बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष पर हमलावर हो गई हैं। वह कार्यकर्ताओं को उपचुनाव और चुनाव के लिए नए सिरे से तैयार करने में जुट गई हैं। उन्होंने सत्ता और विपक्ष पर संविधानको बचाने का नाटक करने का आरोप लगाया है।
मायावती का सत्ता-विपक्ष पर हमला: बोलीं- राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान के साथ कर रहे खिलवाड़
![बोलीं- राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान के साथ कर रहे खिलवाड़](https://image.uttarpradeshtimes.com/mayawati-37468.jpg)
Jun 25, 2024 13:56
Jun 25, 2024 13:56
- लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सक्रिय हुईं बसपा सुप्रीमो
- एनडीए और इंडिया गठबंधन के नेताओं पर कर रहीं हमला
मायावती को रास नहीं आया विपक्ष का व्यवहार
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सांसद हाथ में संविधान की किताब लेकर पहुंचे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जब अपने सहयोगी सांसदों के साथ संसद भवन में दाखिल हुए थे, तब उनके हाथ में संविधान की किताब थी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के दौरान भी राहुल गांधी ने उन्हें संविधान की किताब दिखाई थी, जिसका वीडियो वारयल हो रहा है. अब इसे लेकर मायावती ने कटाक्ष किया है।
आरक्षण को समाप्त करना चाहता है सत्तारुढ़ दल और विपक्ष
बसपा सुप्रीमो ने संसद में विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से संविधान की कॉपी दिखाई जाने के मामले में कहा कि ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे लग रहे हैं और इन दोनो ने मिलकर इस संविधान को जातिवादी, सांप्रदायिक और पूंजीवादी संविधान बना दिया। सत्ता और विपक्ष की दोनो की अंदरूनी मिलीभगत है। सत्ता और विपक्ष की अंदरूनी मिलीभगत से जबरदस्ती संविधान बचाने का नाटक किया जा रहा। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये दोनों ही भारतीय संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ये कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इन दोनों ने अंदर-अंदर मिलकर संविधान में इतने संशोधन कर दिए की अब ये समतामूलक, धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि पूंजीवादी, जातीवादी और सांप्रदायिक संविधान बनकर रह गया। ये दोनों ही आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं और एससी, एसटी, आदिवासी को संविधान का लाभ नहीं देना चाहते।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद सक्रियता बढ़ाने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद मायावती की सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस चुनाव में उनकी पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई। उत्तर प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर बसपा के वोट प्रतिशत में भी अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई हैं। उन्होंने उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे जाने का निर्णय किया है। वहीं भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी पुन: घोषित कर दिया है। इसके साथ ही मायावती भाजपा और विपक्ष दोनों पर निशाना साधते हुए एकला चलो की रणनीति पर चल रही हैं। इसलिए वह दोनों पक्षों पर कटाक्ष कर रही हैं।
एकला चलो की राह के सफल होने की उम्मीद
यूपी में समाजवादी पार्टी 37 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है, वहीं कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं, जबकि भाजपा 33 सीटें जीतने में सफल हुई है। ऐसे में मायावती ने दोनों पक्षों से दूरी बनाते हुए अपनी सियासत को आगे बढ़ाने का मन बनाया है। हालांकि लोकसभा चुनाव में उनकी ये रणनीति सफल नहीं हुई। लेकिन, उन्हें यकीन है कि उपचुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में वह मतदाताओं का भरोसा जीतने में सफल होंगी।
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