आसमान में उड़ती पतंग देंगी पेड़ बचाओ जीवन बचाओ का संदेश : दीपावली-जमघट पर जमकर होगी पतंगबाजी, नवाबों के दौर में थी अनोखी परंपरा

दीपावली-जमघट पर जमकर होगी पतंगबाजी, नवाबों के दौर में थी अनोखी परंपरा
UPT | आसमान में उड़ती पतंग देंगी पेड़ बचाओ जीवन बचाओ का संदेश।

Oct 27, 2024 21:07

इस बार दीपावली और जमघट पर आसमान में उड़ने वाली पतंगे सेव ट्री, सेव लाइफ (पेड़ बचाओ जीवन बचाओ) का संदेश देती नजर आएंगी।

Oct 27, 2024 21:07

Lucknow News : इस बार दीपावली और जमघट पर आसमान में उड़ने वाली पतंगे सेव ट्री, सेव लाइफ (पेड़ बचाओ जीवन बचाओ) का संदेश देती नजर आएंगी। देश भर में पर्यावरण बचाओ को लेकर सरकार ने मुहिम छेड़ रखी है। ऐसे में यह पतंगबाज भी अपनी पतंगों के जरिए लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश देते नजर आएंगे। 

चाइनीज मांझे के खिलाफ अभियान
पेड़ बचाओ, पर्यावरण बचाआ वाली पतंगे तैयार कराने वाले गुड्डू बताते हैं कि वह हर साल दीपावली पर पतंगों के माध्यम से कोई न कोई संदेश लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं। इस बार उन्होंने अपनी पतंगों के जरिये पेड़ बचाओ जीवन बचाओ का संदेश देंगे। उन्होंने बताया कि हर बार बड़े-बड़े नेताओं और बच्चों के कार्टून वाली पतंगे बनाते थे। गुड्डू ने बताया कि पतंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हामिद भाई के साथ मिलकर चाइनीज मांझे के खिलाफ भी अभियान चलाया जा रहा है। जहां पर भी चाइनीज मांझा मिलता है उसे नष्ट करा दिया जाता है।



शहर पर चढ़ने लगा पतंगबाजी का खुमार
शहर में पतंगबाजी का खुमार छाने लगा है। आसमानी जंग छेड़ने के लिए पतंगबाजों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। दुकानों पर पतंगबाजों की भीड़ जुटने लगी है। दीपावली और जमघट यानि गोवर्धन पूजा के दिन सुबह के साथ ही हर जगह आसमान में पतंगों की सतरंगी छटा बिखर जायेगी। बड़ा हो या बच्चा, मैदान से लेकर घरों की छतों तक जिसको जहां जगह मिलेगी शुरू हो जाएगा, इस अनोखी जंग में। त्यौहार की मस्ती में हर कोई उम्र के बंधन से दूर पतंगबाजी का लुत्फ उठाता नजर आएगा। पुराने शहर के लाजपत नगर और नीबू पार्क के सामने बुद्धा पार्क के पास सुबह से देर शाम तक आसमान में पतंगों का जमघट लगा रहेगा।  ऐसा ही नजारा सआदतगंज, हैदरगंज, चारबाग, आलमबाग और अन्य इलाकों में देखने को मिलेगा। गली-मोहल्लों में अपने-अपने घरों की छतों पर चढ़कर लोग पतंगबाजी करेंगे। जमघट के दिन आसमान में भले ही पतंगों की जंग छिड़ेगी, लेकिन उनकी बनावट पर्यावरण सुरक्षित करने का संदेश देती नजर आएगी।

कारीगरों के नाम पर बिकती हैं पतंगे
गुड्डू काइट सेण्टर के मालिक गुरुदत्त ने बताया कि वैसे तो अपने शहर में भी पतंग के मांझे बनते हैं, लेकिन बरेली के मांझे की बात ही अलग है। वह बताते हैं कि पतंग यहां की पसंद की जाती है। शहर में कारीगर के नाम पर पतंगों की मांग होती है। हमेशा की तरह इसबार भी लखनऊ की पतंग और बरेली का मांझे की मांग सबसे ज्यादा है। हर शौकीन पतंगबाजों को बरेली का मांझा ही पंसद आता है। पुराने शहर के वजीरबाग के दरीवाला, सआदतगंज के बीबी गंज, मोहनीपुरवा व हुसैनगंज सहित कई इलाकों में पतंग के कारखाने चलते हैं। सीजन पर इन कारखानों के अलावा सैकड़ों घरों में भी महिलाएं व पुरुष पतंग बनाने का काम कर रहे हैं। पतंगबाजी और लखनऊ का काफी पुराना रिश्ता रहा है। पतंगबाजी को नवाबों का शौक कहा जाता है। नवाबों के दौर में पतंगों को दुल्हन की तरह सजाया जाता था। जिनमें सोने और चांदी के तारों की चमकदार सजावट होती थी। ऐसी पतंगें जिस किसी की छत पर कटकर गिरती थीं, उस घर में उस दिन पुलाव बनाने की परंपरा थी।

यह है पतंग बाजी के पुराने अड्डे
पतंगबाजी के लिए मशहूर वजीरबाग, डालीगंज, चौक, बाबा हजाराबाग, मोहनीपुरवा ये कुछ ऐसे अड्डे हैं जहां आपको हर तरह के पतंग जैसे पोन्तावा, आड़ी, मंझोली, सवा की तीन आदि पतंगे मिल जायेंगी। लखनऊ में पतंग के टूर्नामेंट भी होते रहते हैं जिसमें बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं।

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