ने 53 सीटों पर लड़ने का फैसला किया था। लेकिन ये गठबंधन कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया।

Oct 08, 2024 22:56

Lucknow News : हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की विफलता का जिम्मेदार पार्टी प्रमुख मायावती ने जाटों का ठहराया है। उन्होंने जाटों को जातिवादी मानसिकता वाला करारा दिया। मायावती की पार्टी ने सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की है जबकि चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल 2 सीटों पर कामयाब रही। मायावती का आरोप है की बीएसपी के वोट आईएनडीएल को ट्रांसफर हुए लेकिन जाट समाज का वोट उन्हें नहीं मिला।

मायावती ने ट्वीट कर जताई नाराजगी 
इसको लेकर मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर एक के बाद एक तीन ट्वीट किया। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हरियाणा विधानसभा आमचुनाव बीएसपी व इनेलो ने गठबंधन करके लड़ा, लेकिन आज आए परिणाम से स्पष्ट है कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने बीएसपी को वोट नहीं दिया जिससे बीएसपी के उम्मीदवार कुछ सीटों पर थोड़े वोटों के अंतर से हार गए, हालांकि बीएसपी का पूरा वोट ट्रांसफर हुआ। दूसरे ट्वीट में बसपा प्रमुख ने लिखा कि जबकि यूपी के जाट समाज के लोगों ने अपनी जातिवादी मानसिकता को काफी हद तक बदला है और वे बसपा से एमएलए तथा सरकार में मंत्री भी बने हैं। हरियाणा प्रदेश के जाट समाज के लोगों को भी उनके पदचिन्हों पर चलकर अपनी जातिवादी मानसिकता को जरूर बदलना चाहिए, यह खास सलाह। मायावती ने अपने तीसरे ट्वीट में कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए लिखा कि बीएसपी के लोगों द्वारा पूरी दमदारी के साथ यह चुनाव लड़ने के लिए सभी का हार्दिक आभार प्रकट करती हूं व आश्वस्त करती हूं कि उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। लोगों को निराश नहीं होना है और न ही हिम्मत हारनी है, बल्कि अपना रास्ता खुद बनाने के लिए तत्पर रहना है। नया रास्ता निकलेगा। बसपा ने इंडियन नेशनल लोकदल ने किया था गठबंधन
बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए इंडियन नेशनल लोकदल से गठबंधन किया था। बसपा ने 37 और इनेलो ने 53 सीटों पर लड़ने का फैसला किया था। लेकिन ये गठबंधन कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया। इनेलो को 2 सीटों पर भले ही जीत मिल पाई, लेकिन बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई। इसके पहले 2019 में भी बसपा शून्य सीटों पर सिमट गई थी। 

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