रायबरेली जेल की नई पहल : दीपावली पर गोबर और मिट्टी के दीयों के जरिए बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का अनोखा प्रयास

दीपावली पर गोबर और मिट्टी के दीयों के जरिए बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का अनोखा प्रयास
UPT | दुकान में अवलोकन करते जेल अधीक्षक

Oct 24, 2024 19:03

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) की तर्ज पर रायबरेली जेल में 'वन जेल वन प्रोडक्ट' (OJOP) कार्यक्रम के तहत बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का अनोखा प्रयास किया जा रहा है।

Oct 24, 2024 19:03

Raebareli News :  वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) की तर्ज पर रायबरेली जेल में 'वन जेल वन प्रोडक्ट' (OJOP) कार्यक्रम के तहत बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का अनोखा प्रयास किया जा रहा है। यहां कैदियों को हुनर सिखाकर गोबर और मिट्टी से बने दीपक तैयार करवाए जा रहे हैं, जो दीपावली के मौके पर चीनी उत्पादों को कड़ी टक्कर देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस पहल के तहत अयोध्या में 25 लाख दीप जलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए रायबरेली जेल के बंदियों द्वारा बनाए गए दीये भी शामिल होंगे। जेल प्रशासन ने कैदियों को इस कार्य के लिए प्रशिक्षण देकर उन्हें न सिर्फ हुनरमंद बनाया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

मिट्टी कला में कैदियों का योगदान
रायबरेली जिला जेल में बंदियों द्वारा माटी कला से संबंधित विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें मिट्टी के बर्तन, कुल्हड़, मूर्तियां और दीये शामिल हैं। इन उत्पादों को बनाने के लिए कैदियों को आवश्यक सामग्री जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। कैदियों द्वारा निर्मित इन उत्पादों की बिक्री के लिए जिला कारागार के बाहर एक विक्रय केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन शुक्रवार को होगा। इस विक्रय केंद्र के माध्यम से इन उत्पादों की बिक्री से अर्जित धनराशि का उपयोग रॉ मैटेरियल खरीदने के साथ-साथ बंदियों के पुनर्वास और कल्याण के लिए किया जाएगा। 



बंदियों के हुनर को तराशने की पहल
जेल अधीक्षक अमन कुमार सिंह ने बताया कि इस विक्रय केंद्र की स्थापना बंदी कल्याण पुनर्वास सहकारी समिति के सहयोग से की गई है। इस दुकान से प्राप्त लाभांश का उपयोग बंदियों के वेलफेयर के लिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य बंदियों को उनके हुनर को तराशने और उन्हें समाज में स्थापित करने का अवसर प्रदान करना है। माटी कला में जेल के कई बंदी, जिन्होंने पहले कभी इस प्रकार की कारीगरी नहीं की थी, अब कुशल हो चुके हैं। वर्तमान में जेल में लगभग 15-16 बंदी इस कला में काम कर रहे हैं। 

दीपावली के लिए विशेष तैयारी
जेल प्रशासन ने बताया कि अयोध्या में दीयों की आपूर्ति के लिए मुख्यालय से आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है। जैसे ही आदेश मिलेगा, दीये भेजे जाएंगे। इस समय रायबरेली जेल में गोबर और मिट्टी के बने कई तरह के दीये तैयार हो चुके हैं, जिनमें डिजाइनर दीये भी शामिल हैं। कुल 60 प्रकार के उत्पाद तैयार किए गए हैं, जिनकी कीमत 5 रुपये से लेकर 500 रुपये तक है। इन उत्पादों से मिलने वाली राशि बंदी कल्याण पुनर्वास समिति में जमा की जाएगी, जिसका उपयोग बंदियों की भलाई और उनके पुनर्वास के लिए किया जाएगा। इस पहल के माध्यम से बंदियों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः स्थापित होने का अवसर भी मिल रहा है। 

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