KGMU : सांस के हर मरीज को वेंटिलटर से फायदा नहीं, फेफड़ों को हो सकता है नुकसान, सामने आई ये वजह

सांस के हर मरीज को वेंटिलटर से फायदा नहीं, फेफड़ों को हो सकता है नुकसान, सामने आई ये वजह
UPT | सांस के मरीजों में वेंटिलेटर को सतर्कता जरूरी

Dec 11, 2024 10:32

डॉ. फरहा ने बताया कि खासतौर पर सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और सांस के अन्य गंभीर रोगियों को वेंटिलेटर पर कम समय के लिए ही रखा जाता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में वेंटिलेटर का उपयोग बहुत सतर्कता से किया जाता है, क्योंकि कई बार इससे होने वाले नुकसान लाभ से अधिक होते हैं।

Dec 11, 2024 10:32

Lucknow News : सांस के रोगी को आमतौर पर चिकित्सक वेंटिलेटर पर रखने को प्राथमिकता देते हैं। कई सरकारी चिकित्सा संस्थानों में वेंटिलेटर खाली नहीं होने के कारण मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किए जाने के भी मामले सामने आए हैं। हालांकि, अमेरिका की प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. फरहा खान का कहना है कि सांस के हर रोगी को वेंटिलेटर पर रखना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि कई बार मरीज के फेफड़े इतने कमजोर होते हैं कि वे वेंटिलेटर का दबाव झेलने में असमर्थ रहते हैं। इससे न केवल उनकी स्थिति बिगड़ती है बल्कि वेंटिलेटर से जुड़े संक्रमणों, जैसे वेंटिलेटर आधारित निमोनिया, का खतरा भी बढ़ जाता है।

केजीएमयू में विशेष व्याख्यान 
डॉ. फरहा ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक विशेष व्याख्यान में ये बात कही। इस आयोजन का मकसद सांस की बीमारियों के इलाज और प्रबंधन में नवीनतम जानकारी साझा करना था। व्याख्यान का आयोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रेजिस्टेंस टीबी केयर और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर द्वारा किया गया।



सीओपीडी और गंभीर मरीजों के लिए विशेष ध्यान
डॉ. फरहा ने बताया कि खासतौर पर सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और सांस के अन्य गंभीर रोगियों को वेंटिलेटर पर कम समय के लिए ही रखा जाता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में वेंटिलेटर का उपयोग बहुत सतर्कता से किया जाता है, क्योंकि कई बार इससे होने वाले नुकसान लाभ से अधिक होते हैं।

वायु प्रदूषण और सांस की बीमारियों का संबंध
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च की पूर्व उपनिदेशक प्रो. कमर रहमान ने कहा कि वायु प्रदूषण सांस की बीमारियों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि पर्यावरण संरक्षण के उपाय और जागरूकता अभियान इन बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।

टीबी नियंत्रण में भारत का बेहतर प्रदर्शन 
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारत के टीवी नियंत्रण कार्यक्रम की सराहना की है। ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने टीवी के रोगियों की संख्या में 17.3 प्रतिशत की कमी हासिल की है, जबकि मृत्यु दर में 18 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।

विशेषज्ञों की उपस्थिति
इस व्याख्यान में कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. आनंद श्रीवास्तव और डॉ. अंकित प्रमुख थे। उन्होंने वेंटिलेटर उपयोग और सांस से संबंधित बीमारियों के प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।

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