उड़ान भरते ही कटे पंख : मायावती ने आकाश को राजनीतिक उत्तराधिकारी पद से हटा साधे एक तीर से दो निशाने

मायावती ने आकाश को राजनीतिक उत्तराधिकारी पद से हटा साधे एक तीर से दो निशाने
UPT | मायावती और भतीजे आकाश आनंद

May 08, 2024 18:05

बसपा की प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर जानकारी दी कि पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद को सभी पदों से हटा दिया गया है।

May 08, 2024 18:05

Lucknow News : बहुजन समाज पार्टी (BSP) में गलतियों की कोई गुंजाइश नहीं है। खासकर वो गलती पार्टी के राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाती हो। अतीत में अनगिनत बार गलतियां करने पर बसपा नेताओं को मायावती ने बाहर का रास्ता दिखाया है। इसी क्रम में इतिहास ने खुद को फिर दोहराया है। देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग ख़त्म होने के चंद घंटे बाद ही मायावती के एक ऐलान ने पार्टी कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और विश्लेषकों को हैरत में डाल दिया है। उन्होंने अपने भतीजे को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी पद से हटाने का एलान कर दिया। 

सजा की बात आएगी तो सब बराबर
मायावती का ये फैसला उनके मतदाताओं को स्पष्ट संदेश देने के लिए है कि जब सजा की बात आएगी तो वह पार्टी कार्यकर्ताओं और परिवार के सदस्यों के बीच अंतर नहीं करेंगी। भतीजे आकाश आनंद को बसपा के सभी पदों से हटाया जाना इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नामित किया था। आकाश आनंद को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने पर मायावती को भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना करना पड़ता था, लेकिन आकाश को उनकी 'अपरिपक्वता' के लिए दंडित करने के फैसले का बाद सारे आरोप बेबुनियादी हो गए हैं। 

उत्साह में राजनीतिक मर्यादाओं की हदें पार
आकाश आनंद ने अपनी अपरिपक्वता को तब स्पष्ट कर दिया जब 28 अप्रैल को सीतापुर में एक चुनावी रैली में उन्होंने भाजपा पर जमकर हमला बोला। उस दौरान उन्होंने उत्साह में राजनीतिक मर्यादा की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने रैली में भाजपा पर आरोप लगाया था कि यह सरकार एक बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और अपने बुजुर्गों को गुलाम बनाती है वह आतंकवादी सरकार है। तालिबान अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चलाता है। जिसके तुरंत बाद आकाश आनंद पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने और सीतापुर चुनाव रैली में कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का मामला दर्ज किया गया। मामला आईपीसी की धारा 171सी (चुनावों पर अनुचित प्रभाव), 153बी (आरोप लगाना, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे) और 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत दर्ज किया गया था।

राजनीतिक हितों पर पड़ा प्रभाव
आकाश आनंद के आपत्तिजनक भाषण का प्रभाव बसपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं, विशेषकर दलितों पर भी पड़ा, जो अब भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। वे लोग आकाश के भाषण से काफी नाराज थे। जिससे बसपा के राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा है। यह बात कुछ समन्वयकों के माध्यम से मायावती के कानों में पड़ी थी। अपने भतीजे और राजनीतिक उत्तराधिकारी से हुए नुकसान को नियंत्रित करने के लिए मायावती ने तेजी से कदम उठाया और आकाश आनंद की सभी रैलियां रद्द कर दीं और उन्हें सार्वजनिक उपस्थिति से बचने के लिए कहा। जब जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो आखिरकार मायावती ने अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी को सभी पदों से हटा दिया।

एक तीर से साधे दो निशाने
मायावती ने आकाश आनंद को हटाकर, एक तीर से दो निशाने साधे हैं। उन्होंने भाई-भतीजावाद के सभी आरोपों को कुचल दिया है। इस पर बसपा के एक पदाधिकारी ने कहा कि 'बहनजी (मायावती) भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं देती हैं।' वहीं दलितों को भी शांत कर दिया,जो भाजपा के खिलाफ उनके बयान की सराहना नहीं करते थे। इससे अलग यूपी के सियासी गलियारों में ऐसी बातें भी उठ रही हैं कि मायावती ने सत्तारूढ़ भाजपा के साथ संबंध खराब होने के डर से अपने भतीजे का बलिदान दिया है। आख़िरकार, उन्होंने उत्तर प्रदेश में तीन बार (1995, 1997 और 2002) भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी।

बीजेपी नेता ने क्या बोला
भविष्य में, चाहे केंद्र में हो या उत्तर प्रदेश में, मायावती भाजपा के साथ दोबारा गठबंधन की अपनी संभावनाओं को जोखिम में नहीं डाल सकतीं। बीजेपी नेता राकेश त्रिपाठी ने कहा, 'आकाश आनंद की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों और बीजेपी के खिलाफ उनके बयानों के कारण लोगों में (बसपा के खिलाफ) गुस्सा था और इसीलिए मायावती ने अपने भतीजे को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया।

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