राजधानी के मैंगो रिसर्च इंस्टीट्यूट ने आम बागानों के लिए कैनोपी प्रबंधन को अपनाए जाने का सुझाव दिया है। सीआईएसएच द्वारा विकसित कैनोपी प्रबंधन तकनीक से बड़े और अनुत्पादक आम के पेड़ों को नया जीवन मिल सकता है, जिससे उपज ...
मलीहाबादी दशहरी पर संकट : 80 प्रतिशत पेड़ों पर फल नहीं, मैंगो रिसर्च इस्टीट्यूट ने बताई बचाव की तकनीक
Jun 17, 2024 12:35
Jun 17, 2024 12:35
कैनोपी रखेगी आम के पेड़ को सुरक्षित
मैंगो रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (CISH) ने आम के वृक्ष को सुरक्षित रखने के लिए कैनोपी प्रबंधन (Canopy Management) पर जोर दिया है। संस्थान के अनुसार, अगर नए बागों का शुरू से और पुराने बागों का क्रमशः कैनोपी (छत्र) प्रबंधन किया जाय तो इससे उत्पादन तो बढ़ेगा ही, फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी। संस्थान द्वारा विकसित कैनोपी प्रबंधन तकनीक के माध्यम से बड़े हो चुके और अनुत्पादक आम के पेड़ों को नया जीवन मिल सकता है, जिससे पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वैज्ञानिक तरीके से काटे जाने पर घने कैनोपी सालों साल उपज बढ़ाती हैं और इससे आम का आकार भी बढ़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक ऐसी तकनीक है जिसका उद्देश्य ‘आम का कायाकल्प’ करना है और यह उत्पादकों को उनकी उपज और आय बढ़ाने में मदद कर सकती है।
दशहरी के पेड़ों पर इसलिए आया संकट
पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिल रही : सीआईएसएच का दावा है कि मलीहाबाद में कम से कम 80 प्रतिशत आम के पेड़ इस अवस्था में पहुंच गए हैं कि वे कम फल देते हैं या बिल्कुल भी फल नहीं देते हैं, क्योंकि वे बहुत बड़े हो गए हैं और उन्हें संभालना मुश्किल है और उन्हें पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिल पा रही है।
शाखाएं एक-दूसरे से उलझी हुई : बड़े हो चुके पेड़ों की शाखाएं एक-दूसरे से उलझी हुई हैं, जिससे सूरज की रोशनी नीचे की शाखाओं तक नहीं पहुंच पाती। आम के पेड़ की कोई उम्र तय नहीं होती। उदाहरण के लिए, काकोरी में दशहरी का मूल पेड़ सैकड़ों साल पुराना है और अभी भी फल दे रहा है।
कैनोपी प्रबंधन से होगा यह फायदा
सीआईएसएच के बागवानी वैज्ञानिकों की मानें तो लखनऊ के आम क्षेत्र मलीहाबाद में आम के बाग, जो दशहरी के लिए मशहूर है, बागों से ज़्यादा आम के जंगल जैसे दिखते हैं, क्योंकि पेड़ बहुत बड़े, भीड़भाड़ वाले और घने हैं। कैनोपी प्रबंधन शाखाओं को सूरज की रोशनी के संपर्क में लाता है, जो फल बनने के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत है। कैनोपी प्रबंधन उन्हें कई सालों तक उत्पादक अवस्था में रखेगा।
कब करें पेड़ों की छंटाई
फरवरी के मध्य तक आम के पेड़ों पर पुष्पगुच्छ (फूलों के शाखायुक्त गुच्छे) विकसित हो जाते हैं। उससे पहले, घने पेड़ों की छंटाई करनी पड़ती है। सीआईएसएच किसानों को इस तकनीक का प्रशिक्षण देता है क्योंकि पेड़ों की कटाई वैज्ञानिक तरीके से की जानी चाहिए, न कि बेतरतीब ढंग से। शाखाओं की नियमित छंटाई से पेड़ की ऊंचाई कम से कम 50 प्रतिशत कम हो जाएगी, लेकिन फल का आकार काफी बढ़ जाएगा। एक स्वस्थ फल का वजन आदर्श रूप से कम से कम 250 ग्राम होना चाहिए।
तीन साल तक नियमित करें कैनोपी प्रबंधन
तीन साल तक नियमित रूप से छतरी (कैनोपी ) का प्रबंधन करना पड़ता है और अलग-अलग उम्र के बागों के लिए तकनीक अलग-अलग होगी। तीन साल बाद, पेड़ फिर से जीवंत हो जाएगा और नई शाखाएं उग आएंगी जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी। एक स्वस्थ आम के पेड़ की औसत उपज 100 किलोग्राम से अधिक फल है।
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