आयकर विभाग ने प्रदेश में वर्ष 2022 में लखनऊ और उन्नाव के रुस्तम ग्रुप, आगरा के एचएमए ग्रुप और बरेली के मारिया ग्रुप, रहबर ग्रुप, अल-सुमामा ग्रुप के खिलाफ छापेमारी की थी। जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसियां कश्मीर कनेक्शन के साथ कट्टरपंथी संगठनों को फंडिंग की संभावनाओं की भी गहनता से पड़ताल करेंगी। आयकर विभाग ने अपने छापों में जो सबूत जुटाए हैं, वे इस जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
मीट कारोबारियों का कश्मीर कनेक्शन : टेरर फंडिंग की आशंका पर शिकायत के बाद भी नहीं लिया गया एक्शन, अब होगा खुलासा
Nov 16, 2024 09:21
Nov 16, 2024 09:21
गोपनीय जांच पूरा होने पर खुलासा होने की संभावना
कहा जा रहा है कि इस शिकायत के आधार पर लखनऊ यूनिट को भी गोपनीय रिपोर्ट साझा की गई, लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे स्पष्ट तौर पर संबंधित लोगों की भूमिका का खुलासा हो सके। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर गोपनीय जांच जारी है। इस वजह से फिलहाल अधिकारी स्पष्ट तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। कश्मीर के सुरक्षा एजेंसियों को व्यापारिक गतिविधियों से जोड़ने के पीछे के मकसद का जल्द ही पर्दाफाश होने की संभावना है।
कश्मीर कनेक्शन के कारण बढ़ी सतर्कता
आयकर विभाग के छापों के दौरान कश्मीर कनेक्शन सामने आने के बाद कई मीट कारोबारियों ने स्थानीय एजेंसियों को शामिल करना शुरू कर दिया। इन एजेंसियों को विशेष तौर पर सुरक्षा का काम सौंपा गया था, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। खाड़ी देशों के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने के लिए रखे गए अनुवादकों को भी हटा दिया गया है।
टेरर फंडिंग की जांच जरूरी
इस मामले में टेरर फंडिंग की आशंका के चलते हर पहलू की जांच जरूरी हो गई है। अधिकारियों का मानना है कि लगभग 1200 करोड़ रुपये की नकदी के लेन-देन की सही जगह पता लगाना आवश्यक है। इस नकदी को कहां खपाया गया, इसकी जानकारी जांच के केंद्र में है।
अनुवादकों की भूमिका पर सवाल
मीट कारोबारियों ने जिन अनुवादकों को खाड़ी देशों से पत्राचार के लिए नियुक्त किया था, उनकी लोकेशन कई बार कश्मीर में पाई गई। शिकायत के मुताबिक, इन अनुवादकों के पाकिस्तान जाने की संभावना भी जताई गई थी। जांच के दौरान कारोबारियों ने बताया कि खाड़ी देशों से आए पत्रों के अनुवाद के लिए उन्हें अरबी जानने वाले अनुवादकों की जरूरत पड़ती थी।
छापे में जुटाए सबूत जांच में मददगार
जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसियां कश्मीर कनेक्शन के साथ कट्टरपंथी संगठनों को फंडिंग की संभावनाओं की भी गहनता से पड़ताल करेंगी। आयकर विभाग ने अपने छापों में जो सबूत जुटाए हैं, वे इस जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
साल 2022 में आयकर विभाग की छापेमारी में खुले रहस्य
आयकर विभाग ने प्रदेश में वर्ष 2022 में लखनऊ और उन्नाव के रुस्तम ग्रुप, आगरा के एचएमए ग्रुप और बरेली के मारिया ग्रुप, रहबर ग्रुप, अल-सुमामा ग्रुप के खिलाफ छापेमारी की थी। इन छापों के दौरान मिले दस्तावेजों की गहराई से जांच में सामने आया कि संभल के प्रवीण रस्तोगी ने इन मीट कंपनियों को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए 524 करोड़ रुपये की नकद सहायता दी थी। इसके अलावा, रहबर ग्रुप की 68 करोड़ की काली कमाई का पता चला, जबकि रुस्तम ग्रुप और मारिया ग्रुप से जुड़ी 535 करोड़ और 102 करोड़ रुपये की बोगस बिक्री की जानकारी सामने आई।
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