शहर की सफाई व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए 15 हजार सफाई कर्मियों की जरूरत है। लेकिन, नगर निगम में केवल 3 हजार नियमित सफाई कर्मचारी हैं। इसके अलावा 10 हजार कर्मियों को ठेके के माध्यम से काम पर रखा गया है।
हाल-ए-लखनऊ : नगर निगम की सीमा-आबादी में इजाफा, सफाईकर्मियों की घट गई संख्या, कैसे बढ़े स्वच्छता अभियान
Jan 07, 2025 12:33
Jan 07, 2025 12:33
सफाईकर्मियों की भारी किल्लत
देखा जाए तो लखनऊ नगर निगम में सफाई कर्मियों की भारी कमी से जूझ रहा है। सफाई कर्मचारियों की संख्या 64 साल पहले तय की गई थी, जब शहर की आबादी महज 8-10 लाख थी। उस समय 3,400 सफाई कर्मियों के पद स्वीकृत किए गए थे। आज शहर की आबादी लगभग पांच गुना बढ़कर 50 लाख के करीब पहुंच चुकी है। लेकिन, सफाई कर्मियों की संख्या में कोई स्थायी बढ़ोतरी नहीं हुई।
15 हजार सफाई कर्मचारियों की जरूरत, मात्र तीन हजार उपलब्ध
शहर की सफाई व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए 15 हजार सफाई कर्मियों की जरूरत है। लेकिन, नगर निगम में केवल 3 हजार नियमित सफाई कर्मचारी हैं। इसके अलावा 10 हजार कर्मियों को ठेके के माध्यम से काम पर रखा गया है, जिनकी गुणवत्ता और कार्य क्षमता पर सवाल उठते रहते हैं।
पार्षदों ने उठाया सफाई कर्मियों की भारी कमी का मुद्दा
रानी लक्ष्मीबाई वार्ड के पार्षद शफीकुर्रहमान के अनुसार, उनके वार्ड में पिछले दो वर्षों में 20 सफाई कर्मी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन, उनकी जगह कोई नई नियुक्ति नहीं हुई। वहीं, इस्माइलगंज द्वितीय वार्ड की पार्षद रंजना अवस्थी ने बताया कि उनके वार्ड में 50 सफाई कर्मियों की कमी है। बालागंज वार्ड की पार्षद कमलेश कुमारी ने कहा कि उनके वार्ड में 60 सफाई कर्मियों की कमी है, जिससे सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
आउटसोर्सिंग से सफाई, फर्जीवाड़े की आ रही शिकायतें
नगर निगम ने सफाई कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए 10 हजार कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्त किया है। हालांकि, इन ठेका कर्मियों के साथ कई बार फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आई हैं। सफाई कर्मचारी संगठन ने इसे लेकर नगर निगम से पारदर्शिता और स्थायी नियुक्तियों की मांग की है।
पदों की संख्या बढ़ाने की मांग
सफाई कर्मचारी नेता राजेंद्र बाल्मीकि, अशोक बाल्मीकि और नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा का कहना है कि 1960 में स्वीकृत पदों की संख्या आज के शहर की जरूरतों के हिसाब से बिल्कुल अप्रासंगिक हो चुकी है। खाली पदों को भरे जाने और नए पद सृजित किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है।
शहर का दायरा और सफाई कर्मियों की कमी का असंतुलन
लखनऊ का विस्तार पिछले कुछ दशकों में तेजी से हुआ है। नए इलाकों को नगर निगम में शामिल किया गया है। लेकिन, इन क्षेत्रों में सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई नहीं गई। इससे न केवल स्वच्छता प्रभावित हो रही है, बल्कि ठेका कर्मियों पर निर्भरता भी बढ़ गई है। राजधानीवासियों का कहना है कि शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नियमित कर्मियों की भर्ती को प्राथमिकता देना जरूरी है। साथ ही, आउटसोर्सिंग पर निर्भरता कम करते हुए नगर निगम को स्थायी कर्मियों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
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